आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के ऊपर जूता फेंकने और उसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर दी जा रही धमकियों के पीछे दलितों और पूरी न्यायपालिका को दबाने व डराने की साज़िश बताया है। उन्होंने कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश है, तभी जूता फेंकने और धमकियां देने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब दलित मुख्य न्यायाधीश को न्याय नहीं मिल रहा है तो एक आम दलित किससे न्याय की उम्मीद करेगा? इस घटना के बाद अब कोई भी जज अपने ऊपर हमला होने की डर से इन ताकतों के खिलाफ बोलने से बचेगा। देश के सच्चे देशभक्तों से अपील है कि अब चुप मत रहिए, उठिए और न्याय की रक्षा के लिए आवाज उठाइए।
गुरुवार को अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर एक वीडियो जारी कर कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। एक शख्स ने उन पर जूता फेंकने की कोशिश की। इसके बाद सोशल मीडिया पर मुख्य न्यायाधीश को मारने-पीटने और न जाने किस-किस तरह की हिंसा की धमकियां दी जाने लगीं। अलग-अलग तरीकों से उनका अपमान किया गया। इन लोगों ने न तो जूता फेंकने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही धमकियां देने व अपमान करने वालों के खिलाफ कोई कदम उठाया। ऐसा लगा कि जैसे यह सब एक सुनियोजित और सिस्टमेटिक षड्यंत्र है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस घटनाक्रम के जरिए इन लोगों ने समाज के दो तबकों को बहुत कड़ा संदेश देने की कोशिश की है: एक दलित समाज और दूसरी न्यायपालिका। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई दलित समाज से आते हैं। इन लोगों को यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा है कि एक दलित का बेटा अपनी मेहनत और लगन से न्यायपालिका के सर्वोच्च पद तक कैसे पहुंच गया। क्या इनकी ये हरकतें दलित समाज को डराने और अपमानित करने की कोशिशें नहीं हैं? इसके बाद एक आम दलित किससे न्याय की उम्मीद करेगा? क्या इससे दलितों पर अत्याचार करने वालों और उनसे नफरत करने वालों के हौसले बुलंद नहीं होंगे?
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से देश की न्यायपालिका को यह संदेश गया है कि अगर देश के मुख्य न्यायाधीश पर हमला करने वाले पर कोई एक्शन नहीं होता है, तो दूसरे जजों को कौन बचाएगा? फिर इस घटना के बाद कोई भी जज न्याय के हक में फैसला देते हुए इन ताकतों के खिलाफ बोलने से घबराएगा। उसे लगेगा कि इसी तरह उसके ऊपर भी हमला हो सकता है, उसके परिवार को सोशल मीडिया पर धमकियां और अपमान झेलना पड़ सकता है और कोई बचाने वाला नहीं होगा। क्या यह पूरी न्यायपालिका को डराने और काबू में करने का एक गहरा षड्यंत्र तो नहीं है?
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जूता फेंकने वालों को और मुख्य न्यायाधीश को धमकियां देने व उनका अपमान करने वालों को ऐसी सख्त सजा दी जाए कि भविष्य में कोई न्यायपालिका के खिलाफ खिलवाड़ करने की हिम्मत न कर सके। उन्होंने इसे व्यापक संदर्भ में रखते हुए कहा कि चुनाव आयोग, मीडिया और विपक्ष के बाद अब न्यायपालिका की आवाज को दबाकर ये लोग पूरे लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता हमारे देश के अस्तित्व के लिए अहम है। यह अपमान न केवल देश के संविधान का अपमान है, बल्कि बाबा साहब डॉ. अंबेडकर का भी अपमान है। उन्होंने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि यदि वे सच्चे देशभक्त हैं, तो चुप नहीं रह सकते। बोलिए, उठिए और न्याय की रक्षा के लिए आवाज उठाइए। मेरी तरह देशवासियों का भी खून जरूर खौल रहा होगा।
उधर, आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने एक्स पर कहा कि जस्टिस गवई पर हुआ हमला सिर्फ़ एक व्यक्ति पर हुआ हमला नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज और पूरी न्यायपालिका को डराने और बाबा साहेब के संविधान का अपमान करने की कोशिश है। सत्ता में बैठे अहंकारी लोगों को ये बर्दाश्त नहीं हो रहा कि दलित समाज से एक व्यक्ति पढ़-लिखकर देश के सर्वोच्च पद तक कैसे पहुंच गया।