दिल्ली में जलभराव रोकने को लेकर भाजपा की चार इंजन की सरकार द्वारा किए गए प्रॉपर मैनेजमेंट की मानसून ने जाते-जाते भी पोल खोल कर रख दी। मंगलवार को दिल्ली में हर तरफ दुर्गाष्टमी की धूम थी और दशहरे में रावण दहन की तैयारियां जोरों पर थी, इस बीच जाते-जाते मानसून ने करवट ली और दिल्ली पानी-पानी हो गई। रामलीला के आयोजनों में आखिरी वक्त में पड़े खलल पर आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर तीखा तंज कसा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर राजौरी गार्डन स्थित रामलीला मैदान में हुए जलभराव में टूट कर जमीन पर पड़े रावण के पुतले वाली वीडियो साझा कर कहा कि चार इंजन की सरकार के काम देखकर रावण भी इतना शर्मिंदा हुआ कि उसने भी जलभराव में डूब कर आत्महत्या कर ली है।
सौरभ भारद्वाज ने एक और वीडियो पोस्ट कर कहा कि फुलेरा पंचायत का काम देखिए। सीएम रेखा गुप्ता की अपनी विधानसभा शालीमार बाग में रामलीला मैदान जरा सी बारिश में पानी-पानी हो गया। नालों की डिसिल्टिंग के नाम पर करोड़ो रुपए के ठेके दिए गए। फिर भी बारिश में दिल्ली का बुरा हाल हुआ। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद डिसिल्टिंग की थर्ड पार्टी ऑडिट से सरकार भाग रही है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मंगलवार को थोड़ी देत कि बारिश में ही राजौरी गार्डन में रामलीला के आयोजन स्थल पर जलभराव हो गया। पूरे मैदान में पानी भर गया। इस दौरान रावण का लगा ऊंचा पुतला जमीन पर टूटकर गिर गया। यह भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का ही नतीजा है कि रावण भी बहने लगा। उन्होंने कहा कि शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र में भी रामलीला मैदान में पानी भर गया। दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता इसी शालीमार बाग से निर्वाचित हुई हैं। इसके बाद भी जल निकासी का सही प्रबंधन नहीं होने से रामलीला के आयोजन में खलल पड़ गया है। उन्होंने महरौली में तेज पानी के बहाव में बहते हुए एक व्यक्ति की वीडियो भी साझा किया और कहा कि दिल्ली के महरौली से जल भराव में डूबते हुए आदमी की बहुत दिल दहलाने वाली वीडियो आई है। पता नहीं ये बहता हुई आदमी बचा या नहीं?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस साल हर बारिश में दिल्ली में जगह-जगह भारी जलभराव हुआ। क्योंकि भाजपा सरकार ने दिल्ली के नालों की डिसिल्टिंग नहीं कराई। भाजपा सरकार ने डिसिल्टिंग के नाम पर केवल करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया, जिसकी भरपाई आज दिल्ली की जनता कर रही है। भाजपा सरकार बार-बार डिसिल्टिंग का दावा करती है, लेकिन डिसिल्टिंग की थर्ड पार्टी ऑडिट से भाग रही है। जबकि कोर्ट ने भी नालों की डिसिल्टिंग की थर्ड पार्टी ऑडिट का आदेश दिया है। इसके बाद भी सरकार ऑडिट नहीं करा रही है। आखिर सरकार डिसिल्टिंग की थर्ड पार्टी ऑडिट नहीं कराकर क्या छिपाना चाहती है? दिल्ली की जनता को इस सवाल के जवाब का इंतजार है।