दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री आतिशी ने बुधवार सुबह सिविल लाइंस स्थित दिल्ली सरकार के दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल का दौरा कर छात्रों से मुलाकात की।
इस दौरान सबसे पहले स्टूडेंट्स ने तिलक लगाकर श्री सिसोदिया और सीएम आतिशी का स्वागत किया। उसके बाद दोनों ने डाइनिंग हॉल में जाकर स्टूडेंट के साथ नाश्ता किया और स्कूल, यहाँ मौजूद सुविधाओं, ट्रेनिंग, डाइट और खेलों को लेकर स्टूडेंट्स से उनकी तैयारियों के विषय में जाना। साथ ही दोनों ने स्कूल के विभिन्न हिस्सों में मौजूद स्पोर्ट्स सुविधाओं में जाकर टेबल टेनिस, तीरंदाजी, वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, मुक्केबाजी, तैराकी कर रहे खिलाड़ियों से भी मुलाकात की।
बता दे कि, दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल में कक्षा छठी और नौवीं के लिए भारत के अलग-अलग राज्यों में टैलेंट स्काउटिंग के ज़रिए खेल प्रतिभाओं को चुना जाता है और फिर स्पोर्ट्स स्कूल जो एक आवासीय स्कूल है, में उन्हें 10 ओलंपिक खेलों के लिए शानदार ट्रेनिंग और सुविधाएं दी जाती है।
आज बातचीत के दौरान स्टूडेंट्स ने श्री सिसोदिया और सीएम आतिशी के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि, “अपने राज्य में जब हम स्पोर्ट्स खेल रहे होते थे तो हमारा सपना रहता था कि, हम अपने खेल में महारत हासिल करें ताकि उससे हमें किसी विभाग में नौकरी मिल जाए। लेकिन इस स्कूल में आने के बाद हमारी सोच बदली और अब हमारा सपना खेल के ज़रिए नौकरी पाने का नहीं बल्कि देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड जीतना है।”
एक अन्य स्टूडेंट ने कहा कि, “इस स्कूल में आने से पहले हमें जो सुविधाएं और ट्रेनिंग मिलती थी, उससे हमारे मन में रहता था कि हम राज्य स्तर की प्रतियोगितों में भाग लेंगे। लेकिन इस स्कूल में आने के बाद हमें जो सुविधाएं और ट्रेनिंग मिली है, उसकी बदौलत हम आज राष्ट्रीय स्तर पर तो खेल रहे है और जल्द अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश के लिए मेडल जीतेंगे।”
इस मौके पर दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक श्री मनीष सिसोदिया ने स्पोर्ट्स स्कूल के स्टूडेंट्स से संवाद भी किया। उन्होंने कहा कि, “स्पोर्ट्स स्कूल मेरे लिए एक सपने जैसा था और जो सपना आपने 10 साल पहले देखा हो और आज उसे सच होता देख रहे हो तो उससे भावुक पल कुछ और नहीं हो सकता है।”
उन्होंने साझा किया कि, “एक समय था जब यहाँ एक टूटी-फूटी बिल्डिंग होती थी। लेकिन आज यहाँ वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस ये शानदार स्पोर्ट्स स्कूल है, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है।”
श्री सिसोदिया ने कहा कि, “भारत में दुनिया की सबसे मेहनतकश आबादी रहती है। हमारी जमीने दुनिया में सबसे उपजाऊ है, खनिजों से भरपूर है। इन सब के बावजूद कहीं न कहीं ये सवाल रह जाता है कि, भारत ओलंपिक-कॉमनवेल्थ गेम्स की पदक तालिका में पीछे क्यों रह जाता है?”
