दिल्ली सरकार द्वारा पटपड़गंज विधानसभा के मंडावली में सर्वोदय स्कूल न.2 का विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस नया एकेडमिक ब्लॉक बनाया गया है। मंगलवार को दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया और सीएम आतिशी ने इसका उद्घाटन किया। उल्लेखनीय है कि, ये नया अकेडमिक ब्लॉक 64 कमरें, 9 अत्याधुनिक लैब, लाइब्रेरी, लिफ्ट सहित अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। स्कूल की नई बिल्डिंग से 3000 से अधिक बच्चों को शानदार शिक्षा मिल सकेगी।
कार्यक्रम में दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया और सीएम आतिशी का तिलक लगाकर स्वागत किया गया। उसके पश्चात स्कूल की पट्टिका का अनावरण किया गया। इस दौरान दोनों ने बिज़नेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम के तहत अपने प्रोडक्ट्स का प्रदर्शन कर रहे छात्राओं से भी मुलाक़ात की। और दौरा कर स्कूल में मौजूद सुविधाओं का जायजा लिया।
इस मौके पर दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक और पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि, “मेरे लिए यह बहुत खुशी का और भावुक क्षण है। क्योंकि मैं जब स्कूल में आता था तो बहुत ही रोती हुई बिल्डिंग देखता था। मेरा मानना है कि एक रोती हुई स्कूल बिल्डिंग एक हंसता हुआ देश नहीं पैदा कर सकती है। अगर आपको देश खुशहाल चाहिए, अगर देश आत्मविश्वास से भरा हुआ चाहिए। अगर आप देश को हंसता हुआ देखना चाहते हैं तो आप दुनिया में कुछ करें ना करें, अपनी स्कूल बिल्डिंग को मुस्कुराता हुआ बना दीजिए। उनको गर्मजोशी से स्वागत करने वाला बना दीजिए। उससे आपके देश की बुनियाद खुशहाली की पड़ेगी, एक मुस्कुराते हुए देश की पड़ेगी। उन्होंने कहा कि, आज उस रोती हुई बिल्डिंग की जगह एक शानदार बिल्डिंग हमारे बीच में खड़ी है। इसके लिए मैं सभी इंजीनियरों और अधिकारियों का धन्यवाद करना चाहता हूं।”
उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, “मैं 10-12 साल पहले जब आप सबके बीच आया था। जब मैं एक नेता के रूप में चुनाव लड़ने आया था। मैं वोट मांगते हुए लोगों से कहता था कि हमारी नई-नई पार्टी बनी है। हम लोग चुनाव लड़ रहे हैं, हमें वोट देना। इस दौरान पटपड़गंज विधानसभा में एक महिला मुझे मिली, उसके साथ उसका छोटा सा बच्चा था। रास्ते में चलते हुए महिला ने मुझसे कहा कि सर हमें आप अच्छे लगते हैं, वोट तो हम आपको देंगे। लेकिन हमको एक अच्छा सा घर दिलवा देना। तब मैं नया-नया नेता था। मुझे अंदाजा नहीं था कि क्या मैं बोलूं। कोई घिसा हुआ नेता होता तो कह देता कि हां चिंता मत करो, मैं घर क्या आपको कोठी दिला दूंगा। लेकिन हम लोग ईमानदारी के लिए राजनीति में आए थे। इसलिए ऐसा नहीं था कि मैं किसी को रास्ते में झूठा वादा करके निकल जाऊं। लेकिन, मेरे मन से निकला कि बहन चिंता मत करो, मैं यह दावा तो नहीं करता कि मैं एक अच्छा घर दिला दूंगा। लेकिन मैं यह वादा करता हूं कि आपके बच्चे को इतनी अच्छी शिक्षा दिलवाऊंगा कि यह आपको एक अच्छा घर दिलवाएगा।”
श्री सिसोदिया ने कहा कि, “मुझे बहुत खुशी है कि उस महिला जैसी कितनी बहनों के बच्चे पिछले दस साल में दिल्ली की सरकारी स्कूलों से पढ़कर आईआईटी तक पहुंचे हैं, डॉक्टर बने हैं, इंजीनियर बन रहे हैं। इतना ही नहीं, दिल्ली के सरकारी स्कूलों से निकले बच्चे अब आईएएस भी बन रहे हैं। मुझे बहुत खुशी होती है कि हम एक अच्छी नींव अपने स्कूलों में रख पा रहे हैं”
