एमसीडी में आम आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने पिछले 11 दिनों से जारी एमटीएस और डीबीसी कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जानबूझ कर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा कर रही है। भाजपा इन कर्मचारियों की मांगों से संबंधित निजी विधेयक ला रही है, जबकि यह आयुक्त के जरिए आना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जब 212 कर्मचारियों को 27,900 रुपए बेसिक सैलरी और डीए मिल रहा है, तो बाकी के 5 हजार कर्मचारियों को भी दिया जा सकता है। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में भाजपा ने दिल्ली में बढ़ रहे डेंगू-मलेरिया के मामलों पर चर्चा कराने से इन्कार कर दिया। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते दिल्ली की जनता परेशान है लेकिन भाजपा सरकार को दिल्लीवालों की कोई चिंता नहीं है।
इस प्रेसवार्ता में आम आदमी पार्टी के स्टैंडिंग कमेटी सदस्य श्री प्रवीण कुमार, श्री दौलत पवार, श्रीमती मोहिनी जीनवाल, राफिया माहिर एवं आमिर मलिक जी मौजूद रहे।
गुरुवार को प्रेस वार्ता कर अंकुश नारंग ने कहा कि ये कर्मचारी पिछले 25-30 वर्षों से सेवा दे रहे हैं और अपनी जायज मांगों के लिए सड़कों पर बैठे हैं। चाहे धूप हो, बारिश हो या आंधी, ये कर्मचारी रोजाना आठ-आठ की संख्या में भूख हड़ताल पर हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं, एक समान वेतन, मेडिकल और अर्जित अवकाश और असामयिक मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार को करुणामूलक आधार पर नौकरी।
अकुंश नारंग ने बताया कि इन मांगों से महापौर, आयुक्त और स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन पूरी तरह अवगत हैं। उन्होंने 2 सितंबर, 2025 को लिखे एक पत्र का जिक्र किया, जिसमें यूनियन की मांगों को उनके कवरिंग लेटर के साथ महापौर और आयुक्त को भेजा गया था। इसके बावजूद, कर्मचारी 29 सितंबर को हड़ताल पर चले गए। इसके बाद 12 सितंबर और 26 सितंबर को भी अंकुश नारंग ने इन मांगों को दोहराते हुए पत्र भेजे, जिनमें आम आदमी पार्टी के विभिन्न जोनों (सिटी एसपी, करोल बाग, वेस्ट और रोहिणी) के चेयरमैन के पत्र भी शामिल थे। उन्होंने 26 सितंबर को सदन में भी इस मुद्दे को उठाया और चेतावनी दी कि हड़ताल से दिल्ली की जनता को मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ेगा, जो तेजी से बढ़ रही हैं।
अंकुश नारंग ने गुरुवार की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि उनके साथ वरिष्ठ पार्षद प्रवीण कुमार, मोहिनी जिंगवाल, दौलत पवार और राफिया माहिर मौजूद थे। बैठक के एजेंडे में एक निजी विधेयक शामिल था, जो एमटीएस कर्मचारियों की मांगों से संबंधित था। उन्होंने इसे शर्मनाक बताया कि चार इंजन वाली भाजपा सरकार को निजी विधेयक लाना पड़ रहा है, जबकि यह प्रस्ताव आयुक्त के माध्यम से आना चाहिए था। भाजपा इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही और कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा कर रही है।
अकुंश नारंग ने बताया कि मैंने आज की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में कर्मचारियों की मांगों और डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों की स्थिति पर चर्चा की मांग की, लेकिन भाजपा ने अपने एजेंडे को प्राथमिकता दी। अंकुश नारंग ने बताया कि दिल्ली में इस साल मलेरिया के 430 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 60 मामले पिछले सप्ताह ही दर्ज हुए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार के पास बजट की कमी नहीं है, जैसा कि मुख्यमंत्री दावा करती हैं, तो कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में देरी क्यों हो रही है?
अंकुश नारंग ने एक और पत्र का जिक्र किया, जिसमें आम आदमी पार्टी के 91 पार्षदों के हस्ताक्षर हैं। यह पत्र महापौर, आयुक्त और म्युनिसिपल सेक्रेटरी को भेजा गया है, जिसमें एमटीएस और डीबीसी कर्मचारियों की मांगों पर चर्चा के लिए विशेष सदन बुलाने की मांग की गई है। नियमानुसार, एक तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षर होने पर विशेष सदन बुलाना अनिवार्य है।
अंकुश नारंग ने कहा कि भाजपा के लिए दिल्ली की जनता और कर्मचारियों की मांगें महत्वपूर्ण नहीं हैं। उन्होंने बताया कि 5,252 कर्मचारियों में से 212 को 27,900 रुपये की बेसिक सैलरी और डीए दिया जा रहा है, जबकि बाकी 5,000 कर्मचारियों को अलग-अलग वेतनमानों में मिलता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 212 कर्मचारियों को यह वेतन दिया जा सकता है, तो बाकी 5,000 के लिए ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
अंत में, अंकुश नारंग ने कहा कि आम आदमी पार्टी इन कर्मचारियों के हक की लड़ाई लड़ रही है। उनके साथ मौजूद सभी “आप” पार्षदों ने भी इस मुद्दे पर समर्थन जताया और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 5,000 कर्मचारी नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दिवाली, करवाचौथ जैसे इस त्योहारों के समय में सड़कों पर अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है, जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है।