आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को संसद में सरकारी स्कूलों को लेकर मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे झूठे दावों की पोल खोलकर रख दी। उन्होंने कहा कि 2022-23 और 2023-24 में देश भर में करीब 54.77 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। इसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात व असम समेत अन्य भाजपा शासित राज्यों में सबसे अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ा है। उन्होंने पेपर लीक की घटनाओं पर भी भाजपा सरकारों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में भाजपा के राज्यों में 70 से अधिक पेपर लीक की घटनाएं हुई और इससे 1.70 करोड़ बेरोजगार युवा प्रभावित हुए हैं। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि देश के असली इतिहास व सांस्कृतिक धरोहरों से भी परिचित कराना होना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को संसद में सरकारी शिक्षा की वास्तविक स्थिति को बयां किया। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रसिद्ध कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो जितना पिएगा, उतना दहाड़ेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत तभी विकसत होगा, जब भारत शिक्षित होगा और देश प्रगति की ओर अग्रसर हो सकेगा। उन्होंने सरकार के झूठे दावों और बड़ी-बड़ी योजनाओं की वास्तविक स्थिति को आंकड़ों के माध्यम से उजागर करते हुए कहा कि 2022-23 और 2023-24 के दौरान लगभग 54,77,000 बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिए। विशेष रूप से भाजपा शासित राज्यों में ड्रॉपआउट की स्थिति काफी चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि असम में 3,58,075, गुजरात में 1,38,813, मणिपुर में 17,000, मेघालय में 65,532 और उत्तर प्रदेश में 7,41,626 बच्चों ने स्कूल छोड़ा। जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान दिल्ली में 2022-23 और 2023-24 में 7,000 छात्रों ने स्कूल छोड़ा। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से सरकार के दावों की पोल खुलती है और यह साबित होता है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
इसके अलावा, संजय सिंह ने पिछले 5 वर्षों में पेपर लीक की घटनाओं पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि पिछले 5 वर्षों में 70 से अधिक पेपर लीक की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें नीट, कांस्टेबल और क्लर्क जैसी परीक्षाएं भी शामिल हैं। लगभग 1 करोड़ 70 लाख बेरोजगार छात्र और युवा इन पेपर लीक की घटनाओं से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि यूपी में 69,000 कांस्टेबल पदों के लिए परीक्षा आयोजित करने का ठेका एडुटेस्ट कंपनी को दिया गया। जिसकी जांच में गड़बड़ी पाई गई थी। यह कंपनी भाजपा से जुड़े एक व्यक्ति विनीत आर्य द्वारा संचालित थी, जिसका संबंध भाजपा के बड़े नेताओं से था। इतने बड़े घोटाले में कंपनी को ब्लैकलिस्ट किए जाने के बाद भी बिहार में परीक्षा संचालित करने का ठेका दिया गया। यह दर्शाता है कि भाजपा कैसे अपने कारोबारी मित्रों को जनता के धन से लाभ पहुंचाती है।
संजय सिंह ने पीएम उच्चतर शिक्षा प्रोत्साहन स्कीम (पीएमश्री), समग्र शिक्षा अभियान और पीएम पोषण योजना के तहत बजट में की गई कटौतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि पीएमश्री योजना के लिए 2023-24 में 1215 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था और 2024-25 के लिए 6050 रुपए करोड़ का आवंटन किया गया, जिसे संशोधित बजट में 4500 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसी प्रकार, समग्र शिक्षा अभियान और पीएम पोषण योजना में भी बजट में कटौती की गई है।
संजय सिंह ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वे भारतीय इतिहास में बदलाव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप स्कूली शिक्षा में मुग़ल साम्राज्य की क्रूरता को पढ़ाए और साथ ही अंग्रेजों द्वारा 200 वर्षों तक भारत में किए गए शोषण को भी पढ़ाए। मैं यह चाहता हूं कि जो लोग जलियांवाला बाग कांड के जिम्मेदार हैं, उन्हें भी बताया जाए। उन्होंने मांग की कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों जैसे भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, अशफाक उल्ला खान, खुदीराम बोस, राजेंद्र लाहिड़ी और रामप्रसाद बिस्मिल को फांसी पर चढ़ाने के जिम्मेदार अंग्रेजों के क्रूरता को भी पढ़ाया जाए।
उन्होंने आरएसएस और भाजपा के इतिहास पर तंज कसते हुए कहा कि आप जब अंग्रेजी क्रूरता को पढ़ाएंगे, तब आपको यह भी पढ़ाना पड़ेगा कि वह कौन सी संस्था थी जिसने तिरंगे का विरोध किया, वह कौन सी संस्था थी जिन्होंने अंग्रेजी की गुलामी और दलाली की और आपको ये भी पढ़ाना पड़ेगा कि वह कौन सी संस्था थी जिसके नेता ने अंग्रेज गवर्नर को चिट्ठी लिखकर कहा कि 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन को दबाया जाए और वह कौन सी संस्था थी जिसने क्रांतिकारियों का विरोध करके मुस्लिम लीग के साथ 3 राज्यों में सरकार बनाने का अपराध किया था।
संजय सिंह ने स्पष्ट किया कि शिक्षा का सही उद्देश्य बच्चों को न केवल किताबी ज्ञान से, बल्कि देश के असली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित कराना होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियां सही और समृद्ध शिक्षा प्राप्त कर सकें।