गोवा में आम आदमी पार्टी का परिवार और मजबूत हो गया है। गुरुवार को गोवा के क्रांतिकारी नेता श्रीकृष्ण परब आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। श्रीकृष्ण परब रिवोल्यूशनरी गोवांस पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। “आप” के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उन्हें पटका और टोपी पहनकर पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी, राष्ट्रीय सचिव व गोवा प्रभारी पंकज गुप्ता, गोवा के प्रदेश अध्यक्ष अमित पालेकर भी मौजूद रहे। “आप” ने श्रीकृष्ण परब को पार्टी में शामिल होने के बाद गोवा का महासचिव (संगठन) नियुक्त कर बड़ा इनाम दिया है। वहीं, वरिष्ठ नेता आतिशी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि श्रीकृष्ण परब गोवा को बदलने के आम आदमी पार्टी के अभियान को और तेजी से आगे बढ़ायेंगे और राज्य में ‘काम की राजनीति’ का परचम लहराएंगे।
“आप” की वरिष्ठ नेता व दिल्ली विधानसभा की नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर गोवा के गतिशील युवा नेता श्रीकृष्ण परब का “आप” में स्वागत किया। इस दौरान आतिशी ने कहा कि भारत के इतिहास में सबसे तेजी से बढ़ने वाली व सबसे तेजी से राष्ट्रीय पार्टी बनने वाली पार्टी “आप” है। “आप” ने अपनी स्थापना के मात्र 10-11 वर्षों में दिल्ली में सरकार बनाई, पंजाब में सरकार बनाई, गुजरात और गोवा में अपने विधायक जीतकर लाए और अब जम्मू-कश्मीर में भी एक विधायक “आप” की ओर से वहां की विधानसभा में जीतकर आए हैं। इतनी तेजी और इतनी विविधता के साथ किसी भी पार्टी की ग्रोथ और ग्राफ उतना नहीं रहा, जितना “आप” का रहा है।
आतिशी ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में, जहां अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं और विभिन्न राजनीतिक मुद्दों के आधार पर चुनाव होते हैं, वहां के लोगों ने “आप” को चुना। पहले लोग कहते थे कि “आप” केवल दिल्ली की पार्टी है, लेकिन जब पंजाब में चुनाव हुए, तो पहले ही चुनाव में “आप” मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई। गोवा में भी लोगों ने “आप” पर भरोसा दिखाया, जहां दो विधायक जीते और गुजरात तथा जम्मू-कश्मीर में भी लोगों ने पार्टी पर विश्वास जताया।
आतिशी ने कहा कि गोवा के एक युवा और गतिशील नेता श्रीकृष्ण परब “आप” में शामिल हो रहे हैं। श्रीकृष्ण परब रिवोल्यूशनरी गोवांस पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और इसके जनरल सेक्रेटरी रहे हैं, जिन्होंने रिवोल्यूशनरी गोवांस पार्टी के साथ मिलकर संगठन को पूरे गोवा और उसके आसपास के क्षेत्रों में खड़ा किया। जब गोवा में आईआईटी की जमीन अधिग्रहण के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन हुआ, उसका नेतृत्व करने वालों में श्रीकृष्ण परब भी शामिल थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में श्रीकृष्ण परब ने मायम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और लगभग 15 फीसदी वोट शेयर हासिल किया। श्रीकृष्ण परब “आप” में शामिल हो रहे हैं, क्योंकि “आप” गोवा में बदलाव ला सकती है। गोवा के लोगों ने 2022 में “आप” पर भरोसा जताते हुए दो विधायकों को जिताया और आज उन दो विधायकों के कार्यों को देखकर अन्य पार्टियों के लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और गोवा में बदलाव की इच्छा रखने वाले युवा “आप” से जुड़ रहे हैं।
