पार्टी मुख्यालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि कल भाजपा शासित दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री ने एक प्रेस वार्ता कर पत्रकारों के सामने कई ऐसी बातें कहीं जो कि बिल्कुल झूठ है और साथ ही साथ उन्होंने हाईकोर्ट की कार्यवाही को भी अपनी मर्जी के मुताबिक तोड़ मरोड़ कर पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत किया जो कि अदालत की अवमानना है और कानूनन अपराध है। सौरभ भारद्वाज ने बताया कि यह सारा मामला 20 मार्च से शुरू हुआ। उन्होंने बताया की द्वारका में स्थित डीपीएस स्कूल तथा दिल्ली के अन्य और कई प्राइवेट स्कूल जिन्होंने अनाप-शनाप तरीके से स्कूल की फीस बढ़ा दी । उन्होंने बताया कि जिन बच्चों के माता-पिता ने बढ़ी हुई फीस का भुगतान नहीं किया, उन बच्चों को डीपीएस स्कूल कक्षा में नहीं बैठने दे रहा था, उन सभी बच्चों को स्कूल लगातार प्रताड़ित कर रहा था और सभी बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा था। यहां तक की यदि बच्चे टॉयलेट करने भी जाते थे तो उस पर भी स्कूल प्रशासन ने पहरा लगाया हुआ था। स्कूल द्वारा इस प्रकार मनमाने तरीके से बढ़ाई गई फीस के खिलाफ पूरी दिल्ली में अलग-अलग स्कूल के बच्चों के माता-पिता लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। माता-पिता शिक्षा विभाग में भी इस बात की शिकायत कर चुके हैं। शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को भी स्कूल की मनमानी के संदर्भ में शिकायत लिख चुके हैं। परंतु कहीं से किसी प्रकार की कोई भी मदद अभिभावकों को नहीं मिली। स्कूलों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही दिल्ली सरकार की ओर से या शिक्षा विभाग की ओर से नहीं की गई और स्कूलों की मनमानी लगातार जारी है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब प्राइवेट स्कूलों की इस मनमानी की जानकारी आम आदमी पार्टी को मिली तो हमने इसके खिलाफ आवाज उठाई, कई प्रेस वार्ताएं करी तब जाकर आनन-फानन में दिल्ली सरकार ने डीएम के अधीन एक कमेटी का गठन किया। जिसमें यह तय हुआ कि स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से बढ़ाई गई फीस की शिकायत की जांच की जाएगी, बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाकर जो प्रताड़ित किया जा रहा है उसकी जांच की जाएगी। सौरभ भारद्वाज ने बताया की 3 अप्रैल को डीएम ने डीपीएस द्वारका का दौरा किया और डीएम ने पाया कि सचमुच बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा है। डीएम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को लिखा की बच्चों के साथ यह प्रताड़ना की जा रही है, परंतु दिल्ली की जनता को इस बात पर गुमराह किया जा रहा है की स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से बढ़ाई गई फीस का ऑडिट किया जाएगा, क्योंकि हाई कोर्ट की कार्यवाही में जो डीएम की रिपोर्ट है उसमें डीएम द्वारा इस बात की जानकारी तो दी गई है कि बच्चों को क्लास अटेंड नहीं करने दी जा रही है, लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा है, प्रताड़ित किया जा रहा है। परंतु मनमाने तरीके से स्कूल द्वारा बढ़ाई गई फीस के संबंध में डीएम की ओर से कोई भी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत नहीं की गई है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब दिल्ली सरकार की ओर से, शिक्षा मंत्री की ओर से शिक्षा, विभाग की ओर से किसी प्रकार की कोई सहायता बच्चों के माता-पिता को नहीं मिली तो मजबूरन बच्चों के माता-पिता को इकट्ठा होकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इस संबंध में बच्चों के माता-पिता को हाई कोर्ट जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री झूठा क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं, हाई कोर्ट में स्कूलों के खिलाफ यह मुकदमा प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता द्वारा किया गया। उन्होंने मीडिया के माध्यम से चुनौती देते हुए कहा कि यदि दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने यह मुकदमा किया है, तो वह दिल्ली की जनता के सामने इसके कागज प्रस्तुत करें।
मामले से जुड़ी बेहद ही महत्वपूर्ण जानकारी पत्रकारों के साथ साझा करते हुए सौरभ भारद्वाज ने बताया, कि जब हाई कोर्ट में यह मामला गया तो हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बुरी तरह से लताड़ लगाई।उन्होंने बताया कि कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से अब तक क्या कार्यवाही की गई? तो दिल्ली सरकार ने जवाब में कहा कि हमने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि 15 मार्च से बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है, लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा है, डीएम ने स्कूल का दौरा किया और मौके पर पाया भी की बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है, तो डीएम ने इस पर स्कूल के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? कोर्ट ने साथ ही साथ