पंजाब ने ‘रट्टा मारो और पेपर दो’ वाले पुराने सिस्टम से बाहर निकलते हुए शिक्षा क्रांति के नए युग की शुरुआत कर दी है। अब पंजाब की यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेजों में कम्पल्सरी बिजनेस क्लास पाठ्यक्रम शुरू हो गया है, जिससे पंजाब के बच्चे अब नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि नौकरी पैदा करने वाले बनेंगे। हमारे देश की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था युवाओं को रोजगार, अच्छा इंसान और अच्छा नागरिक बनने के उद्देश्य को पूरी नहीं कर पा रही है। अगर पंजाब में यह प्रयोग सफल होता है और पूरे देश में जाता है तो यह हमें चीन से मुकाबला करने के लिए तैयार करेगा। गुरुवार को चंडीगढ़ में पंजाब की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में विश्व का पहला आंत्रप्रिन्योरशिप कोर्स लॉन्च करने के दौरान आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यह बातें कहीं। इस अवसर पर पंजाब के सीएम भगवंत मान, प्रभारी मनीष सिसोदिया, कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस समेत अन्य गणमान्य मौजूद थे।
मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में 17 साल पढ़ाई करने के बाद भी युवा परिवार का पेट पालने योग्य नहीं बन पा रहे- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एक बच्चा 17 साल पढ़ने के बाद ग्रैजुएशन की डिग्री प्राप्त करता है। एक बच्चा अपनी जिंदगी का बहुत कीमती समय देता है। 17 साल बाद जब बच्चा कॉलेज से बाहर निकलता है तो उसमें बहुत सारे गुुण होने चाहिए। गांधी जी ने कहा था कि शिक्षा के तीन उद्देश्य हैं। पहला, कॉलेज से निकलने के बाद बच्चा इतना कमा सके कि वह अपने परिवार का पेट पाल सके। दूसरा, बच्चा समाज में एक अच्छा इंसान बन सके और तीसरा, देश में एक अच्छा नागरिक बन सके। लेकिन मौजूदा शिक्षा व्यवस्था इन तीनों में से एक भी लक्ष्य को पूरा नहीं करता है। 17 साल पढ़ने के बाद कॉलेज से निकलने वाला हर युवा नौकरी के लिए चारों तरफ हाथ-पैर मारता है। हम अपनी शिक्षा व्यवस्था में बच्चे को न अच्छा नागरिक बनना सिखाते हैं और न अच्छा इंसान बनना सिखाते हैं। बच्चा अपने परिवार का पेट पालने के लिए भी तैयार नहीं हो पाता है। इन सबके लिए सालों से चला आ रहा हमारा मौजूदा शिक्षा व्यवस्था जिम्मेदार है।
अंग्रेजों ने जानबूझ कर भारत की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त किया, ताकि वो हम पर राज कर सकें- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैकाले ने 1840 में देश की शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद रखी गई थी। मैकाले से पहले हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था मौजूदा दौर की सबसे अच्छी शिक्षा व्यवस्था थी। हर गांव में स्कूल थे, जिसे गुरुकुल कहते थे। शिक्षकों की बहुत इज्जत होती थी, लेकिन आज हमारे समाज में शिक्षकों की उतनी इज्जत नहीं होती है। समाज के अंदर शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण माना जाता था। गुरुकुल के अंदर राजा और भिखारी का बच्चा साथ बैठ कर पढ़ते थे और बच्चों को जिंदगी में काम आने वाली चीजें सिखाई जाती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वो बच्चे कुछ करने लायक बन जाते थे और अपना पेट पाल सकते थे। उस वक्त भारत पूरे विश्व में सबसे अधिक शिक्षित देश था और इंग्लैंड के अंदर सबसे अधिक अशिक्षा थी। मैकाले ने यह आंकलन किया कि अगर भारत की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त नहीं किया गया तो अंग्रेज भारत पर शासन नहीं कर सकते। फिर मैकाले नई शिक्षा व्यवस्था लेकर आया और तभी से यही शिक्षा व्यवस्था चली आ रही है।
