आम आदमी पार्टी ने बीजेपी सरकार द्वारा पुरानी गाड़ियों को सड़कों से हटाने का तुगलकी फरमान वापस लेने पर दिल्ली की जनता को बधाई दी है। ‘‘आप’’ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पुरानी गाड़ियां ज़ब्त करने का तुग़लकी फरमान दिल्ली की भाजपा सरकार को वापस लेना पड़ा। भाजपा सरकार कोर्ट के आदेश का सिर्फ़ बहाना बना रही थी। जब जनता एक हो गई और आवाज़ उठाई गई तो भाजपा सरकार को झुकना पड़ा। इस देश में जनता सर्वाेपरि है, किसी की ज़बरदस्ती ज्यादा दिन तक नहीं चलती।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कुछ ही महीनों में साफ हो गया है कि बीजेपी सरकार “फुलेरा की पंचायत” की तरह काम कर रही है। उन्होंने भाजपा सरकार से सवाल किया कि पहले तो भाजपा के एक उत्साही मंत्री ने 31 मार्च से वाहन प्रतिबंध लागू करने की घोषणा जोर-शोर से की थी। फिर, उन्होंने इसे इतनी सख्ती से लागू करने की ठानी कि हर किसी को अपने वाहन स्क्रैप करने पड़ेंगे। इससे 61 लाख परिवार प्रभावित होते। जाहिर है, इससे नए वाहनों की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ती और भारी मुनाफा होता। आखिर दिल्ली सरकार इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए इतनी उत्सुक क्यों थी?
उन्होंने कहा कि अगर यह प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण था, तो अब सरकार उस आदेश को कैसे नजरअंदाज कर सकती है? अगर उनके पास इस तथाकथित आदेश को नजरअंदाज करने का विकल्प था, तो शुरू में ऐसा क्यों नहीं किया? वैसे, सीएक्यूएम कोई कोर्ट नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक नौकरशाह के नेतृत्व वाला निकाय है। जब सीएक्यूएम ने इतना बेतुका आदेश दिया, तो दिल्ली सरकार इसे लागू करने के लिए इतनी उत्सुक क्यों थी और यह आदेश हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों के लिए भी था, फिर केवल दिल्ली सरकार ही इसे लागू करने में इतनी उत्साहित क्यों थी?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पुरानी गाड़ियां जब्त करने का तुगलकी फरमान दिल्ली की भाजपा सरकार को वापस लेना पड़ा। भाजपा सरकार कोर्ट के आदेश का सिर्फ बहाना बना रही थी। जब जनता एक हो गई और आवाज उठाई गई तो भाजपा सरकार को झुकना पड़ा। इस देश में जनता सर्वाेपरि है, किसी की जबरदस्ती ज्यादा दिन तक नहीं चलती।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा की दिल्ली सरकार के एक तुगलकी फरमान के खिलाफ लोगों ने सोशल मीडिया और गली-मोहल्लों में आवाज उठाई और उस आवाज के कारण भाजपा सरकार को अपना तुगलकी फरमान वापस लेना पड़ा। कुछ दिनों पहले भाजपा के मंत्री उछल-उछलकर लोगों को लगभग धमका रहे थे कि अगर कोई डीजल की गाड़ी 10 साल पुरानी हो या पेट्रोल की गाड़ी 15 साल पुरानी हो, तो उसे दिल्ली में रहने नहीं देंगे। पेट्रोल पंपों पर स्पेशल टीमें लगाई जाएंगी, कैमरे लगाए जाएंगे। यह मामला करीब 61 लाख गाड़ियों का है, जिसमें 18 लाख कारें और करीब 41 लाख बाइक है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि करीब 61 लाख परिवार दो दिन से दहशत में थे कि अगर उनकी गाड़ी जब्त कर ली गई, तो नई गाड़ी कैसे खरीदेंगे? हर किसी की आर्थिक स्थित ऐसी नहीं होती है कि वह नई गाड़ी खरीद ले। कई रिटायर्ड दंपत्ति हैं, जिनके पास रिटायरमेंट के बाद एक गाड़ी है, जिसे वे आसपास की मार्केट तक जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। महीने में उनकी गाड़ी कभी-कभी 20-25 किलोमीटर ही चलती है। अगर उनकी गाड़ी जब्त कर ली जाए, तो वे नई गाड़ी कैसे खरीदेंगे?