इस दौरान श्रीकृष्ण परब ने कहा कि वह अरविंद केजरीवाल को धन्यवाद देना चाहते हैं कि “उनको इतना बड़ा मंच प्रदान किया। उन्होंने कहा कि गोवा एक छोटा सा राज्य है, जहां के मुद्दे भी गांव स्तर के छोटे-छोटे होते हैं, जिन्हें सुलझाना जरूरी है। पांच-छह साल पहले उन्होंने एक विचारधारा शुरू की थी कि गोवा में बदलाव चाहिए, जो “आप” ने दिल्ली में पहले करके दिखाया था, जहां उन्होंने कांग्रेस को हटाकर अपनी सरकार बनाई थी।
श्रीकृष्ण परब ने कहा कि उसी विचारधारा को लेकर वह गोवा में बदलाव चाहते थे, ताकि सत्ता को भ्रष्ट लोगों से छीनकर युवाओं के हाथों में लाया जाए। पिछले पांच सालों में उन्होंने कई प्रदर्शन किए और गोवा की जमीन तथा गोवा की पहचान से जुड़े कई मुद्दों को उठाया, क्योंकि सभी जानते हैं कि गोवा एक पर्यटन राज्य है, जो आतिथ्य और स्वागत के लिए जाना जाता है। गोवा के लोगों पर हो रहे हमलों को उन्होंने उठाया और इन पांच सालों में ऐसे मुद्दों को लिया, जो राजनीतिक नहीं थे, लेकिन गोवा के हर व्यक्ति से जुड़े थे।
श्रीकृष्ण परब ने कहा कि इन मुद्दों को उन्होंने राज्य स्तर पर प्रस्तुत किया, लेकिन बाद में एक राजनीतिक पार्टी बनाई, क्योंकि उन्होंने देखा कि अगर वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। केवल प्रदर्शन करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि उन्हें जनादेश भी चाहिए, ताकि वह मुद्दों को न केवल उठा सकें, बल्कि उन्हें हल भी कर सकें। उन्हें उस समय सफलता नहीं मिली, लेकिन पूरे गोवा में उन्हें 10 फीसदी वोट मिले और उनकी पार्टी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
श्रीकृष्ण परब ने कहा कि इसके बावजूद वह जो करना चाहते थे, वह नहीं कर पाए। उन्होंने “आप” का मंच इसलिए चुना, क्योंकि गोवा के मुद्दों को एक बड़ी आवाज चाहिए, जो राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे। अगर वह “आप” के साथ नहीं जुड़ते, तो राष्ट्रीय मीडिया तक उनकी बात नहीं पहुंच पाती। उन्होंने कहा कि सभी कहते हैं कि भाजपा गोवा में कई सालों से सत्ता में है, लेकिन वहां की स्थिति क्या है, यह राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना चाहिए। गोवा में कई मुद्दे हैं और हाल ही में गोवा के एक कैबिनेट मिनिस्टर ने दो-तीन दिन पहले बयान दिया कि गोवा का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा। अगर एक कैबिनेट मिनिस्टर यह कहता है कि प्रशासन ठीक नहीं है, तो यह स्वयं भाजपा को प्रमाणपत्र देता है कि वह गलत कर रही है। यह प्रमाणपत्र भाजपा के कैबिनेट मिनिस्टर ने ही दिया है, जिससे साबित होता है कि पिछले पांच सालों से वह और “आप” जो कहते आए हैं कि गोवा का प्रशासन विफल है, वह सही था।
गोवा के “आप” के अध्यक्ष अमित पालेकर ने कहा कि गोवा की राजनीति सत्ता और भ्रष्टाचार का दलदल बन चुकी है और आज गोवा की स्थिति गंभीर है। गोवा में चल रही राजनीति और भ्रष्टाचार का स्तर इतना बढ़ गया है कि भाजपा का एक कैबिनेट मिनिस्टर खुद कहता है कि फाइल पास करवाने के लिए पहले ऑफिस से नीचे आना पड़ता है, फिर मिनिस्टर साइन करके फाइल नीचे भेजता है, पैसों का लेन-देन होता है, और तब जाकर फाइल पास होती है।
अमित पालेकर ने कहा कि अगर गोवा का एक कैबिनेट मिनिस्टर यह कह सकता है, तो इससे बड़ा सर्टिफिकेट गोवा की सरकार के भ्रष्टाचार का और क्या हो सकता है। इसी बदलाव के लिए मिशन 2027 और विजन 2027 बनाया गया है, जो गोवा में स्वच्छ राजनीति, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और गैर-भ्रष्ट विकास की बात करता है। इसी उद्देश्य और आकांक्षा के साथ “आप” गोवा में संगठन बना रही है, और इसी के तहत वह आज श्री परब का “आप” में स्वागत करते हैं।