अंग्रेजों की बनाई शिक्षा व्यवस्था सिर्फ क्लर्क पैदा करने वाली है, जिसे आज तक हम ढोल रहे हैं- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अंग्रेजों ने शिक्षा व्यवस्था भारत को विकसित करने के लिए नहीं, बल्कि भारत के लोगों को क्लर्क पैदा करने के लिए बनाया गया था, जो ब्रिटिश साम्राज्य के लिए क्लर्क पैदा करेगा। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि आजादी के बाद भी हम लोगों ने अंग्रेजों की दी गई शिक्षा व्यवस्था को नहीं बदला और आज भी हम कॉलेज-यूनिवर्सिटी में क्लर्क पैदा कर रहे हैं। युवा बीए, एमए, बीकॉम की डिग्री लेकर घूम रहे हैं, लेकिन नौकरी नहीं मिल रही है। मैंने जब नौकरी छोड़कर राजनीति में आया तो मेरे साथ पढ़े बहुत सारे दोस्तों को लगा कि मैं पागल हो गया हूं। मेरे कई दोस्तों ने मुझसे कई दिनों तक बात ही नहीं की। राजनीति में सफल हो गए और अब हम युवाओं को राजनीति में आने की अपील करते हैं, लेकिन कोई नहीं आता है। आज कोई अपनी आरामदायक नौकरी नहीं छोड़ना चाहता है। हमारी शिक्षा व्यवस्था की यह कमी है कि हम 17 साल तक बच्चों को रटना और परीक्षा देना सिखाते हैं। आज युवा रिस्क लेने, कुछ करने और आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं है। इस कमी को यह एप तोड़ेगा। अगर युवाओं को इस एप लत पढ़ गई तो यह उनको रिस्क लेना और कुछ करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
अगर इस कोर्स ने बच्चों में कुछ करने का पागलपन पैदा कर दिया तो हम परीक्षा देने वाले ढर्रे से बाहर निकल जाएंगे- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में ‘‘आप’’ की सरकार ने 11वीं और 12वीं के बच्चों को बिजनेस के लिए तैयार करने के लिए बिजनेस ब्लॉस्टर्स प्रोग्राम शुरू किया था। कुल 2.5 लाख बच्चे पढ़ते थे और प्रोग्राम के तहत 50 हजार टीमें बनाई गई थी और हर बच्चा एक नए आइडिया पर काम कर रहा था। कई टीमों के बच्चे अपने आइडिया को लेकर बेहद उत्साहित थे। पंजाब में भी अगर हमने इस एप के जरिए युवाओं में कुछ करने का पागलपन पैदा कर दिया तो परीक्षा देने वाले ढर्रे से हम बाहर निकल जाएंगे। हमें लगता है कि इसमें इस एप का बहुत बड़ा योगदान होगा। रटो और पेपर दो की लत ने हमारे युवा पीढ़ी को खराब कर दिया है।
यह पाठ्यक्र युवाओं को एक सपना देगा और उसे परीक्षा के मनोवैज्ञानिक दबाव से निकालेगा- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह एप युवाओं को एक सपना देगा। अभी युवाओं का सपना पढ़ने के बाद नौकरी पाने का सपना है। जबकि इस पाठ्यक्रम के तहत हर बच्चे का सपना एक आइडिया पैदा करना और उस पर काम करके उसे सफल बनाना होगा। यह एप हर युवा को एक सपना देगा। परीक्षा के मनोवैज्ञानिक दबाव से बाहर निकालेगा। इस एप की खूबसूरती यह है कि बच्चों को परीक्षा देकर नंबर नहीं मिलेंगे, बल्कि जितने पैसे कमाएंगे, उतने नंबर मिलेंगे। हमें बच्चों में अपने ब्रांड को सबसे अच्छा बनाने के लिए एक पैशन पैदा करना होगा। पंजाब के लोग जन्म से ही आंत्रप्रिन्योर हैं। ऐसे में इस एप का प्रयोग करने की पंजाब से अच्छी जगह कोई और नहीं हो सकती। मैं उम्मीद करता हूं कि पंजाब से बड़े-बड़े यूनिकॉम, गूगल, एपल, आईबीएम निकलेगा। हमारा मकसद छोटे-छोटे ढेर सारे बिजनेस खोलने का है। हमें अपनी सफलता का आंकलन इससे लगाना चाहिए कि इस एप के जरिए कितने सफल बैंचर्स स्टार्टअप खुल गए हैं, न कि कितने यूनिकॉम बने।
