आम आदमी पार्टी ने सोमवार को भाजपा सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा में लाए गए स्कूल फीस बिल के खिलाफ विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। इससे पहले, नेता प्रतिपक्ष आतिशी के नेतृत्व में ‘‘आप’’ विधायकों ने बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया। आतिशी ने कहा कि अप्रैल से जुलाई तक किसी न किसी बहाने से भाजपा जानबूझकर बिल को टालती रही, ताकि प्राइवेट स्कूल आराम से फ़ीस बढ़ा लें और अभिभावकों से जबरन वसूली कर सकें। ‘‘आप’’ की दो मांग है। पहला, बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए ताकि अभिभावकों और विशेषज्ञों की राय ली जा सके और दूसरा, सभी स्कूलों की फीस को 2024-25 के स्तर पर स्थिर किया जाए, ताकि प्राइवेट स्कूल मनमानी न कर सकें। ‘‘आप’’ दिल्ली के बच्चों और माता-पिता के हक की लड़ाई लड़ेगी और भाजपा को जनता की सुननी पड़ेगी।
आतिशी ने कहा कि भाजपा और प्राइवेट स्कूलों के साथ सांठगांठ है। उन्होंने मांग रखी है कि बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजा जाए और सभी पक्षों से रायशुमारी की जाए। भाजपा दिल्ली प्रदेश कार्यकारणी के अध्यक्ष भरत अरोड़ा स्कूल के मालिक भी है, उनके अनुसार यह बिल बनाया गया है। भरत अरोड़ा पिछले दस साल से आम आदमी पार्टी के खिलाफ प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ाने के लिए कोर्ट में लड़ते आए हैं। अब उनकी सरकार बन गई है। इसलिए शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने उनके द्वारा बनाए गए बिल को सदन में पेश किया है। यह बिल सिर्फ प्राइवेट स्कूल मालिकों के हित में बनाया गया है।
इससे पहले, पार्टी मुख्यालय पर ‘‘आप’’ विधायक दल के चीफ व्हीप संजीव झा के साथ प्रेसवार्ता कर आतिशी ने कहा कि अप्रैल में यह बिल कैबिनेट में पास हुआ। अप्रैल में कहा गया कि विधानसभा का विशेष सत्र होगा और उसमें बिल टेबल किया जाएगा। लेकिन कोई विशेष सत्र नहीं हुआ। मई में इस बिल को टेबल करने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया, लेकिन आखिरी मौके पर कैंसिल कर दिया गया। फिर जून कहा गया कि सरकार इस बिल को अध्यादेश के माध्यम से ला रही है। अध्यादेश कैबिने में पास हो गया है, केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है और किसी भी दिन कानून बन जाएगा। लेकिन वह अध्यादेश भी गायब हो गया। अब जुलाई में कहा गया कि विधानसभा के मानसून सत्र में यह बिल पेश किया जाएगा।
आतिशी ने कहा कि अप्रैल, मई, जून, जुलाई यानि चार महीने बीत गए, क्योंकि सरकार के साथ सांठगांठ कर चुके प्राइवेट स्कूल आराम से मनमानी फीस बढ़ा सकें। बच्चों व पैरेंट्स को डरा- धमकाकर उनसे साल की बढ़ी फीस ले लें। इसलिए चार महीने तक बिल को विधानसभा में पेश नहीं किया गया। जब यह बिल पेश किया जा रहा है तो यह बिल 100 फीसद फर्जीवाड़ा है। यह बात इससे पता चलती है कि शैक्षिक सत्र 2025-26 में प्राइवेट स्कूलों ने बेतहाशा फीस बढ़ाई है। उस फीस को कंट्रोल करने का बिल में कहीं पर कोई प्रावधान नहीं है। बिल में स्पष्ट लिखा है कि 15 अगस्त तक कमेटी बननी होगी। जबकि यह बिल ही 4 अगस्त को पेश हो रहा है। अब इस पर सदन में बहस होगी, फिर यह पास होगा। इसके बाद केंद्र सरकार के पास जाएगा, फिर गजट में आएगा। 15 अगस्त तो ऐसे ही पार हो जाएगा। फिर कहा जाएगा कि इस साल की तारीख तो निकल गई, अगले साल से देखेंगे। इससे स्पष्ट है कि इस साल बेतहाशा बढ़ी फीस पर बिल के आने से कोई लगाम नहीं लगेगा।
आतिशी ने कहा कि 13 पन्नों के बिल में कहीं पर भी प्राइवेट स्कूलों के खातों का ऑडिट करने का प्रावधान नहीं है। इसका मतलब प्राइवेट स्कूल मनमाना फीस बढ़ा सकते हैं। स्कूल की फीस बढ़ाने वाली कमेटी की अध्यक्षता प्राइवेट स्कूल की मैनेजमेंट करेगी। ये वही स्कूल मैनेजमेंट है, जिसके खिलाफ 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में सड़कों पर उतर कर पैरेंट्स प्रदर्शन कर रहे थे। यह बिल सिर्फ प्राइवेट स्कूल मालिकों को बचाने के लिए लाया जा रहा है। आम आदमी पार्टी विधानसभा के सत्र से लेकर सड़क तक इसका विरोध करेगी। अगर कोर्ट भी जाना पड़ेगा तो कोर्ट भी जाएंगे। जिस तरह से यह बिल बिना परदर्शिता और रायशुमारी के लाया गया है और प्राइवेट स्कूलों को बचाने के लिए जो प्रावधान किया गया है, उसका विरोध करेंगे।
आतिशी ने भाजपा सरकार के समक्ष दो मांगें रखते हुए कहा कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। सेलेक्ट कमेटी पैरेंट्स, स्कूलों, एक्टिविस्ट और शिक्षकों से रायशुमारी करेगी। उनका फीडबैक लेगी। इस रायशुमारी के आधार पर बिल को अंतिम रूप दिया जाए। दूसरी मांग है कि जब तक बिल अंतिम रूप नहीं ले लेता है, तब तक सभी स्कूलों पर यह नियम लागू किया जाए कि 2024-25 के आधार पर सारी फीस को फ्रीज किया जाए। यानि पिछले साल प्राइवेट स्कूल जितनी फीस ले रहे थे, उससे अधिक फीस बढ़ाने का अधिकार किसी भी स्कूल को नहीं दिया जाए। सदन में यह दोनों मांग आम आदमी पार्टी रखेगी।
इस दौरान बुराड़ी से विधायक और ‘‘आप’’ विधायक दल के चीफ व्हीप संजीव झा ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा लाया जा रहा स्कूल फीस बिल बच्चों और उनके पैरेंट्स के हित में नहीं