आम आदमी पार्टी ने जीएसटी सुधार को लेकर मोदी सरकार द्वारा अपनी पीठ थपथपाने पर भाजपा को आड़े हाथ लिया है। ‘‘आप’’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि मोदी जी का कहना कि सबके लिए टैक्स एक समान हो गया है, यह सत्य से परे है। भाजपा को देश की जनता को बेवकूफ नहीं समझना चाहिए। जनता जानती है कि कैसे मोदी जी ने अपने पूंजीपति मित्रों का 14 लाख करोड़ बकाया माफ किया और कैसे कॉर्पाेरेट टैक्स में सालाना 1 लाख करोड़ रुपए पूंजीपतियों का बचा कर आम जनता से दूध, दही, छाछ, पूजा सामग्री पर टैक्स वसूला गया। आज घरेलू बचत 5 दशकों में सबसे कम है और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी चरमरा गया है।
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि आज भी मोदी जी के पूंजीपति मित्र सस्ता रूसी तेल ख़रीदकर उसे खुले बाजार में मुनाफे पर बेच रहे हैं और सरकार ने उस मुनाफे पर भी टैक्स छूट दे दी है, जबकि जनता को आज भी महंगा तेल ख़रीदना पड़ रहा है, जो जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया है। अगर प्रधानमंत्री को सच में किसानों का लाभ सोचना है, तो पंजाब को उसके हक का 60 हजार करोड़ रुपए दें, जिसमें जीएसटी घटक भी शामिल है। साथ ही अमेरिका से आने वाली कपास पर भी टैक्स लगाएं और अपने किसानों को बचाएं। प्रधानमंत्री जनता को जीएसटी द्वारा पूरा पीसने के बाद अभी से अपनी पीठ थपथपाना बंद करें।
मीडिया से बातचीत के दौरान प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि भाजपा को जनता को मूर्ख समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। लोग जानते हैं कि कैसे प्रधानमंत्री के मित्रों के 14 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए गए। पूंजीपतियों को हर साल एक लाख करोड़ की कॉरपोरेट टैक्स में छूट दी गई। इसका खामियाजा मध्यम वर्ग और आम आदमी ने भुगता। दूध, दही, छाछ, पूजा के पंडाल, मंदिर के प्रसाद तक पर जीएसटी लगाया गया। इससे पिछले पांच दशकों में सबसे कम घरेलू बचत देखी गई। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी चरमरा गया है।
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि सबके लिए एक समान टैक्स होगा, लेकिन यह सच नहीं है। पूंजीपति रूसी तेल खरीदकर खुले बाजार में खूब मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन सरकार ने उन्हें विंडफॉल टैक्स से बचा लिया। इसका नुकसान जनता भुगत रही है। पेट्रोल-डीजल पर भारी कीमतें चुकानी पड़ रही हैं, जो जीएसटी के दायरे में नहीं हैं।
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि अगर सच में किसानों का भला करना है, तो पंजाब को उसके हक का 60 हजार करोड़ दीजिए, जिसमें जीएसटी घटक भी शामिल है। यह राशि वहां की त्रासदी में काम आएगी। कपास के किसानों का भला करना है, तो अमेरिका से आने वाली कपास पर 11 फीसद आयात शुल्क हटाने का फैसला वापस लें। यह भारतीय किसानों को बर्बाद कर रहा है। जनता सब समझती है। टैक्स व्यवस्था ने आम आदमी की कमर तोड़ दी। अब कुछ सुधारों की बात करके सरकार अपनी पीठ थपथपाना चाहती है, जबकि ये सुधार लागू भी नहीं हुए। यह पूरी तरह गलत है।