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह साफ दिख रहा था कि इस तुगलकी फैसले का फायदा सिर्फ बड़े-बड़े धन्ना सेठों को होने वाला है, जो कार मैन्युफैक्चरर्स और ऑटोमोबाइल कंपनियों को चलाते हैं। उनकी कारें और बाइक खूब बिकने वाली थीं। 61 लाख वाहन बिकने थे और ओला-उबर की चांदी होनी थी। कुछ ही दिन पहले केंद्र सरकार ने कह दिया था कि ओला-उबर अब दोगुने दाम तक बढ़ाकर अपने ग्राहकों को चूस सकते हैं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हर तरह से मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास का गला घोंटने का प्लान तैयार था, जिसमें बड़े-बड़े उद्योगपतियों को फायदा होने वाला था और मिडिल क्लास व लोअर मिडिल क्लास की हालत खराब होने वाली थी। झूठ बोला जा रहा था कि सरकार के पास कोई चारा नहीं है, क्योंकि कोर्ट ने आदेश दे दिया है। लेकिन जनता की एकजुट आवाज की वजह से आज इस सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के सभी लोगों को बहुत बधाई देता हूं, जिनके दबाव की वजह से सरकार को झुकना पड़ा और अब उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया। अब कोर्ट का फैसला कहां गया? अब क्या कोई दिक्कत नहीं है? कोर्ट के फैसले को सिर्फ बहाना बनाया जाता है। सरकार जो करना चाहती है, वह करती है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया था कि दिल्ली के अंदर अफसरशाही, ब्यूरोक्रेसी, सर्विसेज और विजिलेंस का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास होना चाहिए। लेकिन 10 दिन के अंदर केंद्र सरकार ऑर्डिनेंस लाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पहले भी मुख्य चुनाव आयुक्त चुनने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि कमेटी में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तीन लोग होंगे, लेकिन भाजपा ने अध्यादेश लाकर मुख्य न्यायाधीश को कमेटी से हटाकर केंद्र के एक मंत्री को शामिल कर लिया, ताकि केंद्र सरकार जिसे चाहे, उसे मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भाजपा कब मानती हैं? जब उसे सुविधा होती है, तब वह ऑर्डिनेंस लाकर फैसले को पलट देते हैं और जहां सुविधा होती है, वहां कोर्ट के फैसले का बहाना बनाकर लोगों को गुमराह करते हैं। बीजेपी गुमराह करना छोड़ दे। बीजेपी खिलाफ आम आदमी पार्टी विपक्ष में बैठी है और वह पढ़े-लिखे लोग हैं। अगर बीजेपी कोई गलत काम करेगी, तो हम उसकी पोल खोलने का काम करेंगे और रोज करेंगे। बीजेपी के लोग सोचते होंगे कि हमें डरा देंगे, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं।
उधर, ‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने गुरुवार को कहा कि भाजपा दिल्ली में सरकार नहीं, फुलेरा की पंचायत चला रही है। ये किसी दिन वाहनों को जब्त कर स्क्रैप करने का फैसला लेते है। फिर खुद ही कहते हैं कि यह फैसला गलत है। हम किसी को चिट्ठी लिख रहे हैं। लेकिन अभी तक दस और पंद्रह साल पुरानी पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों को सड़क से हटाने का आदेश वापस नहीं लिया गया है। भाजपा यू-टर्न की सरकार है। अब जब जनता के दबाव में यू-टर्न लिया है तो कम से कम आदेश तो जारी कर दें।
आतिशी ने कहा कि भाजपा की सांठगांठ कार बेचने वाले, बनाने वाले, स्क्रैप करने वाले के साथ है। दिल्ली में 62 लाख दुपहिया और चार पहिया वाहनों को सड़क से हटाने का फैसला सिर्फ और सिर्फ इस सांठगांठ के कारण लिया गया है। आज भी हमारा यही सवाल है कि कार बनाने वाले, बेचने वाले और स्क्रैप करने वाले से भाजपा ने कितना चंदा लिया है? दिल्ली वालों को वो जवाब दे।