आम आदमी पार्टी ने वरिष्ठ वकील एवं पार्टी के लीगल सेल के अध्यक्ष संजीव नासियार को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के उपाध्यक्ष पद से हटाने पर सवाल खड़ा किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक दुर्गेश पाठक का कहना है कि संजीव नासियार को आम आदमी पार्टी का समर्थक होने की सज़ा दी गई है। डेढ़ साल पहले इनके खिलाफ एक शिकायत की गई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। लेकिन उसके बाद उस शिकायत को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सीबीआई को भेज दिया और बिना जांच के ही संजीव नासियार को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के वाइस चेयरमैन के पद से हटा दिया। आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से अपना आदेश वापस लेने की मांग करती है। वहीं संजीव नासियार का कहना है कि भाजपा ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को हथियार की तरह मेरे खिलाफ इस्तेमाल किया है, लेकिन मैं जांच से घबराने और डरने वाला नहीं हूं।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने पार्टी के लीगल सेल के अध्यक्ष संजीव नासियार के साथ पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि जिस एजेंसी, जिस इंस्टीट्यूशन, जिन लोगों के पास लोगों को इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी है, उस बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आज तक का बहुत बड़ा अन्याय कर दिया। “आप” से जुड़े संजीव नासियार दिल्ली के बहुत बड़े वकील हैं। वह वकीलों के वेलफेयर के लिए काम करते हैं। पूरे देश में सिर्फ दिल्ली है, जहां वकीलों के वेलफेयर के लिए काम किया गया है। दिल्ली में संजीव नासियार अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दिल्ली में वकीलों की राहत के लिए बजट से पचास करोड़ रुपए निकलवाए हैं। हर वकील और उसके परिवार का पांच लाख रुपए तक का इलाज दिल्ली सरकार के माध्यम से कराया जाएगा। यह पूरी दुनिया में पहली बार है कि किसी सरकार ने वकीलों के लिए इतना बड़ा कदम उठाया है। यह काम करवाने के लिए पीछे संजीव नासियार थे। संजीव नासियार वैचारिक, शारीरिक और हर तरीके से आम आदमी पार्टी को सपोर्ट करते हैं और इनकी यही गलती है।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि पिछले एक-डेढ़ साल पहले एक शिकायत की गई, उस शिकायत को हाईकोर्ट में नकार दिया गया। बार काउंसिल ने उसी शिकायत को सीबीआई को भेजा और संजीव नासियार को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया। जिस शिकायत को हाईकोर्ट ने नकार दिया था। उसी शिकायत को बार काउंसिल ने सीबीआई को भेजा और संजीव नासियार को पद से हटा दिया। इनसे कहा गया कि आपके खिलाफ एक शिकायत है, उसे हम सीबीआई में जांच के लिए भेज रहे हैं, तब तक आप पद से हट जाओ। संजीव नासियार को ना नोटिस दिया गया, ना ही इन्हें बुलाया गया, ना इनका पक्ष लिया गया और सीधे हटा दिया गया। मुझे लगता है कि यह शायद दुनिया में पहली बार ऐसा हो रहा है। यह न्याय के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ है। न्याय का बुनियादी सिद्धांत कहता है कि कोई भी शिकायत आएगी तो दोनों पक्षों को सुना जाएगा। दोनों पक्षों से बातचीत की जाती है और सबूतों को देखा जाता है। फिर जांच होगी जिसके बाद निर्णय आएगा, तब जाकर कोई फैसला लिया जाएगा। यह शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि जांच ही नहीं की गई। शिकायत को आगे भेजा गया और कहा गया कि पद से हट जाओ।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि संजीव नासियार की केवल एक गलती है कि वह वैचारिक रूप से आम आदमी पार्टी को सपोर्ट करते हैं। वह वकीलों के वेलफेयर के लिए काम करते हैं। उन्होंने अपना 30-35 साल का करियर समाज और देश के लिए लगाया है। सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी को सपोर्ट करने के कारण आज उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई। यह बहुत गलत है, बहुत निंदनीय है। आम आदमी पार्टी इसका पूरी तरह विरोध करती है। हम अपेक्षा करते हैं कि यह गलती सुधारें और इसे तुरंत ठीक करें।
