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नई दिल्ली, 27 अप्रैल 2024

पिछले कुछ महीनों से दिल्ली नगर निगम के कई कार्य रुके हुए हैं। क़रीब दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें, स्कूल बैग और स्कूल ड्रेस अब तक नहीं मिली है जिसका कारण है स्टैंडिंग कमेटी का ना बन पाना I इसी वजह से नगर मोहन के बच्चों के उसका पैसा अकाउंट में दिया जा रहा है । दिल्ली नगर निगम कमिश्नर की वित्तीय शक्तियां केवल 5 करोड़ तक के कॉन्ट्रैक्ट करने की है, इस वजह से 5 करोड़ के बड़े कॉंट्रैक्ट उनके द्वारा नहीं दिये जा सके हैं I अब से पहले 5 करोड़ से अधिक की राशि वाले टेंडर और कॉंट्रैक्ट को नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा पास किया जाता था और उसके बाद दिल्ली नगर निगम आयुक्त उस टेंडर को जारी किया करते थे I यह इसलिए था ताकि आयुक्त के ऊपर चुने हुए निगम के प्रति जवाबदेही बनी रहे ।

उपराज्यपाल ने ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से भाजपा के पद अधिकारियों को एल्डरमैन बनाया, इस वजह से आज तक स्टैंडिंग कमिटी नहीं बन सकी है। आज नगर निगम की इस समस्या का सबसे बड़ा कारण उपराज्यपाल का राजनीतिक रवैया ही है । स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाने के कारण ही 5 करोड़ के अधिक राशि के कार्य रुके हुए हैं ।

इसका निवारण करने के लिए दिल्ली नगर निगम ने एक रेजोल्यूशन पास किया था जिसमें सभी स्टैंडिंग कमिटी की शक्तियां नगर निगम के सदन को दे दी गई थी I ताकि 5 करोड़ से बड़े काम नगर निगम के सदन द्वारा पास किए जा सकें ।

5 करोड़ से अधिक राशि वाला टेंडर नगर निगम आयुक्त द्वारा पास नहीं किया जा सकता है और क्योंकि लगभग पिछले डेढ़ साल से दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो सका है और इस वजह से कई ऐसे महत्पूर्ण कार्य हैं जो रुके हुए हैं I इस बात की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली नगर निगम के सदन ने जनवरी में एक रेजोल्यूशन पास किया, जिसमें यह कहा गया कि जो जो शक्तियां स्टैंडिंग कमेटी के पास होती हैं, वह सभी शक्तियां सदन को दे दी जाएं, ताकि जो भी कार्य 5 करोड़ से अधिक राशि वाले हैं, सदन उसे पास कर सके और नगर निगम के सभी कार्य सुचारू रूप से चलाए जा सके I

उपराज्यपाल महोदय बतायें कि जनवरी में यह प्रस्ताव पास होने के बावजूद आज तक दिल्ली नगर निगम आयुक्त ने 5 करोड़ से अधिक राशि वाले कार्यों का एक भी प्रस्ताव सदन के समक्ष क्यों नहीं नहीं रखा है ?

अगर उपराज्यपाल चाहते हैं कि रुके हुए काम हो जायें तो दिल्ली नगर निगम आयुक्त को यह निर्देश जारी किए जाएं कि वो यह 5 करोड़ से अधिक राशि वाले सभी प्रस्ताव दिल्ली नगर निगम के सदन के समक्ष रखे और हम उसे सदन में पास करा देंगे और उसके बाद दिल्ली नगर निगम आयुक्त आगे टेंडर जारी कर सकते हैं I

डीएमसी एक्ट 1957 के तहत दिल्ली नगर निगम का बजट भी स्टैंडिंग कमेटी के बिना स्वीकृति के पास नहीं किया जा सकता है I परंतु उसके लिए भी निवारण निकाला गया । क्योंकि नगर निगम को चलना था, इसी गंभीरता को देखते हुए स्टैंडिंग कमेटी की सारी शक्तियां सदन को दी गई, ताकि सदन सीधे तौर पर नगर निगम के बजट को पास कर सके और नगर निगम को सुचारू रूप से चलाया जा सके ।

उपराज्यपाल मयोदय से ये सवाल है कि उनको इसमें क्या एतराज़ है कि जब नगर निगम का बजट सदन के द्वारा पास किया जा सकता है तो इस प्रकार के जितने भी 5 करोड़ से अधिक वाले राशि के टेंडर हैं वह भी सदन के द्वारा पास किये जा सकते हैं I

यदि नगर निगम आयुक्त की शक्तियां 5 करोड़ की राशि से अधिक बढ़ा दी जाएंगी, तो कमिश्नर की जवाबदेही चुने हुए सदन और निगम पार्षदों के प्रति खत्म हो जाएगी I कमिश्नर सीधे उपराज्यपाल के अधीन आते हैं , फिर तो उपराज्यपाल अपनी मन मर्ज़ी से दिल्ली नगर निगम चलायेंगे। फिर नगर निगम के चुनाव का क्या मतलब रह जाता है ।

उपराज्यपाल निगम आयुक्त को आदेश दें कि 5 करोड़ से अधिक राशि वाले कार्यों का जो भी टेंडर है, पहले वह नगर निगम के सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जाए और सदन की स्वीकृति के पश्चात नगर निगम आयुक्त उस कार्य से संबंधित टेंडर जारी करें, इससे न केवल सदन के कार्य सुचारू रूप से चल सकेंगे बल्कि उनकी जवाबदेही चुनी हुई नगर निगम और चुने हुए पार्षदों के प्रति बनी रहेगी और दिल्ली की जनता ने जिन लोगों को चुनकर निगम पार्षद बनाकर दिल्ली नगर निगम के सदन में भेजा है वह लोग जनता के हक में नगर निगम के आयुक्त से काम कर सकेंगे 

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