उन्होंने कहा कि, “इसी क्रम में मुझे एक और वाक्या याद आता है। मैंने एक बच्चे से कहा कि बेटा अच्छे से पढ़ना। तुम देश का भविष्य हो। वो बच्चा शायद अंदर से भरा हुआ था या उसे सच्चाई को मेरे सामने कहने की हिम्मत थी। उस बच्चे ने एक शानदार चीज कही जो आज भी मेरे कानों में गूंजती है। उस बच्चे ने मुझसे कहा कि सर हम थोड़ी ना देश का भविष्य हैं। देश का भविष्य तो प्राइवेट स्कूलों में पढ़ता है, हम तो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। नरेला विधानसभा का वो बच्चा मुझे एक सबक दे गया। मुझे लगा कि अगर देश का भविष्य ठीक करना है तो सरकारी स्कूलों पर काम करना पड़ेगा। सरकारी स्कूलों को ऊपर उठाए बिना देश का भविष्य नहीं हो सकता।”
श्री सिसोदिया ने कहा कि, “अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि दिल्ली के हर बच्चे को यह लगना चाहिए कि वह जिस स्कूल में पढ़ता है, वह दिल्ली का सबसे बेहतर स्कूल है। उसका स्कूल किसी भी प्राइवेट स्कूल से बढ़िया है। उस विजन पर काम करते हुए आज दिल्ली के हजारों स्कूलों में शानदार पढ़ाई हो रही है। दिल्ली के स्कूलों में पहले के मुकाबले बेहतर व्यस्थाएं, बिल्डिंग और सुविधाएं हो गई हैं। वहीं, पिछले दस सालों में शिक्षक भी और अच्छा पढ़ाने लगे हैं।”
उन्होंने कहा कि, “आज जिस स्कूल का हम उद्धाटन कर रहे हैं, यह केवल ईंट पत्थरों की एक बिल्डिंग नहीं है बल्कि यह मेरे, आपके, अभिभावकों, शिक्षकों और बच्चों के देखे हुए सपनों की बुनियाद है। आज हम सपनों का उद्धाटन कर रहे हैं कि आइए एक ऐसी जगह बनाते हैं, जिसको स्कूल और क्लास कहेंगे लेकिन वह सपने देखने की जगह होगी। वह सपनों को सच करने की जगह होगी, सपनों की उड़ान भरने की जगह होगी। यह स्कूल केवल एक ईंट पत्थरों की बिल्डिंग नहीं है बल्कि यह सपनों का महल है। यह बच्चों के सपने खेलेंगे कूदेंगे और बड़े होंगे।”
श्री सिसोदिया ने कहा कि, “जेल जाने से पहले मैंने इस स्कूल का शिलान्यास किया था और जेल से आने के बाद यह पहला स्कूल है जिसका मैं उद्धाटन कर रहा हूं। मैं जेल में भी सोचता रहता था कि दो स्कूल मेरी विधानसभा में हैं। मैं आतिशी जी को मेसेज भेजता था कि मेरी विधानसभा के दोनों स्कूल जल्दी बनवा देना। मैं जेल से बाहर आऊं तो मुझे दोनों स्कूल बने हुए मिलने चाहिए। मुझे खुशी है कि मैं जब बाहर आया तो यह शानदार स्कूल बनकर तैयार है। एक महीने बाद ईस्ट विनोद नगर के शानदार स्कूल का भी उद्घाटन करेंगे। जब-जब किसी स्कूल का उद्धाटन होता है, मुझे लगता है कि देश के भविष्य का उद्धाटन हो रहा है, बड़े सपनों का उद्धाटन हो रहा है।”
इस मौके पर सीएम आतिशी ने कहा कि, दिल्ली के बच्चों का भविष्य अब दिल्लीवालों के हाथ में है। दिल्ली में जो शिक्षा क्रांति आई है उसे आगे भी जारी रखना दिल्लीवालों के हाथ में है। इसलिए दिल्लीवाले एक बार फिर शिक्षा पर काम करने वालो को चुनें।
पटपड़गंज विधानसभा के मंडावली में नए स्कूल बिल्डिंग का उद्घाटन करने पहुंचे दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया और सीएम आतिशी
