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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तिहाड़ जेल से देशवासियों के नाम चिट्ठी लिखी है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को इस चिट्ठी को अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया है। मनीष सिसोदिया ने चिट्ठी में लिखा है कि प्रधानमंत्री का कम पढ़ा- लिखा होना देश के लिए बेहद खतरनाक है। भारत की तरक्की के लिए एक पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री होना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी विज्ञान की बातें और शिक्षा का महत्व नहीं समझते हैं। इसलिए पिछले कुछ वर्षों में 60 हजार सरकारी स्कूल बंद कर दिए। जब मैं प्रधानमंत्री को यह कहते हुए सुनता हूं कि गंदे नाले में पाइप डालकर उसकी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है तो मेरा दिल बैठ जाता है। उनके इस तरह के बयान से पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े-लिखे हैं। उन्होंने देशवासियों के सामने यह प्रश्न रखते कहा है कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। आज देश का युवा दुनिया जीतना चाहता है, क्या कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री युवाओं के सपनों को पूरा करते की क्षमता रखता है?

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया देशवासियों देशवासियों के नाम लिखी चिट्ठी में कहा है कि आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। दुनिया भर में विज्ञान और टेक्नॉलॉजी में हर रोज़ नई तरक्की हो रही है। सारी दुनिया अफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की बात कर रही है। ऐसे में जब मैं प्रधानमंत्री जी को यह कहते हुए सुनता हूं कि गंदे नाले में पाइप डालकर उसकी गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है तो मेरा दिल बैठ जाता है। क्या नाली की गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है? नहीं। जब प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज को रडार नहीं पकड़ सकता तो पूरी दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक बनाते हैं।

मनीष सिसोदिया ने चिट्ठी में लिखा है कि प्रधानमंत्री जी के इस तरह के बयान देश के लिए बेहद खतानाक हैं। इसके कई नुकसान हैं। जैसे, पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है। दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष जब प्रधानमंत्री जी से गले मिलते हैं तो एक-एक झप्पी की भारी कीमत लेकर चले जाते हैं। झप्पी के बदले में न जाने कितने कागजों पर साइन करवा लेते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री जीे तो समझ ही नहीं पाते, क्योंकि वो तो कम पढ़े लिखे हैं।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि आज देश का युवा आकांक्षी है। वो कुछ करना चाहता है। वो अवसर की तलाश में है। वो दुनिया जीतना चाहता है। साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वो कमाल करना चाहता है। क्या एक कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करते की क्षमता रखता है?

हाल के वर्षों में देश भर में 60 हजार सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए। क्यों? एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही है तो सरकारी स्कूलों की संख्या भी बढ़नी चाहिए थी? अगर सरकारी स्कूलों का स्तर अच्छा कर दिया जाता तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट से निकाल कर सरकारी स्कूले में भेजना शुरू कर देते, जैसा कि अब दिल्ली में होने लगा है। लेकिन देश भर में सरकारी स्कूलों का बंद होना खतरे की घंटी है। इससे पता चलता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है ही नहीं? अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं देंगे, तो क्या भारत तरक्की कर सकता है? कभी नहीं!

‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने आगे लिखा है कि मैंने प्रधानमंत्री मोदी जी का एक वीडियो देखा था, जिसमें वो बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं कि वे पढ़े-लिखे नहीं है? केवल गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई। क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होगा गर्व की बात है? जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का कभी इंतजाम नही दिया जाएगा। हाल के वर्षों में 60 हजार सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना, इस बात का जीता जागता प्रमाण है। ऐसे में मेरा भारत कैसे तरक्की करेगा? आप अपनी छोटी सी कंपनी के लिए एक मैनेजर रखने के लिए भी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को ही ढूंढ़ते हैं। क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए?

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