आम आदमी पार्टी की छात्र विंग ‘एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर ऑल्टरनेटिव पॉलिटिक्स’ (एसैप) ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को शिक्षकों की सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए। पूर्व डूटा अध्यक्ष व पार्टी के शिक्षक संगठन के राष्ट्रीय इकाई के इंचार्ज डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि डीयू के डॉ. भीम राव अंबेडकर कॉलेज में कॉमर्स विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुजीत कुमार पर हमला पूरे शिक्षक समुदाय पर हमला है। प्रोफेसर पर हमला करने वाले छात्रों का तत्काल निलंबन और पुलिस की कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि एसैप इसकी कड़ी से कड़ी निंदा करती है। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन को कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। इस दौरान एसैप के कुलदीप बिधूड़ी और डूटा के एग्जीक्यूटिव के इलेक्टेड सदस्य डॉ. धनराज मीणा मौजूद रहे।
“आप” मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि गुरुवार को डीयू के डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज में एक शर्मनाक घटना घटी। डूसू की जॉइंट सेक्रेटरी दीपिका झा के नेतृत्व में कुछ कार्यकर्ता प्रिंसिपल के कमरे में घुसे, जहां सीसीटीवी सब कुछ कैद कर चुका है। वहां कॉमर्स विभाग के प्रोफेसर व डिसिप्लिन कमेटी के कन्वीनर डॉ. सुजीत कुमार पर हमला हुआ। कॉलेज प्रशासन स्टाफ काउंसिल के माध्यम से चलता है, जो विभिन्न कमेटियां गठित करती हैं। प्रोफेसर सुजीत कुमार ने कुछ छात्रों पर अनुशासनहीनता के कारण कार्रवाई की, तो उन पर हमला कर थप्पड़ मार दिया गया। यह थप्पड़ सिर्फ डॉ. सुजीत कुमार पर नहीं, बल्कि पूरे शिक्षक समुदाय पर है। इस हिंसा की निंदा के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं।
डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने इतिहास की याद दिलाते हुए बताया कि 1990 के दशक में श्रद्धानंद कॉलेज में डेप्युटी सुपरिटेंडेंट ऑफ एग्जामिनेशन डॉ. एम.एन. सिंह को कॉपींग पकड़ने पर गोली मार दी गई। परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल था, लेकिन उनकी हत्या हो गई। मध्य प्रदेश में प्रोफेसर सभरवाल को दिन दहाड़े पीट-पीटकर मार डाला गया। हमने उसका भी विरोध किया था। पिछले साल लॉ फैकल्टी और खालसा कॉलेज समेत कई जगहों पर शिक्षकों के साथ बदतमीजी हुई। 2017 में भी एक सम्मानित महिला, लॉ एक्सपर्ट और लॉ फैकल्टी की डीन के हाथों पर गरम चाय डाल दी गई। इन घटनाओं को हम गंभीरता से नहीं ले पा रहे, उचित कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि नतीजा यह है कि आज कोई शिक्षक क्लासरूम में बंदूक या बुलेटप्रूफ वेस्ट नहीं पहन सकता। हम पुलिस सुरक्षा की मांग नहीं कर रहे। लेकिन गुरुवार को एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने प्रेस वार्ता में डॉ. सुजीत कुमार पर आरोप लगाकर कहा कि कमी उनमें थी। यह बेतुकी बात है। मैं सुजीत कुमार को लंबे समय से जानता हूं। वे कर्तव्यनिष्ठ हैं। अगर असुरक्षा का यह माहौल रहा, तो शिक्षकों का नैतिक अधिकार क्या बचेगा? क्लासरूम में इंटरनल असेसमेंट के 70 नंबर देने होते हैं, लेकिन दबाव बनाया जाएगा कि नंबर दो वरना पीटेंगे। यह जंगलराज हो चुका है। अब शिक्षक और कैंपस दोनों असुरक्षित है। जब शिक्षकों के साथ होता है, तो छात्रों के साथ भी यही हो रहा होगा। इसका अंत होना चाहिए।
डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि हम छात्रों का अहित कभी नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि वे पढ़ाई करें, जीवन में सफल हों। लेकिन हमारी यह कमजोरी न मानी जाए। हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रॉक्टोरियल टीम को तत्काल कदम उठाने चाहिए। दंडस्वरूप छात्रों का निलंबन और कॉलेज गवर्निंग बॉडी को कार्रवाई करनी चाहिए। प्रिंसिपल के कमरे में कॉलेज के दायित्व निभाते हुए यह हुआ, तो पुलिस कार्रवाई हो। आज पता चला कि गवर्निंग बॉडी की मीटिंग शेड्यूल्ड है। डूटा का फ्लैश धरना वाइस चांसलर ऑफिस के बाहर हुआ, जहां सैकड़ों शिक्षक पहुंचे। इससे आक्रोश का अंदाजा लगता है।