स्कूल उद्घाटन के मौके पर पेरेंट्स को संबोधित करते हुए सीएम आतिशी ने कहा कि, यहाँ पर आए पैरेंट्स जाने से पहले एक बार स्कूल की बिल्डिंग जरूर देख कर जाए। उन्होंने कहा कि, मैं दिल्ली के बड़े प्राइवेट स्कूल में पढ़ती थी लेकिन ऐसी शानदार बिल्डिंग उस प्राइवेट स्कूल की भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि, 64 कमरों की इस बिल्डिंग में 9 लैब है। इस बिल्डिंग में बच्चों के लिए लिफ्ट है, शानदार लाइब्रेरी है।
सीएम आतिशी ने कहा कि, 2015 तक दिल्ली में सरकारी स्कूल बदहाल होते थे। सरकारी स्कूल टीन-टप्पर में चलते थे। स्कूल के अंदर घुसते ही सबसे पहले टॉयलेट की बदबू आती थी। और क्लासरूम की कमी के कारण बच्चे टॉयलेट के बाहर फर्श पर बैठकर पढ़ने को मजबूर थे।
उन्होंने कहा कि, सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में टेबल-कुर्सियाँ नहीं होती थी, ब्लैक बोर्ड नहीं होते थे। लाइटें-खिड़कियां टूटी होती थी। पीने का पानी नहीं होता था। क्लासरूम में टीचर्स नहीं होते थे क्योंकि उनकी पल्स पोलियो से लेकर आधार कार्ड तक में सरकारी ड्यूटी लगाई जाती थी। कोई भी परिवार अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहता था, लोग मजबूरी में अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजते थे। जिसके पास भी थोड़े पैसे होते थे वो परिवार पेट काट-काटकर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजता था। अगर किसी परिवार के पास सिर्फ़ एक बच्चे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के पैसे होते थे तो वो अपने बेटे को प्राइवेट स्कूल में और बेटी को टूटे-फूटे सरकारी स्कूल में भेजते थे। 10 साल पहले तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों की ये सच्चाई होती थी।
सीएम आतिशी ने कहा कि, हमारे देश में कहा जाता है कि, बच्चों का भविष्य उनकी हाथ की लकीरों में लिखा होता है। ये दिल्ली में सच्चाई बन गई थी। तीन साल की उम्र में एक बच्चे की तकदीर तय हो जाती थी। अगर कोई ऐसे घर से होता था जहां पैरेंट्स महँगे प्राइवेट स्कूल की फ़ीस दे सकते तो वो अच्छे स्कूल में जाता था, अच्छे कॉलेज में जाता था और अच्छी नौकरी पाता था। लेकिन दूसरी ओर जो बच्चा गरीब परिवार से आता था वो पढ़ाई के लिए टूटे-फूटे टीन-टप्पर के सरकारी स्कूल में जाता।
उन्होंने कहा कि, आंकड़े बताते है कि हमारे देश में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 50% बच्चे ही पढ़ाई पूरी कर पाते है। और यदि पढ़ाई पूरी कर ले तो उन्हें छोटी मोटी नौकरी करनी पड़ती। कोई मैकेनिक का काम करता तो किसी को किराना की दुकान में किसी के घर में काम करना पड़ता। उन्होंने कहा कि, कोई भी काम छोटा नहीं होता लेकिन वो काम करना किसी की मजबूरी नहीं होनी चाहिए। हर बच्चे को आगे बढ़ने का मौक़ा मिलना चाहिए।
अरविंद केजरीवाल जी की शिक्षा क्रांति ने अमीर हो या ग़रीब हर परिवार के बच्चे को आगे बढ़ने का मौक़ा दिया
सीएम आतिशी ने कहा कि, 2015 में दिल्ली के जर्जर सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आया। क्योंकि 2015 में दिल्ली में एक चमत्कार हुआ और दिल्ली के लोगों ने अरविंद केजरीवाल जी को अपना मुख्यमंत्री बना दिया। और पटपड़गंज के लोगों ने मनीष सिसोदिया जी को अपना विधायक चुनकर दिल्ली का शिक्षा मंत्री बनाया।