इस पहल को सफल बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और पॉलिसी बनाने समेत कई काम करने हांेगे- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर यह एप सफल हो जाता है और पूरे देश में जाता है तो यह हमें चीन से मुकबला करने के लिए तैयार करेगा। चीन से आने वाले लोग बताते हैं कि वहां कोई भी विशेषज्ञता लेकर चलो जाओ, वो प्रोडक्ट बनाकर दे देते हैं। वहां कोई कीमत लेकर चले जाएं तो उतनी कीमत के प्रोडक्ट बना देते हैं। वहां गली-गली मंे आंत्रप्रिन्योर बैठे हैं, लेकिन हमारे यहां नहीं है। अगर इस एप ढेर सारे आंत्रप्रिन्योर पैदा कर दिए तो हम अवश्य चीन को पीछे छोड़ देंगे। इसे सफल बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और पॉलिसी बनाने के साथ कई और काम करने हांेगे। पंजाब में इंडस्ट्री पर काफी काम हुआ है। इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है और पॉलिसी बदली गई है। हमें आंत्रप्रिन्योर भी चाहिए और इस एप में आंत्रप्रिन्योर पैदा करने की बहुत क्षमता है। यह एप अभी सिर्फ कॉलेज और यूनिवर्सिटी तक सीमित है। पंजाब के 20 यूनिवर्सिटी और कुछ आईटीआई के अंदर इसे लागू किया गया है। 2027 में सभी यूनिवर्सिटी में लागू होगा। बहुत सारे बच्चे शिक्षा से बाहर हैं। ये बच्चे कुछ न कुछ कर रहे हैं। अगर हम किसी तरह एक माड्यूल बनाकर गांव के बच्चों की क्षमता को बढ़ा सकें तो पूरे पंजाब में खुशहाली का माहौल ला सकते हैं।
युवा हवाई जहाज की तरह हैं, ‘‘आप’’ सरकार उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए लॉन्च पैड प्रदान करेगी- भगवंत मान
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्रगतिशील विश्व का नया मॉडल है और इसका उद्देश्य लोगों को वास्तविक ज्ञान प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण से युवाओं में नए विचारों की सृजन क्षमता के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रयास पंजाब को नई संभावनाओं और व्यापार का केंद्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि आज दुनिया के शक्तिशाली देश विचारों की शक्ति दिखाने वाली एप्स जारी करने में लगे हैं।
भगवंत मान कहा कि राज्य में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, क्योंकि बोइंग में 45 प्रतिशत इंजीनियर पंजाब से हैं। इन युवाओं में हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के गुण समाहित हैं और उनकी योग्यताओं का सही उपयोग किया जाना चाहिए। छात्र और युवा हवाई जहाज की तरह हैं और राज्य सरकार उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक लॉन्च पैड प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि वे तब तक आराम से नहीं बैठेंगे, जब तक पंजाब के छात्र अपने मनपसंद लक्ष्यों को हासिल नहीं कर लेते। उन्होंने युवाओं को जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करने के बाद भी जमीन से जुड़े रहने और कड़ी मेहनत में विश्वास रखने के लिए प्रेरित किया और कहा कि राज्य सरकार पंजाब के विकास और इसके निवासियों की समृद्धि के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
