जब ‘‘आप’’ ने विरोध प्रदर्शन और प्रेसवार्ता कर मुआवजा देने का दबाव बनाया तो एलजी साहब ने नाला डीडीए का होने से इन्कार कर दिया था- प्रियंका कक्कड़

मयूर विहार फेस-3 के एक नाले में डूबने से हुई मां-बेटे की मौत मामले में भाजपा के एलजी के झूठ की पोल खुलने पर आम आदमी पार्टी ने उनसे माफी मांगने और अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की है। ‘‘आप’’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि 31 अगस्त को जिस नाले में यह घटना हुई थी, भाजपा उसे पीडब्ल्यूडी का बता रही थी। लेकिन अब हाईकोर्ट में साबित हो गया है कि यह नाला डीडीए का है। इसके बाद भी एलजी साहब ने दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने डीडीए को फटकार भी लगाया और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है। वहीं, घटना के बाद जब ‘‘आप’’ ने विरोध प्रदर्शन और प्रेसवार्ता कर पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का दबाव बनाया तो एलजी साहब ने चिट्ठी लिखकर नाला डीडीए का होने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने कहा कि एलजी साहब अक्षम, निकम्मे और बेहद झूठी पार्टी के सदस्य हैं। जब वो अपने कार्यक्षेत्र में विफल होते हैं तो ‘‘आप’’ को जिम्मेदार ठहराते हैं।

आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि 31 जुलाई 2024 को मयूर विहार फेस-3 में डीडीए के 15 फीट गहरे नाले में गिरकर एक ढाई साल के बच्चे और उसकी मां की मौत हो गई थी। घटना की सूचना मिलते ही हमारे स्थानीय विधायक कुलदीप कुमार मौके पर पहुंचे। उन्होंने जेसीबी बुलवाकर मृत मां-बेटे को नाले से बाहर निकलवाया और पीड़ित परिवार की पूरी मदद की। कुलदीप कुमार ने यह नहीं सोचा कि नाला किसके अधीन है। 1 अगस्त को भी जब डीडीए के अध्यक्ष एलजी साहब ने पीड़ित परिवार के मुआवजे की घोषणा नहीं की और न ही पीड़ित परिवार से मुलाकात की। इसके बाद सांसद संजय सिंह ने प्रेस वार्ता कर एलजी साहब से पूछा कि जब वे संकट के समय दिल्लीवालों के साथ खड़े नहीं रह सकते, तो उनका इस संवैधानिक पद पर बैठे रहने का क्या हक़ बनता है, जबकि उनके अधीन डीडीए की लापरवाही से ये घटना हुई है।

प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि इसके बाद भाजपा ने अपने एक ओछे प्रवक्ता को घटनास्थल पर भेजकर यह बताने की कोशिश की कि नाला दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी का है। भाजपा ने अपनी ओछी राजनीति शुरू कर दी, लेकिन न मुआवजे की घोषणा की और न पीड़ित परिवार के साथ ही खड़ी हुई। एलजी की चुप्पी के बाद 2 अगस्त को ‘‘आप’’ विधायक दिलीप पांडे ने एलजी साहब को चिट्ठी लिखकर डीडीए के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। दो अगस्त को ही आम आदमी पार्टी ने इसी मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया और एलजी साहब से मुआवजे की घोषणा की मांग की। इसके बाद 2 अगस्त की शाम को एलजी कार्यालय ने एक चिट्ठी जारी किया। उस चिट्ठी से पता चलता है कि एलजी साहब केवल ‘‘आप’’ सरकार के काम रोकने और उसे बदनाम करने का काम करते हैं। उनसे अपना काम नहीं होता और हर काम से पल्ला झाड़ना चाहते हैं।

प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि चिट्ठी में एलजी साहब ने कहा था कि आम आदमी पार्टी और उसके नेता झूठ बोल रहे हैं, वो नाला डीडीए का नहीं है। क्या इसलिए उन्हें घटना स्थल पर जाने का समय नहीं मिला? एलजी वीके सक्सेना संवैधानिक पद पर बैठकर ‘‘आप’’ को कोसते रहे, क्योंकि हमने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग उठाई।

प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि जब ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तब साफ हुआ कि नाला डीडीए का ही है। हाईकोर्ट ने डीडीए को कड़ी फटकार लगाई और पूछा कि उसने निर्माण स्थल पर कोई बोर्ड या बैरिकेडिंग क्यों नहीं की? प्रियंका कक्कड़ ने आगे कहा कि जब 31 जुलाई को दिल्ली में बारिश का रेड अलर्ट था, तब भी डीडीए के अधिकारियों ने नाले को नहीं ढका था और ना ही निर्माण स्थल पर कोई बोर्ड या बैरिकेडिंग लगाया। ऐसा करके हादसे को टाला जा सकता था। केवल डीडीए की लापरवाही से यह मौतें हुई हैं। बीते गुरुवार को हाईकोर्ट ने डीडीए को पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोई के इस आदेश से पता चलता है कि भाजपा बार-बार अपना काम करने से बचती है और उसके एलजी केवल दोषारोपण करते हैं। जब आम आदमी पार्टी अच्छा काम करती है तो फोटो खिंचवाने पहुंच जाते हैं लेकिन जब अपने कार्यक्षेत्र में पूरी तरह विफल रहते है तो “आप’’ को जिम्मेदार ठहराते हैं।

प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि एलजी साहब को ‘‘आप’’ सरकार की शक्तियां छीननी हैं, लेकिन अपना काम नहीं करना है। दिल्ली में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी एलजी की है, लेकिन वो कानून व्यवस्था सुधारने और डीडीए को देखने से ज्यादा ‘‘आप’’ को बदनाम करने में दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने हमारे कई नेताओं को फर्जी केस में जेल में डाल दिया। अब जब यह साबित हो गया है कि यह नाला डीडीए का ही है, तो एलजी साहब को ‘‘आप’’ पर झूठे आरोप लगाने के लिए माफी मांगनी चाहिए और अपनी असफलता के लिए तुरंत प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

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