आम आदमी पार्टी के एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने हड़ताल पर बैठे एमटीएस कर्मचारियों की समस्याओं का समिति की बैठक में भी समाधान नहीं निकलने पर भाजपा को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा के मेयर राजा इकबाल सिंह ने 5200 एमटीएस कर्मचारीयों को दिवाली पर समिति बनाने के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया है। शनिवार को कमेटी की पहली बैठक हुई और मेयर राजा इकबाल सिंह व अफसर गायब रहे। इसलिए कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के नाम पर वोट लेने वाली भाजपा ने हिंदू त्योहारों पर कर्मचारियों को सड़क पर बैठने को मजबूर कर दिया। अधिकारी झूठ बोल रहे हैं कि 5200 नहीं, 33 हजार कर्मचारियों को लाभ देना होगा है, जबकि एमटीएस सिर्फ 9 हजार हैं। ये भी झूठ है कि 400 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। सच ये है कि 9 हजार एमटीएस कर्मचारियों पर 90 करोड़ और 5200 कर्मचारियों पर 41 करोड़ का ही बोझ पड़ेगा।
दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने कहा कि बीते 14 अक्टूबर को हुए एमसीडी सदन में मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा था हड़ताल पर बैठे एमटीएस कर्मचारियों की मांगों के समाधान के लिए एक कमेटी बनेगी और 24 से 48 घंटे में फैसला आ जाएगा। लेकिन तब कमेटी नहीं बनी। अब 10 दिन बाद शनिवार को इस कमेटी की पहली बैठक हुई, लेकिन कर्मचारियों की समस्याओं का कोई हाल नहीं निकला। कमेटी में भाजपा के चार सदस्य हैं, जबकि एक एक सदस्य आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के हैं। बैठक में तीन प्रतिनिधि एमटीएस कर्मचारियों के थे। लेकिन इस मीटिंग में मेयर राजा इकबाल सिंह नहीं आए। साथ ही, एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसर भी मीटिंग से गायब रहे। ऐसे में इस मीटिंग का औचित्य क्या था? ऐसा कहीं नहीं दिख रहा है कि भाजपा एमटीएस कर्मचारियों की समस्याओं का कोई हाल निकालना चाहती है।
अंकुश नारंग ने कहा कि पिछले 25 दिनों से कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं। इन कर्मचारियों का दशहरा, करवाचौथ, दिवाली, भैया दूज और अब छठ महापर्व भी सड़क पर ही गुजर गया। ये सारे त्यौहार हिंदुओं के हैं। फिर भी खुद को हिंदू और सनातन की रक्षा करने का दावा करने वाली भाजपा ने इन हिन्दू कर्मचारियों को सारे त्यौहार सड़क पर मनाने के लिए मजबूर कर दिया। हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली है, इसे भी भाजपा ने इन कर्मचारियों के लिए काली कर दी। यह कैसा मापदंड और दोगलापन है। हिंदुओं के नाम पर वोट लेने वाली भाजपा आज हिन्दू कर्मचारियों को सड़क पर बैठने का लिए मजबूर कर दिया है।
अंकुश नारंग ने कहा कि इन एमटीएस कर्मचारियों की हड़ताल के चलते दिल्ली की जनता मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू के प्रचंड प्रकोप में फंसी है। दिन प्रतिदिन मौसमी बीमारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस साल मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू के केस ने पिछले पांच साल के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इसके सिर्फ भाजपा और मेयर राजा इकबाल सिंह का अहंकार है। अधिकारी मीटिंग में गलत आंकड़े देते हैं। अधिकारी कहते हैं कि टी हजार एमटीएस को समान वेतन देंगे तो हमें 33 हजार अन्य कर्मचारियों को भी देना होगा। जबकि कुल 9 हजार ही एमटीएस कर्मचारी हैं। अधिकारी कहते हैं कि ऐसा करने पर 400 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जबकि कुल बजट 90 करोड़ रुपए ही लग रहा है। वहीं, 5200 कर्मचारियों को समान वेतन देने में सिर्फ 41 करोड़ रुपए का ही अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
अंकुश नारंग ने कैलकुलेशन स्पष्ट की कि वर्तमान में 1,098 सीएफडब्ल्यू, 362 सीएमबी और 2,994 डीबीसी हैं। ये सभी न्यूनतम ग्रेड पे 27,900 रुपये और वैरिएबल डीए की मांग कर रहे हैं। 1,098 सीएफडब्ल्यू में से 212 को पहले से 27,900 रुपये मिल रहे हैं। बाकी 886 को 18,456 रुपये मिलते हैं, यानी 9,444 रुपये का अंतर है। 886 और 362 मिलकर 1,248 कर्मचारियों के लिए 9,444 रुपये का मासिक खर्च 1.18 करोड़ रुपये और सालाना 14.14 करोड़ रुपये होगा। डीबीसी (2,994) कर्मचारियों के लिए 20,731 रुपये मासिक से 27,900 रुपये तक 7,529 रुपये का अंतर, 2,994 कर्मचारियों के लिए मासिक 2.25 करोड़, सालाना 27.05 करोड़। कुल 41.19 करोड़ रुपये सालाना खर्च हो। फिर 400 करोड़ का आंकड़ा क्यों?
अंकुश नारंग ने कहा कि चारों इंजन (केंद्र, राज्य, उपराज्यपाल, एमसीडी) भाजपा के हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और महापौर राजा इकबाल सिंह सभी भाजपा के हैं। भाजपा ने कहा था कि भाजपा की दिल्ली सरकार आने पर केंद्र-एमसीडी मिलकर अच्छा काम करेंगे, तो 41 करोड़ के लिए सोचने की भाजपा को क्या जरूरत पड़ गई? क्या राजा इकबाल सिंह मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री से 41 करोड़ का बजट नहीं ला सकते? अगर नहीं, तो वे चार इंजन की सरकार में महापौर बने रहने लायक नहीं हैं, तुरंत इस्तीफा दें। अगर वे कर्मचारियों को त्योहार सड़क पर मनाने और दिल्ली की जनता को मलेरिया-डेंगू से मरने के लिए मजबूर कर रहे हैं, तो शर्मिंदगी महसूस करें।
अंकुश नारंग ने कहा कि डीबीसी कर्मचारियों को एमटीएस बनाने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार थी। भाजपा को याद होगा, वह भी सड़क पर बैठती थे। लेकिन आज भूल गई। 13 हजार करोड़ के लिए भाजपा के सांसद-पार्षद अरविंद केजरीवाल के घर बैठ गए थे। तब दिल्ली सरकार से 13 हजार करोड़ मांग रहे थे। अब भाजपा की दिल्ली सरकार से 41 करोड़ नहीं ला पा रहे? इससे शर्मनाक और क्या हो सकती है? भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाने वाली दीपावली को काली दिवाली बना दिया। अब भाजपा के लोग किस आधार पर हिंदू धर्म या भगवान राम के नाम पर वोट मांगेंगे? यह कमेटी सिर्फ झुनझुना है। भाजपा को कुछ करना ही नहीं है। भाजपा अपना, हमारा और कर्मचारियों सभी का समय बर्बाद कर रही है। दिल्ली की जनता को इसका खामियाजा मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया के बढ़ते केस और मौतों के रूप में भुगतना पड़ रहा है। भाजपा और उनके महापौर को शर्म करनी चाहिए।