सोशल मीडिया पर भारत के मुख्य न्यायाधीश को निशाना बनाने वाली गैरकानूनी और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने को लेकर कड़े कदम उठाते हुए पंजाब पुलिस ने बुधवार को राज्य के विभिन्न जिलों में 100 से ज्यादा सोशल मीडिया हैंडल्स के खिलाफ प्राप्त शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज की है।
पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि उच्च संवैधानिक पद पर हमले, जाति-आधारित अपमान और उकसावे, सार्वजनिक उपद्रव के साथ-साथ जाति और सांप्रदायिक भावनाओं का अनुचित दोहन कर शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने के प्रत्यक्ष प्रयास से संबंधित सोशल मीडिया पर पोस्ट सामग्री को चिह्नित किया गया है और कानून के अनुसार एफआईआर दर्ज की गई हैं। उक्त पोस्ट और वीडियो में जातिवादी और घृणा से भरे भाव हैं, जिनका उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना, सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करना और न्यायिक संस्थानों के प्रति सम्मान को कम करना है।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि सोशल मीडिया सामग्री में मुख्य न्यायाधीश को निशाना बनाने वाली गैरकानूनी और आपत्तिजनक सामग्री शामिल थी। इन सोशल मीडिया पोस्ट में हिंसा भड़काने और संवैधानिक पद के प्रति सम्मान को कम करने, अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ जानबूझकर डराने और अपमान करने, अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ शत्रुता, घृणा और दुर्भावना को बढ़ावा देने, जाति के आधार पर समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ाने, और शांति भंग करने व सार्वजनिक उपद्रव को बढ़ावा देने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने वाली सामग्री शामिल थी।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(आर), 3(1)(एस) और 3(1)(यू) के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 352, 353(1), 353(2) और 61 के तहत विभिन्न पुलिस स्टेशनों में संज्ञेय अपराधों की सूचना प्राप्त होने पर एफआईआर दर्ज की गई हैं। इन एफआईआर में आगे की जांच कानून के अनुसार की जा रही है।