सीबीएसई बोर्ड में शानदार प्रदर्शन करने वाले बच्चों को सम्मानित करने की परंपरा को जारी रखते हुए दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को दिल्ली के सरकारी स्कूलों के सीबीएसई बोर्ड के 10वीं-12वीं के टॉपर्स से मुलाक़ात की और बोर्ड परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दी।
बता दे कि, मनीष सिसोदिया से मिलने वाले बच्चों में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों द्वारा अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों से लाए गए सीबीएसई के टॉपर बच्चे शामिल थे।
इस मौके पर टॉपर्स को संबोधित करते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि, “आप सभी बच्चों ने अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत ख़ुद का, अपने स्कूल का, अपने पेरेंट्स का और पूरी दिल्ली का मान बढ़ा रहे है।”
उन्होंने कहा कि, “2015 में दिल्ली में सरकार स्कूल जर्जर हाल में होते थे। क्लासरूम में डेस्क नहीं, ब्लैकबोर्ड नहीं, पंखें नहीं, टूटी दीवारें-खिड़कियां और बदहाल टॉयलेट सरकारी स्कूल का पर्याय बन चुके थे। लेकिन हमनें सरकारी स्कूलों को बदलने का काम किया। स्कूलों को शानदार बनाया और बच्चों की बेहतर पढ़ाई पर निवेश किया, मेहनत की और आज आप बच्चों के शानदार रिजल्ट के रूप में, आपकी तरक्की के रूप में उसका परिणाम सभी के सामने है।”
श्री सिसोदिया ने कहा कि, “बोर्ड रिजल्ट के बाद बच्चों से मुलाकात करना 10 साल से चलती आ रही हमारी परंपरा का हिस्सा है। बेशक आज मैं शिक्षा मंत्री नहीं हूँ लेकिन मनीष सिसोदिया बनकर ही इस परंपरा को कायम रखा है और ये आगे भी जारी रहेगा।”
टॉपर्स ने क्या कहा?
शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया से मिलकर रो पड़ी बच्ची कहा- “आपने सरकारी स्कूलों को बनाया शानदार
न्यू कोंडली के सरकारी स्कूल से दसवीं में शानदार प्रदर्शन करने वाली छात्रा मनीष सिसोदिया से मिलकर रो पड़ी और कहा कि, “आपके सरकारी स्कूलों को बहुत अच्छा बना दिया है।” उसनें साझा किया कि, “मुझे यूपीएसई करनी है और इसके लिए मैंने अभी से मेहनत शुरू कर दी है। घर की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है, पिताजी सिलाई का काम करते है लेकिन कभी भी मेरे पैरेंट्स ने अपना हाथ पीछे नहीं खींचा और मुझे हमेशा पढ़ाई में सपोर्ट किया। साथ ही मेरे टीचर्स ने भी हर मौके पर मुझे सपोर्ट किया।”
12वीं में शानदार प्रदर्शन करने वाली सिया ने साझा किया कि, “आगे की पढ़ाई के बाद मुझे बैंकिंग सेक्टर में जाना है और लोगों को जागरूक करना है कि कैसे वो अपने फंड्स को बेहतर ढंग से निवेश कर सकते है।
वीर सावरकर सर्वोदय स्कूल से 10 वीं में शानदार प्रदर्शन करने वाली एक छात्रा ने साझा करते हुए कहा कि, “मुझे बोर्ड में अच्छे मार्क्स मिले लेकिन मेरा मानना है कि जीवन में मार्क्स से ज़्यादा ये मायने रखता है कि आपने क्या क्या सीखा और कितना सीखा।”
12 वीं में शानदार प्रदर्शन करने वाले अंश कुमार राय ने कहा कि, “मेरे पिताजी ड्राइवर है और माँ हाउसवाइफ है लेकिन उन दोनों ने हमेशा मुझे पढ़ाई में सपोर्ट किया। मैं आगे सीए बनकर अपनी फ़ैमिली को सपोर्ट करना चाहता हूँ।”
एक अन्य छात्रा ने साझा किया कि, “मेरे पिताजी दैनिक मज़दूर है, मुझे पढ़ाई को लेकर कई बार आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ा लेकिन मैंने मेहनत करना जारी रखा। छात्र ने कहा कि, “मैं यूपीएससी की तैयारी करूँगी और अधिकारी बनकर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की मदद करूँगी।”
पैरेंट्स ने क्या कहा?
एक पैरेंट्स ने साझा करते हुए बताया कि, “मुझे बिज़नेस में काफ़ी नुक़सान हुआ जिस कारण मैंने अपनी बच्ची का सरकारी स्कूल में दाखिला करवाया और जब पहली बात स्कूल में गया तो वो सरकारी स्कूल मुझे किसी बड़े प्राइवेट स्कूल से कम नहीं लगा। उन्होंने कहा कि, सरकारी स्कूलों के बच्चों पर किसी का ध्यान नहीं होता लेकिन अरविंद केजरीवाल जी और मनीष सिसोदिया जी ने सरकारी स्कूलों का कायापलट ही कर दिया जिस कारण बच्चे शानदार प्रदर्शन कर रहे है। इस बार बेशक दिल्ली के लोगों से गलती हो गई लेकिन हम अपनी गलती सुधारेंगे।”
एक अन्य पेरेंट्स ने साझा किया कि, “हमें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है कि मनीष सिसोदिया जी वो इंसान जिसने पूरे एजुकेशन सिस्टम को बदल दिया ने हमें आज मिलने को बुलाया है।”
इस मौके पर श्री सिसोदिया ने कहा कि, “आप बच्चों की मेहनत और कॉन्फिडेंस देखकर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। ये शिक्षा क्रांति पर की गई मेहनत का फल है जो आज आपके शानदार प्रदर्शन के रूप में पूरी दिल्ली को मिल रहा है।”
उन्होंने बच्चों का आत्मविश्वास और शुभकामनाएं हुए कहा कि, “आप युवा इस देश का भविष्य है। आप सभी इसी तरह मेहनत करते रहें और भारत का नाम रौशन करें।”
श्री सिसोदिया ने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा कि, “आज दिल्ली के कुछ सरकारी स्कूलों के टॉपर्स के साथ थोड़ी गपशप हुई। 10वीं और 12वीं के ये होनहार बच्चे, जो दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं — इनकी आँखों में बड़े-बड़े सपने हैं। और मुझे गर्व है कि 2015 में अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में जो शिक्षा क्रांति शुरू की थी, आज उसकी फसल लहरा रही है — सपनों की, उम्मीदों की, आत्मविश्वास की। इन बच्चों की आँखों में देख कर सुकून मिलता है — कि हां, अगर सरकार ईमानदारी से शिक्षा पर ध्यान दे तो किसी गरीब का बच्चा भी दुनिया की किसी भी बुलंदी तक पहुँच सकता है। 2015 से ही हर साल मैं और केजरीवाल जी दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टॉपर्स से मिलते थे — उन्हें सम्मानित करते थे, आशीर्वाद देते थे। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, एक संदेश था — कि सरकार का सबसे बड़ा काम शिक्षा है। उम्मीद थी कि BJP की नई सरकार कम से कम इस परंपरा को ज़िंदा रखेगी। लेकिन अफ़सोस… BJP है — और शिक्षा से इनका क्या लेना-देना।”