भगवंत मान ने कहा कि कड़ी मेहनत ही सफलता का एकमात्र मार्ग है और युवाओं को हमेशा कड़ी मेहनत का रास्ता अपनाना चाहिए। राज्य सरकार हमेशा युवाओं के नेक विचारों का समर्थन करेगी। यह कोर्स राज्य को आर्थिक विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पहली बार युवाओं को प्रेरित करने के लिए एक पहल की जा रही है। पहले राजनीति को केवल एक खेल माना जाता था और राजनीतिक नेताओं द्वारा अपने संकीर्ण हितों की पूर्ति के लिए लोगों को गुमराह किया जाता था। नशे के डर के कारण माता-पिता अपने बच्चों को विदेश भेजते थे। एक समय कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में केवल 33 प्रतिशत सीटें भरी जाती थीं, लेकिन जब से उन्होंने सत्ता संभाली है, दाखिला दर 100 प्रतिशत हो गई है।
भगवंत मान ने कहा कि पंजाब की धरती पवित्र, उपजाऊ और सौभाग्यशाली है। प्रत्येक बच्चे के पास अपने अनूठे विचार हैं। इन बच्चों को कभी भी अपनी सोच व्यक्त करने का अवसर नहीं मिला। इस उद्यमी कोर्स की शुरुआत से युवा अब अपने सपनों को साकार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में नए विचार क्रांति ला रहे हैं। विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में, नए विचार बहुत महत्वपूर्ण हैं। अब शिक्षा में पारंपरिक तरीकों का समय समाप्त हो गया है और युवाओं को नई ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए अलग ढंग से सोचना होगा।
अभी भारत एक नौकरी खोजने वाला का देश है, हमें इसे नौकरी देने वाला देश बनाना है- मनीष सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज पंजाब की शिक्षा क्रांति के लिए बहत बड़ा दिन है। आने वाले समय में पंजाब को देख कर पूरा देश और दुनिया सिखेगी। पंजाब में शुरू हो रहे अनिवार्य बिजनेस क्लास पाठ्यक्रम के हर सेमेस्टर में दो क्रेडिट लेना अनिवार्य है। पूरी दुनिया में शिक्षा का ऐसा मॉडल नहीं है, जहां बच्चों के लिए डिग्री के साथ दो क्रेडिट बिजनेस आइडिया लाना अनिवार्य हो। यह पूरी दुनिया में पहला ऐसा मॉडल है। पंजाब में इस शिक्षा मॉडल की शुरूआत हो रही है, कल पूरा भारत इसे शुरू करेगा और आने वाले समय में पूरी दुनिया इससे सीखेगी और शुरू करेगी। पंजाब पूरे देश में शिक्षा क्रांति लाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा इसलिए जरूरी है, क्योंकि अच्छी शिक्षा से रोजगार के अवसर मिलते हैं। अगर शिक्षा से कमाई को हटा दिया जाए तो कोई भी पैरेंट्स अपने बच्चे को पढ़ने के लिए नहीं भेजेगा। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य कमाई है। यह बात विश्व भर में स्वीकारा गया है।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि एक बच्चे को करीब 15-17 साल तक पढ़ाई करनी होती है। इस दौरान बच्चों को टेस्ट और परीक्षा की जानकारी तो होती है, लेकिन कमाई कैसे होगी, इसकी जानकारी नहीं दी जाती है। ऐसे में देश भर में युवा अच्छी नौकरी पाने पर निर्भर हो रहे हैं। अच्छी नौकरी सरकार के पास मिलेगी। देश में हर साल 1.5 करोड़ बच्चे ग्रैजुएशन करके कॉलेज से बाहर निकलते हैं। इसमें से सिर्फ 15 लाख युवाओं को ही नौकरी मिलती है, जिसमें 2 से 3 लाख सरकारी नौकरियां भी शामिल हैं। ऐसे में बाकी बच्चे क्या करेंगे? नौकरी नहीं मिलने पर ये युवा रास्ते भटक जाते हैं। नौकरी की इस कमी को पूरा का काम कम्पल्सरी बिजनेस क्लास कॉरिकुलम करेगा। बच्चे अगर बिजनेस क्लास में ठीक से पढ़ेंगे तो उन्हें यह बिजनेस क्लास में चलने की गारंटी देगा।