संजीव नासियार ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया वकीलों की सबसे बड़ी संस्था और न्याय का बहुत बड़ा प्लैटफ़ॉर्म माना जाता है। उसके चेयरमैन, जोकि भाजपा के अभी-अभी राज्यसभा सदस्य भी बने हैं, उन्होंने एक प्रेस रिलीज के माध्यम से एक ऑर्डर निकाला। यह ऑर्डर मेरे पास अभी तक सर्व नहीं हुआ है। तीस हजारी कोर्ट को एशिया का सबसे बड़ा और पुराना एसोसिएशन माना जाता है। मैं उसका 26 साल सेक्रेटरी, एडिशन सेक्रेटरी और प्रेजिडेंट के पद पर अपने वकीलों के वेलफेयर के लिए काम करता रहा। मेरा सपना था कि वकीलों के लिए ऐसी सोशल सिक्योरिटी का प्रबंध होना चाहिए, जो सिर्फ सरकारी स्तर पर संभव है। उस सपने को लेकर 2015 में हमने तीस हजारी कोर्ट के प्लैटफॉर्म पर यह मांग रखी थी। अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर उस वक्त के दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया उस प्रोगाम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। उस कार्यक्रम में हमने यह मांग रखी और मनीष सिसोदिया ने यह घोषणा करके आए थे कि वह इस तरह की स्कीम लागू करेंगे। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरे और मेरे दोस्तों और नेताओं के उस प्रयास से दिल्ली पूरे देश में इकलौती प्रदेश है, जिसमें वकील और उनके परिवार को पांच लाख रुपए तक का कैसलैस मेडिकल पॉलिसी का बेनिफिट मिलता है। साथ ही, दस लाख रुपए तक का टर्म इंश्योरेंस मिलता है। यह स्कीम 2020 में लागू हुई थी। लागू होते ही कोविड का प्रकोप इस देश में आया। उसके अंदर वकीलों के 400-500 परिवारों को दस-दस लाख का फायदा मिला था और कम से कम 8-10 हजार लोगों को अब तक मेडिकल पॉलिसी का फायदा मिल चुका है।
संजीव नासियार ने कहा कि ऐसी स्कीम के निर्माता, जिसने यह स्कीम लागू की, उनका शनिवार को हम लोगों ने तीस हजारी में भव्य कार्यक्रम रखा था। मैं बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के उपाध्यक्ष के तौर पर उस कार्यक्रम का कॉर्डिनेटर था। इसके पीछे इत्तेफाक नहीं है। यह ऑर्डर भाजपा की साजिश का रूप है। उसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन को इंस्ट्रूमेंट बनाया गया। एक ऐसा ऑर्डर जो 24 अगस्त 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया। मैं उस ऑर्डर के क्रक्स पढ़ना चाहता हूं। “दिल्ली बार काउंसिल को निर्देश दिया गया है कि वह जरूरी दस्तावेज़ और प्रमाणपत्र बीसीआई को प्रदान करे। यह भी कहा गया है कि बीसीआई को किसी भी गलती का खुलासा होने पर जांच करने और उचित कार्रवाई करने का अधिकार होगा, यदि संबंधित विश्वविद्यालय की ओर से कोई गड़बड़ी पाई जाती है।”
संजीव नासियार ने कहा कि जिस यूनिवर्सिटी से मेरी डिग्री है, उसके खिलाफ और इन्होंने ऑर्डर मेरे खिलाफ किया है। इस ऑर्डर के अंदर लिखा है कि “विश्वविद्यालय अधिकारियों का जांच के दौरान सहयोग न करना, उस डिग्री की वास्तविकता पर गंभीर संदेह पैदा करता है।” यह नॉन कॉर्पोरेशन अगर यूनिवर्सिटी का है, तो उसके खिलाफ एक्शन लें। उस यूनिवर्सिटी ने मुझे 1988 में डिग्री दी। उसकी दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने लेवल पर तीन बार वेरिफिकेशन की। हाईकोर्ट का ऑर्डर है, “हालांकि, वर्तमान याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए प्रार्थना पत्र की प्राप्ति का कोई आधार नहीं है, इसलिए याचिका में प्रतिवादी नंबर 3 संजीव नासियार की याचिका खारिज की जाती है।” यह शिकायत 12 अगस्त 2024 को नकार दी गई। उसके खिलाफ कोई पिटिशन अपील में नहीं गया। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया या किसी ऑथिरिटी से मेरे पास कोई समन और सूचना नहीं आई। अचानक 7 दिसंबर की मीटिंग दिखाकर आज यह ऑर्डर निकाला गया। क्योंकि 9 तारीख को तीस हजारी के अंदर बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के प्लैटफॉर्म पर एक बहुत बड़ा कार्यक्रम हुआ था। यह पूरी तरह आम वकील के खिलाफ साजिश है। मैं इस बात का स्वागत करता हूं कि सीबीआई या इनके पास उससे बड़ी कोई एजेंसी हो तो मेरी जांच करें। मैं उससे घबराने और डरने वाला नहीं हूं। मेरा एक-एक डॉक्यूमेंट वैरिफाई होना चाहिए। मेरे डॉक्यूमेंट्स हाईकोर्ट पहले ही वैरिफाई कर चुका है। यह हाईकोर्ट की अवमानना भी बनती है।
संजीव नासियार ने कहा कि यह भाजपा की सोमवार को होने वाले प्रोगाम को बाधित करने की साजिश है। लेकिन बार काउंसिल ऑफ दिल्ली कल के कार्यक्रम को बहुत भव्य करने जा रही है।