उन्होंने कहा कि, इसी चमत्कार का नतीजा था कि कुछ ही सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बड़े-बड़े बदलाव होने लगे। 2015 में दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य बना जिसने शिक्षा के अपने बजट को दोगुना किया और अपने सरकार के कुल बजट का लगभग एक चौथाई हिस्सा शिक्षा पर लगाया, दिल्ली के बच्चों के भविष्य पर लगाया। और पिछले 10 साल से लगातार दिल्ली देश का इकलौता ऐसा राज्य है जो बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा पर, दिल्ली के बच्चों के भविष्य पर लगा रहा है।
सीएम आतिशी ने कहा कि, इससे दिल्ली में बड़ी संख्या में स्कूलों में बिल्डिंग बनने शुरू हुए, क्लासरूम्स बने। उन्होंने कहा कि, 1947 से 2015 तक दिल्ली में अलग-अलग सरकारें बनी लेकिन इन सालों में सरकारी स्कूलों में मात्र 24,000 कमरें बनवाये गए और 2015 से अबतक मात्र 10 सालों के दिल्ली सरकार ने स्कूलों में 22,400 से ज़्यादा नए कमरें और शानदार कमरें बनवाए। आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलो को पीछे छोड़ देती है।
उन्होंने कहा कि, पिछली सरकारो में जहाँ सिर्फ़ नेता विदेश दौरों पर जाया करते थे। अरविंद केजरीवाल जी के मार्गदर्शन में दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षकों को दुनिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी , सिंगापुर में, फिनलैंड में शानदार ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। ताकि वो हमारे बच्चों को वर्ल्ड क्लास शिक्षा दे सके।
सीएम आतिशी ने कहा कि, इन सब प्रयासों का नतीजा रहा कि, पिछले 8 साल से लगातार दिल्ली सरकार के स्कूलों के 12 वीं के नतीजे प्राइवेट से बेहतर आ रहे है।इसका नतीजा ये है कि, आज दिल्ली सरकार के स्कूलों के इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन ले रहे है। अपने बिज़नेस शुरू कर रहे है। सिर्फ़ इस साल ही दिल्ली सरकार के स्कूलों के 2020 बच्चों ने जेईई, नीट क्वालीफाई किया और देश के बड़े संस्थानों में एडमिशन लिया। ये है दिल्ली की शिक्षा क्रांति।
उन्होंने कहा कि, दिल्ली आज देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जहाँ पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवा रहे है। पिछले कुछ सालों में 4 लाख से ज़्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर दिल्ली सरकार के स्कूलों में एडमिशन लिया है।
दिल्ली की ये शिक्षा क्रांति आगे भी जारी रहे इसके लिए दिल्ली के लोग एक बार फिर शिक्षा पर काम करने वालो को चुनें।
सीएम आतिशी ने कहा कि, दिल्ली की ये शिक्षा क्रांति आगे भी जारी रहे ये अब दिल्लीवालों के हाथ में है। उन्होंने कहा कि, हमारे विरोधी कहते है कि शिक्षा पर इतना खर्च करने की क्या जरूरत है, फ्री शिक्षा देने की क्या ज़रूरत है? इनकी 22 राज्यों में सरकारें है, लेकिन एक भी ऐसा राज्य नहीं है जिसमें दिल्ली जैसे सरकारी स्कूल है। वहाँ स्कूल टीन-टप्पर में चलते है। और ये पार्टियां इन सरकारी स्कूलों को भी बंद कर रही है। गुजरात में 8000 सरकारी स्कूल बंद किए जा चुके है, मध्य-प्रदेश में उत्तर-प्रदेश, बिहार में सरकारी स्कूल बंद हो रहे है।
दिल्ली में अगर दूसरी पार्टी आ गई तो यहाँ भी सरकारी स्कूल बंद होने लग जाएँगे इसलिए दिल्लीवाले चाहते है कि उनके बच्चों को वर्ल्ड क्लास शिक्षा मिले, फ्री शिक्षा मिले तो ये दिल्लीवालों के हाथ में है।