उन्होंने कहा कि,”दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल इस सवाल का जबाव है। ये जबाव है कि, स्पोर्ट्स स्कूल जैसे प्रयासों से ही कम उम्र से खिलाड़ियों को शानदार ट्रेनिंग देकर, सुविधाएं देकर ही अंतराष्ट्रीय मेडल जीते जा सकते है। उसके अलावा मेडल जीतने का और कोई रास्ता नहीं है।”
श्री सिसोदिया ने स्टूडेंट्स से एक वाक़या साझा करते हुए कहा कि, “2015 में शिक्षा मंत्री बनने के बाद मुझे एक स्कूल में राष्ट्रीय स्तर का एक खिलाड़ी मिला। जिसका कहना था कि, मैं ग्रेजुएशन नहीं कर पाऊँगा क्योंकि मुझे अपने खेल को और समय देना है और बेहतर करना है। लेकिन उसके मन में कहीं न कहीं ये सवाल था कि, अपना सब कुछ स्पोर्ट्स को समर्पित करने के बाद भी अगर वो अंतर्राष्ट्रीय मेडल नहीं जीता पाया और नौकरी लेने जाएगा तो उससे ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट मांगा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि, “इस सवाल को दूर करने के लिए मैंने अधिकारियों के साथ प्लान बनाया कि दिल्ली में एक ऐसा स्कूल और यूनिवर्सिटी बनायेंगे जहाँ खेलना ही पढ़ाई है। जहाँ पढ़ने का मतलब खेलना ही होगा। वहाँ स्टूडेंट्स पर कोई किसी सब्जेक्ट में अच्छे नंबर लाने के लिए दबाव नहीं डालेगा बल्कि उनके सक्सेस का मापदंड स्पोर्ट्स के उनके प्रदर्शन से आंका जाएगा।
श्री सिसोदिया ने कहा कि, “अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में स्पोर्ट्स स्कूल के इस आईडिया को मूर्त रूप मिला। और उसके बाद हमारे देश का गौरव, कर्णम मल्लेश्वरी जी के नेतृत्व में इस स्कूल की शुरुआत हुई।
उन्होंने कहा कि, “आम तौर पर बड़े स्पोर्ट्स एकेडमी में देखा जाए, तो वहां एक ही तरह के आर्थिक बैकग्राउंड से आने वाले बच्चे होते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कहीं एक कुश्ती का ग्राउंड है, तो वहां एक ही तरह के बैकग्राउंड से बच्चे आते हैं, जो उसकी फीस देने में सक्षम होते हैं। वहां वे बच्चे नहीं मिलते जो उतनी फीस देने की क्षमता नहीं रखते। लेकिन हमारे इस स्कूल की खास बात यह है कि यहां किसी के घर में काम करने वाली महिला की बेटी भी पढ़ रही है, तो वहीं एक भारत सरकार में वरिष्ठ अधिकारी का बच्चा, टीचर का बच्चा या किसी ऑटो चालक का बच्चा भी पढ़ रहा है। यह अपने आप में एक शानदार मॉडल है।”
श्री सिसोदिया ने कहा कि, “मेरे सामने 2015 में यह चैलेंज था कि कोई नेता यह कहे कि वह एक ऐसी यूनिवर्सिटी या स्कूल बनाएगा जहां पढ़ाई सेकेंडरी होगी, पहले स्पोर्ट्स होगा, तो लोग हंसते थे कि ऐसा कैसे होगा। मजाक बनाते थे कि यह मुश्किल है, पढ़ाई तो पढ़ाई की तरह से ही करानी पड़ेगी। लेकिन ये सच साबित हो गया। अब आप बच्चे खूब मेहनत करें। उन्होंने कहा कि, अक्सर कहा जाता है कि यह मायने नहीं रखता कि आपने मेहनत करते समय कितना पसीना बहाया, बल्कि यह मायने रखता है कि उस पसीने के बाद आपने कितनी मेहनत की है। इसलिए आप खूब मेहनत करो। अपने मेहनत और प्रदर्शन के दम पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रौशन करें।”
इस मौके पर सीएम आतिशी ने कहा कि, अबतक देश में हमेशा पढ़ाई और खेल को अलग-अलग माना गया है| यही कारण है कि इतनी बड़ी जनसँख्या होने के बावजूद भी ओलंपिक में जब पदक तालिका देखी जाती है तो हम बहुत नीचे होते है| दिल्ली सरकार इस अवधारणा को बदलने का काम कर रही है| हम दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और इसके अंतर्गत दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल के द्वारा ये माहौल बनाने का प्रयास कर रहे है जहाँ खिलाडियों का खेल ही उनकी पढ़ाई होगी और देश का हर आदमी कह सकेगा कि खेल भी पढ़ाई है|
