दिल्ली की भाजपा सरकार का डेटा फ्रॉड का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार एक्यूआई के डेटा में फर्जीवाड़ा तो कर रही है, अब यमुना के जल प्रदूषण का डेटा भी दबाने लगी है। पिछले तीन महीने से दिल्ली सरकार द्वारा यमुना प्रदूषण की रिपोर्ट जारी नहीं करने पर आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का डेटा फ्रॉड सिर्फ एक्यूआई तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब यमुना प्रदूषण का डेटा भी छिपाने लगी है। मेरे खुलासे के बाद, पिछले तीन महीने से रेखा गुप्ता की सरकार ने यमुना प्रदूषण की रिपोर्ट जारी करना ही बंद कर दिया है।
सौरभ भारद्वाज ने याद दिलाया कि जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तो हर महीने यमुना प्रदूषण का डेटा जारी किया जाता था। ‘‘आप’’ सरकार में वर्ष 2014 से लगातार यमुना प्रदूषण की मासिक रिपोर्ट जारी की जा रही थी, जो एक जवाबदेश सरकार की पहचान है। लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार तो जांच तक को रोक रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा नियुक्त आईआईटी दिल्ली एक्सपर्ट पैनल को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और प्रदूषण का डेटा लेने तक से रोक रही है। जानबूझ कर यमुना प्रदूषण की वास्तविक स्थिति को छिपाया जा रहा है, जो चिंता की बात है।
सौरभ भारद्वाज ने 25 अक्टूबर 2025 को एक्स पर की गई अपनी एक पोस्ट को मंगलवार को दोबारा साझा किया है। उन्होंने डीपीसीसी द्वारा 23 अक्टूबर का जारी यमुना में जल प्रदूषण रिपोर्ट को साझा कर कहा था कि डीपीसीसी की रिपोर्ट बताती है कि यमुना का पानी नहाने लायक भी नहीं है। यह रिपोर्ट बताती है कि यमुना के पानी में मानव मल की मात्रा अत्यधिक है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 23 अक्टूबर को दिल्ली सरकार द्वार यमुना के जल प्रदूषण पर आखिरी रिपोर्ट जारी की गई थी।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यमुना के जल प्रदूषण को लेकर मेरे खुलासे को तीन महीने हो चुके हैं। अक्टूबर के बाद से पिछले तीन महीनों से मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और जल मंत्री प्रवेश वर्मा की दिल्ली सरकार ने यमुना में प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित करना बंद कर दिया है। इस सरकार का डेटा फ्रॉड सिर्फ एक्यूआई डेटा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब यमुना का डेटा भी छिपाया जा रहा है।
सौरभ भारद्वाज ने पिछली “आप” सरकार के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘आप’’ सरकार द्वारा पारदर्शिता को संस्थागत बनाया गया था। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार 2014 से यमुना प्रदूषण पर मासिक रिपोर्ट प्रकाशित कर रही थी। एक जवाबदेह और पारदर्शी सरकार ऐसी ही होती है, जिसका नेतृत्व एक आईआईटीयन कर रहा था।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार यमुना के जल में प्रदूषण की जांच में भी बाधा डाल रही है। उन्होंने एक न्यूज रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार आईआईटी दिल्ली की टीम को एसटीपी और प्रदूषण डेटा तक लेने की इजाजत भी नहीं दे रही है। एनजीटी ने 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कामकाज की समीक्षा के लिए एक आईआईटी एक्सपर्ट पैनल नियुक्त किया है, लेकिन दिल्ली सरकार उसका सहयोग ही नहीं कर रही है और उन्हें डेटा तक लेने से मना कर रही है। इससे यमुना की वास्तविक स्थिति को जानबूझकर छिपाने की आशंकाएं और गहराती जा रही हैं।
उल्लेखनीय है कि, अक्टूबर 2025 में सौरभ भारद्वाज ने बताया था कि जारी रिपोर्ट से यमुना में प्रदूषण का खतरनाक स्तर सामने आया है। उन्होंने कहा था कि 23 अक्टूबर 2025 की डीपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार, यमुना का पानी नहाने लायक भी नहीं है। रिपोर्ट साफ दिखाती है कि नदी का पानी बहुत ज्यादा प्रदूषित है और इसमें मानव मल की मात्रा अत्यधिक है।
उन्होंने चेतावनी दी थी कि ऐसे डेटा को छिपाने के नतीजे गंभीर होंगे और यह राजनीतिक मकसद से किया जा रहा है। सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि झूठे प्रोपेगेंडा और बिहार चुनावों के लिए भाजपा नेता चाहते हैं कि गरीब पूर्वांचली बच्चे यह पानी भी पिएं। ये बच्चे गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं, उनकी मौत भी हो सकती है। यह सब तब है, जब हरियाणा सरकार ने सात दिनों के लिए पूर्वी यमुना नहर का पूरा पानी यमुना में मोड़ दिया था। एक बार जब यह डायवर्जन बंद हो जाएगा, तो प्रदूषण का स्तर और खराब हो जाएगा और भाजपा एक बार फिर एक्सपोज हो जाएगी।