आम आदमी पार्टी ने सरकारी स्कूलों के पांच हजार शिक्षकों के तबादले का आदेश वापस लेने को भाजपा के अहंकार की हार करार दिया। “आप” के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडे ने कहा कि आखिरकार केजरीवाल सरकार के शिक्षा मंत्री आतिशी और शिक्षक संघों का संघर्ष सफल रहा और भाजपा के एलजी को शिक्षकों का तबादला वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री आतिशी के निर्देशों के खिलाफ जाकर सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले 5006 शिक्षकों का तबादला कर दिया गया था। इसका दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त विरोध किया। सच ये है कि भाजपा ने केजरीवाल सरकार के क्रांतिकारी शिक्षा मॉडल को बर्बाद करने के लिए एलजी से शिक्षकों का ट्रांसफर कराया, जबकि उसके शासित राज्यों में स्कूलों का बुरा हाल है। भाजपा को चाहिए कि वो दिल्ली के बच्चों का भविष्य बर्बाद करने की बजाय अपने राज्यों में सरकारी स्कूलों को बेहतर करे।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक दिलीप पांडे ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि दिल्ली के 5006 शिक्षकों का तबादला हुआ और दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वालों सभी शिक्षकों देखा कि किस तरह शिक्षा मंत्री आतिशी द्वारा तबादला रोकने के लिखित निर्देश दिए जाने के बावजूद उनके ट्रांसफर किए गए। अन्य सरकारी पदों ने अलग एक शिक्षक के लिए यह जरूरी होता है कि वह एक जगह पर टिक कर लंबे समय तक पढ़ाए और अपनी कर्तव्यों का निर्वहन करे। देश की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी भी शिक्षकों के तबादले का समर्थन नहीं करती है। लेकिन इसके बावजूद भाजपा के इशारे पर ये तबादले हुए। आम आदमी पार्टी ने इसका पुरजोर विरोध किया। हमने दिल्ली के शिक्षकों के हक और इंसाफ की आवाज बुलंद की और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 16-17 लाख बच्चों के भविष्य के लिए इस आदेश को वापस लेने की मांग की। सरकार से आग्रह किया गया कि सरकारी हस्तक्षेप के जरिए इन तबादलों को रोका जाए। आखिरकार, सच्चाई की जीत हुई और भाजपा के सियासी अहंकार की हार हुई। 5000 से ज्यादा शिक्षकों का तबादला रुक गया।
दिलीप पांडे ने कहा कि भाजपा यह सब केवल राजनैतिक ईर्ष्या की वजह से कर रही थी। आज भाजपा शासित राज्यों में सरकारी स्कूलों की स्थिति इतनी खराब है कि ज्यादातर स्कूलों की बिल्डिंग नहीं हैं, कई जगहों पर शिक्षक नहीं आते। जहां शिक्षक आते हैं, वहां बच्चे नहीं आते, और जहां बच्चे आते हैं, वहां अच्छी पढ़ाई नहीं होती। भाजपा शासित राज्यों में सरकारी स्कूलों की हालत बहुत बुरी है। लेकिन जब उसने देखा कि अरविंद केजरीवाल के दिशा-निर्देशन में मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में एक क्रांतिकारी एजुकेशन मॉडल को लागू किया, तो भाजपा को यह खूबसूरत सच अच्छा नहीं लगा। उन्हें मालूम था कि सरकारी नीतियों और एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) पेरेंट-टीचर कॉर्डिनेशन के अलावा शिक्षक इस एजुकेशन मॉडल की तीसरी सबसे मजबूत कड़ी हैं। अगर इन शिक्षकों का हौसला तोड़ा जाए तो इस एजुकेशन मॉडल को ध्वस्त किया जा सकता है। इसलिए भाजपा ने अपने एलजी साहब के जरिए रातों-रात शिक्षकों के तबादले करवाए। लेकिन शिक्षकों की एकजुटता और दिल्ली सरकार के लगातार हस्तक्षेपों की वजह से ये ट्रांसफर रुक गए। हम सभी शिक्षकों और दिल्लीवासियों को आश्वस्त करते हैं कि अरविंद केजरीवाल के दिशा-निर्देशन में दिल्लीवालों के काम न पहले कभी रुके थे और न ही आने वाले वक्त में रुकेंगे।
दिलीप पांडे ने कहा कि भाजपा अपनी सियासी अहंकार की भट्ठी में बच्चों के भविष्य को झोंकने के बजाय अपने राज्यों के सरकारी स्कूलों को बेहतर करने पर ध्यान लगाए। इसके लिए भले ही हमारी सरकार से भी राय मशविरा ले लें, लेकिन अगर वे अपने स्कूलों को बेहतर कर लेंगे, तो यह ईर्ष्या खत्म हो जाएगी और वहां के बच्चों का भविष्य भी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तरह सुरक्षित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में अफसरशाही की तरफ से भी लापरवाही हुई है। शिक्षा मंत्री के लिखित निर्देश के बावजूद शिक्षकों के ट्रांसफर का ऑर्डर जारी किया गया। दिल्ली की शिक्षा मंत्री से हमारा आग्रह है कि वह इस बात का संज्ञान लेते हुए पड़ताल करें। जिन अफसरों की जवाबदेही दिल्ली की जनता के प्रति होनी चाहिए, जो जनता के टैक्स के पैसे से अपनी सैलरी पाते हैं, उनकी गड़बड़ी का सच सामने आए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।