यमुना की सफाई को लेकर भाजपा की नौटंकी एक बार फिर एक्सपोज हो है। आरटीआई से खुलासा हुआ है कि दिल्ली के सभी 37 एसटीपी जांच में फेल पाए गए हैं। यह जांच भाजपा की ही केंद्र सरकार ने सीपीसीबी से कराई थी। लगता है कि अपनी ही दिल्ली सरकार के जल बोर्ड पर भाजपा की केंद्र सरकार को भरोसा नहीं है। इसलिए उसने यह जांच कराई। ऐसे में बिना ट्रीटेड सीवेज को यमुना में डाले जाने से पानी में फीकल कोलीफार्म की मात्रा तय मानकों से सैकड़ों गुना ज्यादा हो गया है। लिहाजा, जब तक सभी एसटीपी चालू नहीं होंगे और ट्रीटेड पानी तय मानकों के अनुसार नहीं होगा, तब तक यमुना साफ नहीं हो सकती। शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने पार्टी कार्यालय पर प्रेसवार्ता कर यह जानकारी दी।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की भाजपा सरकार ने यमुना को लेकर कई बड़े-बड़े और झूठे दावे किए। इनका कहना था कि हमने यमुना को पूरी तरह साफ कर दिया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 10 साल में इसे साफ नहीं कर पाए। भाजपा सरकार ने तो आते ही आठ महीनों में यमुना को साफ कर दिया। लेकिन इनके नकली यमुना की पोल पूरी दुनिया के सामने खुल चुकी है।
सौरभ भारद्वाज ने एक आरटीआई से प्राप्त जानकारी को साझा करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के 37 सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की जांच कराई गई, जिसमें 37 में से एक भी प्लांट मानकों पर खरा नहीं उतरा और सभी प्लांट फेल पाए गए। अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में सैकड़ों अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइनें बिछाई गईं। इन कॉलोनियों के सीवर को ट्रैप किया गया और सीवेज को सीधे यमुना में गिरने से रोककर एसटीपी तक पहुंचाया गया। वहां पर सीवेज वेस्ट का उपचार किया जाता है, ताकि यह 10/10 मानकों पर खरा उतरे। उसके बाद ही ट्रीटेड वाटर को यमुना में डिस्चार्ज किया जाता है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यमुना सफाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एसटीपी सही ढंग से कार्य करें। एसटीपी से निकलने वाला पानी साफ होना चाहिए, जो निर्धारित मानकों का पालन करे। इसके अलावा, जिन कॉलोनियों और नालों पर अभी एसटीपी का कार्य चल रहा है, वे यथा शीघ्र्र पूरे कर चालू हो जाएं। तभी यमुना पूरी तरह साफ हो सकती है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह जांच अक्षरधाम, चिल्ला, कोरोनेशन पिलर (फेज वन-टू-थ्री), न्यू दिल्ली गेट, दिल्ली गेट, घिटोरनी, कापसहेड़ा, केशवपुर, कोंडली, मेहरौली, मोलरबंद, नजफगढ़, नरेला, नीलोठी, ओखला, पप्पन कलां, रिठाला, रोहिणी, वसंत कुंज, सोनिया विहार तथा यमुना विहार (सभी फेज वन-टू-थ्री-फोर) सहित सभी 37 एसटीपी पर की गई। सभी प्लांट फेल पाए गए। इससे भी गंभीर बात यह है कि यह रिपोर्ट दिल्ली सरकार या दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार की है। डीजेबी का तो प्रतिदिन एसटीपी से सैंपल लेकर टेस्ट करने का दायित्व है, ताकि डिस्चार्ज मानकों पर हो और फ्रीक्वेंसी बढ़ाई या घटाई जा सकती है। इसका मतलब साफ है कि केंद्र सरकार को भी डीजेबी की रिपोर्टों पर भरोसा नहीं है। इनकी लैब टेस्ट रिपोर्ट्स पर विश्वास नहीं किया जा रहा है।
सौरभ भारद्वाज ने खुलासा किया कि डीजेबी का दायित्व है कि यदि एसटीपी मानकों पर डिस्चार्ज नहीं कर रहे, तो ठेकेदारों या प्राइवेट वेंडर्स (जो ज्यादातर प्लांट चला रहे हैं) पर कार्रवाई की जाए। इसलिए केंद्र सरकार ने सीपीसीबी (सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) को निर्देश देकर सभी एसटीपी के डिस्चार्ज की जांच कराई। रिपोर्ट में 37 में से 37 प्लांट फेल साबित हुए। खासकर 36 प्लांटों में फीकल कोलीफॉर्म (मल-मूत्र की मात्रा) ट्रीटमेंट के बाद भी निर्धारित मानकों से सैकड़ों गुना अधिक पाई गई। जब एसटीपी प्लांट ही सही ढंग से चालू नहीं हैं, तो यमुना को साफ करने का दावा कैसे कर लेंगे? भाजपा सरकार ने यमुना सफाई के नाम पर केवल नौटंकी की, जो अब सबके सामने आ चुका है।