आम आदमी पार्टी ने दिल्ली देहात के किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा देने की मांग की है। “आप” के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दो साल के लंबे संघर्ष के बाद भी किसानों की जमीन का तय मुआवजा बाजार मूल्य से काफी कम है, जबकि पावर ग्रिड के टावर लगने से जमीन की कीमत आधी से भी कम रह गई है। इसके लिए किसान उचित मुआवजा की मांग कर रहे हैं। लिहाजा सरकार को बाजार मूल्य के बराबर जमीन का मुआवजा देना चाहिए। दूसरी तरफ, भाजपा सरकार ने किसानों की एकता तोड़ने के लिए आपस में सटे गांवों का अलग-अलग मुआवजा तय किया है।
शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछले दो साल से औचंदी बॉर्डर पर किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनके खेत में पावर ग्रिड टावर लगने से खेत की कीमत आधी भी नहीं रह जाती है। इन किसानों को उचित मुआवजा पाने के लिए दो साल से संघर्ष करना पड़ रहा है। किसान अलीपुर डीएम ऑफिस में रात भर धरना दिए, तब जाकर उनके मुआवजे के संबंध में थोड़ी से बात आगे बढ़ी है। लेकिन किसानों के इतने लंबे संघर्ष के बाद भी मुआवजे की तय रेट बाजार मूल्य से काफी कम है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों की एकता तोड़ने के लिए षडयंत्र भी कर रही है। इसके लिए सरकार ने आसपास के गांवों के लिए अलग-अलग मुआवजे का रेट तय किए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने वादा किया था कि सरकार बनते ही किसानों की जमीन का म्यूटेशन शुरू हो जाएगा। लेकिन आज भी किसानों को जमीन का म्यूटेशन कराने में बड़ी परेशानियां हैं। साथ ही दिल्ली देहात के ग्रामीणों को तहसील से बनने वाले ओबीसी व एससी के प्रमाण पत्र, नॉन क्रीमी लेयर, आय प्रमाण पत्र समेत अन्य प्रमाण पत्र बनवाने में भी काफी परेशानी और भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है।
प्रेस वार्ता के दौरान एक किसान नेता अशोक नैन ने कहा कि दिल्ली देहात में आज कई बढ़ी समस्याएं हैं। पिछले दो साल से औचंदी बॉर्डर पर अपनी जमीन को लेकर किसान संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली देश की राजधानी है, किसान हमारा अन्नदाता है। किसान धूप और बारिश में संघर्ष कर रहा है, लेकिन भाजपा सरकार ने हमेशा किसानों की हमेशा अनदेखी की है। भाजपा चुनाव में बड़े-बड़े वादे कर वोट बटोर लेती है। औचंदी, हरेली, मंगेशपुर, पंजाब कोड और कुतुबगढ़ जैसे सटे हुए गांवों में जमीन की कीमतें अलग-अलग तय कर किसानों की अनदेखी की गई है। मौजूदा सर्कल रेट से किसानों की जमीन का बहुत कम कीमत लगाई गई है, जिससे किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं। धूप-बारिश में संघर्ष कर रहे किसानों को न्याय मिलना चाहिए।