मोदी जी कह रहे हैं कि मुझे अडानी-अंबानी पर कोई टैक्स नहीं लगाना है, लेकिन छात्रों को मिल रही स्कॉलरशिप पर लगाना है- डॉ. संदीप पाठक

मोदी सरकार के टैक्स टेररिज्म का दायरा बढ़ते-बढ़ते अब रिसर्च कर रहे छात्रों की स्कॉलरशिप तक पहुंच गया है। मोदी सरकार ने 2017 से रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिल रहे ग्रांट्स पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) डॉ. संदीप पाठक ने प्रस्ताव की कड़ी निंदा करते हुए मोदी सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया के इतिहास में पहली बार है, जब कोई सरकार रिसर्च ग्रांट पर टैक्स लगा रही है। सरकार ने सभी रिसर्च इंस्टीट्यूट को जीएसटी जमा करने के लिए शो कॉज नोटिस दिया है। सरकार तर्क दे रही है कि रिसर्च एक सर्विस है। इसलिए इसके लिए मिले ग्रांट्स पर जीएसटी लगनी चाहिए, जोकि बहुत ही हास्यास्पद है। क्योंकि अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, साउथ कोरिया, सिंगापुर समेत किसी भी विकसित व विकासशील देश में रिसर्च ग्रांट पर टैक्स नहीं लगता है। समस्त मानव जाति और देश के विकास के लिए होने वाले रिसर्च पर जीएसटी लगाना टैक्स टेररिज्म है।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) एवं सांसद डॉ. संदीप पाठक ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि कुछ दिन पहले मोदी सरकार ने रिसर्च ग्रांट्स पर टैक्स लगाया है जो उसकी नियत और टैक्स टेररिज्म पॉलिसी का बड़ा भयानक अध्याय है। केंद्र सरकार ने 2017 से देश की रिसर्च संस्थाओं को दिए ग्रांट्स पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव दिया है और सभी संस्थाओं को 2017 से अब तक मिले रिसर्च ग्रांट्स पर जीएसटी जमा करने के लिए शो कॉज नोटिस दिया है। सरकार ने इन संस्थाओं से करीब 220 करोड़ रुपए जीएसटी के रूप में मांगे हैं। इसमें आईआईटी दिल्ली जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थान भी शामिल हैं।

डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के इतिहास में पहली बार कोई सरकार रिसर्च ग्रांट्स पर जीएसटी लगा रही है। मोदी सरकार का तर्क है कि रिसर्च एक सर्विस है और यह सर्विस उपलब्ध करा रही है। इसलिए ग्रांट्स पर जीएसटी लगनी चाहिए। सरकार का यह तर्क बहुत हास्यास्पद है, क्योंकि कोई भी रिसर्च समस्त मानवजाति के लिए होता है और यह भविष्य में सभी लोगों की सेवा के लिए जरूरी होता है। रिसर्च और आरएनडी देश को आगे बढ़ाता है। इस पर देश का विकास आधारित है और सरकार उसी पर टैक्स लगा रही है। यह पूरी तरह से टैक्स टेररिज्म है।

डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि आम आदमी पार्टी रिसर्च ग्रांट पर जीएसटी लगाने के प्रस्ताव की घोर निंदा करती है। आगामी दिनों में जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है। केंद्र सरकार को बिना शर्त के इस फैसले को वापस लेना चाहिए। अगर इसे वापस नहीं लिया जाता है, तो आम आदमी पार्टी हर मंच पर इसके विरोध में आवाज उठाएगी, ताकि सरकार इस पॉलिसी को वापस ले।

डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि रिसर्च के लिए मिलने वाली फंडिंग तो तीन जगह खर्च की जाती है। इससे रिसर्च के बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती है, संस्थानों में रिसर्च के लिए चीजें खरीदी जाती हैं और रिसर्च से संबंधित जरूरी उपकरण खरीदे जाते हैं। ये सभी चीजें खरीदते वक्त भी संस्थाएं जीएसटी देती हैं। मोदी जी अपने दोस्त अडाणी-अंबानी पर टैक्स लगाने के बजाय रिसर्च के बच्चों को मिलने वाले 20-25 हजार रुपए की स्कॉलरशिप पर टैक्स लगाने जा रहे हैं, जबकि उन्हें रिसर्च पर लगने वाले सारे टैक्स को पूरी तरह हटा देना चाहिए। लेकिन टैक्स हटाने के बजाय दोगुना टैक्स लगा रहे हैं।

डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, साउथ कोरिया, सिंगापुर, कनाडा जैसे किसी भी विकसित या विकासशील देश में रिसर्च पर टैक्स नहीं लगता है। दुनिया के इतिहास में केवल मोदी सरकार आरएनडी पर टैक्स लगाने का परचम लहरा रही है। केंद्र की भाजपा सरकार से हमारा निवेदन है कि वह देश को बर्बाद न करें और इस टैक्स को तुरंत वापस ले। अमेरिका अपने देश में बच्चों को रिसर्च के लिए हर साल 57 बिलियन डॉलर देता है और चीन 87 बिलियन डॉलर देता है, जबकि भारत मात्र 2.5 बिलियन डॉलर ही देता है। यह देश के साथ बहुत बड़ा मजाक है। एक तरफ सरकार रिसर्च में पैसा नहीं दे रही है और जो पैसे दे रही है, उस पर भी टैक्स लगा रही है।

डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि हमारे रिसर्च के छात्र आज अपने अनुसंधान का दायरा बढ़ा रहे हैं और नई-नई चीजों पर रिसर्च कर रहे हैं और भविष्य में और अच्छा करने की इच्छा रखते हैं। लेकिन ये देखने वाली बात है कि सरकार उनके लिए क्या कर रही है। एक छोटे से टेस्ट करने के लिए रिसर्चर्स को महीनों इंतजार करना पड़ता है। बड़े से बड़े संस्थानों में भी एक रिसर्च पूरा करने में कई बार 6-7 महीने या उससे भी ज्यादा समय लग जाता है। क्या मोदी जी ने उन रिसर्चर्स के साथ बात करके उनकी समस्याओं के बारे में जानने की कोशिश की है? क्या उन्होंने सोचा है कि पीएचडी करने वाले छात्रों के रोजगार की क्या स्थिति है? उनको रोजगार मिल रहा है या नहीं? मोदी सरकार ने आरएनडी को ध्यान में रखकर कभी कुछ नहीं किया। इन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। इन्हें केवल डंडा चलाने से मतलब है। मोदी सरकार ने मिडिल क्लास के लोगों पर टैक्स लाद-लादकर उनका जीवन तबाह कर दिया है। इससे निकलकर अब सरकार धीरे-धीरे रिसर्च और शिक्षा पर टैक्स लादने की ओर बढ़ रही है। भाजपा और मोदी जी को समझना होगा कि इससे देश आगे नहीं बढ़ेगा।

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