उन्होंने कहा कि, अरविन्द केजरीवाल जी का विज़न है कि दिल्ली देश का स्पोर्ट्स कैपिटल बने| उनके इस विज़न को पूरा करने में ये प्रयास अपनी अहम भूमिका निभाएगा| हम अपने स्पोर्ट्स स्कूल से छोटी उम्र से ही बच्चों को खेलों के लिए तैयार कर रहे है और उन्हें शानदार प्रशिक्षण दे रहे है ताकि ये बच्चे भविष्य में भारत के लिए ओलंपिक मेडल लेकर आए और दिल्ली सहित पूरे देश का नाम रौशन करें| उन्होंने कहा कि अपने इस स्कूल में हम बच्चों को हर वो सुविधाएँ दे रहे है जो उन्हें भविष्य में ओलंपिक मेडल जीतने के और करीब ले जायेगा|
सीएम आतिशी ने अपने एक्स(ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा- “दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया जी के साथ दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल में हमारे भावी ओलंपियंस से मुलाकात की। दिल्ली सरकार के इस अनूठे स्कूल जहाँ, “खेल ही पढ़ाई है” में देशभर से खेल प्रतिभाओं को चुनकर उन्हें 10 ओलंपिक गेम्स के लिए वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग, कोचिंग और सुविधाएं मिल रही है। इन खिलाड़ियों की मेहनत और खेल के प्रति जुनून से वो दिन दूर नहीं जब ओलंपिक की पदक तालिका में भारत शीर्ष स्थान पर होगा और पूरा देश इनपर गर्व करेगा।”
स्टूडेंट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोचों से मिलता है विश्वस्तरीय प्रशिक्षण
दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल में एनरोल्ड स्टूडेंट्स को विशेष कोचों के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग दी जाती है। शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ-साथ उनके खेल प्रशिक्षण और प्रदर्शन का लगातार मूल्यांकन किया जाता है। स्कूल के स्टूडेंट्स को वर्ल्ड-क्लास कोचिंग प्रदान करने के लिए स्कूल पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और एक्सपर्ट ट्रेनर्स को चुना गया है | साथ ही यहां विश्व स्तरीय स्पोर्ट्स कोचिंग और सुविधाओं के अलावा, स्कूल में स्पोर्ट्स साइंस सेंटर और एथलीट मॉनिटरिंग सिस्टम भी स्थापित किया गया है जो साइंटिफिक तरीकों से स्टूडेंट्स के खेल प्रदर्शन को बेहतर करने में मदद करता है|
दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल की विशेषताएं
-ऑडीटोरियम
-स्पोर्ट्स साइंस लैब
-आईटी सेंटर रूम
-टेबल टेनिस कोर्ट
-स्विमिंग पूल
-मल्टीपल स्पोर्ट्स ट्रेनिंग ब्लाक-कुश्ती,मुक्केबाजी और निशानेबाजी के लिए(निर्माणधीन)
-हॉस्टल मेस
-मल्टीपर्पस रूम/ रीडिंग रूम
-अकेडमिक ब्लाक
-वेटलिफ्टिंग हॉल
-तीरंदाजी कोर्ट
-वार्म-अप ट्रैक
-4 मंजिला हॉस्टल (लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग क्षमता 200+)
क्या है दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल
यह को-एड विद्यालय पूरी तरह आवासीय है तथा छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग हॉस्टल सुविधा उपलब्ध है। स्कूल में 10 चुने गए ओलंपिक खेलों के लिए खेल प्रशिक्षण और सुविधाएं प्रदान की जाती है: इसमें आर्चरी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, शूटिंग, वेटलिफ्टिंग, रेसलिंग, बॉक्सिंग, स्विमिंग, टेबल टेनिस और लॉन टेनिस शामिल है। इस स्कूल का उद्देश्य एक विशेष और अनुकूलित स्पोर्ट्स इंटीग्रेटेड करिकुलम के माध्यम से उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करते हुए स्पोर्ट्स चैंपियन तैयार करना है।