अमित पालेकर ने कहा कि वह चाहते हैं कि गोवा की जनता की आवाज सुनी जाए और “आप” गोवा के लोगों की आवाज बने, जहां लोग अपनी बात रख सकें और कोई उनकी बात सुन सके। गोवा में बेरोजगारी आज इतने उच्च स्तर पर पहुंच गई है कि स्थिति बहुत कठिन हो चुकी है। गोवा की लगभग 5 से 10 फीसदी आबादी, जो पासपोर्ट और डोमिसाइल के जरिए विदेश जा सकती है, वह गोवा और भारत छोड़कर चली गई है। यह स्थिति इसलिए है क्योंकि गोवा की भाजपा की सरकार हर स्तर पर विफल रही है। बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि नौकरियां मिलना मुश्किल हो गई है और 15,000 रुपये की नौकरी भी इस समृद्ध राज्य में मिलना कठिन है। गोवा के 10 फीसदी से अधिक युवा पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं ढूंढ पाते।
अमित पालेकर ने कहा कि गोवा की स्थिति इसलिए बिगड़ी है क्योंकि भाजपा के पिछले चार-पांच वर्षों के शासन में, चाहे मुख्यमंत्री हो या कोई अन्य मिनिस्टर, सभी कहते हैं कि अगर 10 या 15 सीटें भी मिलीं, तो वे विधायकों को खरीदकर सरकार बना लेंगे। यह थोक में विधायकों की खरीद-फरोख्त की इंडस्ट्री सबको पता है और इसे बताने की जरूरत नहीं कि यह किस पार्टी से जुड़ी है। हमें इस स्थिति को बदलना है और इस बदलाव को आगे बढ़ाने के लिए “आप” गोवा में 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और संगठन को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि इन 40 सीटों पर उम्मीदवारों का चयन गोवा के लिए फोकल पॉइंट होगा और इसमें राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और आतिशी, जो लंबे समय से गोवा से जुड़ी हैं, उनका मार्गदर्शन मिलेगा।
इस दौरान “आप” के राष्ट्रीय सचिव व गोवा प्रभारी पंकज गुप्ता ने कहा कि ऐसे युवा चेहरों के आने से गोवा की पूरी टीम को बहुत मजबूती मिलेगी और इससे कई लोगों को खुशी होगी और प्रेरणा भी मिलेगी कि उन्हें “आप” के साथ जुड़ना है। गोवा में “आप” के दो विधायक, कैप्टन वेंजी वीगास और क्रूज सिल्वा वेलिम, ने पूरे गोवा को दिखाया है कि यदि पार्टी के सिद्धांतों से जुड़े रहकर काम किया जाए, तो अपने क्षेत्रों में किस तरह का बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन महीनों में वह पूरे गोवा में घूमे हैं और सैकड़ों लोगों से मिले हैं और सभी ने कहा कि इन दोनों विधायकों ने पिछले 15 वर्षों में गोवा में किसी भी विधायक से बेहतर काम किया है।
पंकज गुप्ता ने कहा कि वह गोवा की जनता से कहना चाहते हैं कि “आप” अमित पालेकर और कृष्ण परब जैसे लोगों की तलाश में है और उन्हें पार्टी के साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित करना चाहती है, जो गोवा में बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गोवा की जमीन की समस्या वहां के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गोवा एक छोटा और खूबसूरत प्रदेश है, लेकिन वहां की जमीनों को तहस-नहस किया जा रहा है, जिसके प्रति जनता में बहुत रोष, आक्रोश और गुस्सा है। लेकिन कोई उनकी बात सुनने वाला नहीं है और बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर है।
पंकज गुप्ता ने कहा कि एक के बाद एक सरकारें गोवा में 10,000 नौकरियों का वादा करती हैं, खासकर चुनाव से पहले, लेकिन पांच साल बाद वही वादे दोहराए जाते हैं और पिछले 10,000 नौकरियों का कोई हिसाब नहीं होता। उन्होंने कहा कि न तो कोई काम हुआ, न स्किल डेवलपमेंट हुआ, न कोई इंडस्ट्री लगी और न ही कोई नीति बनी। मैंने सवाल-जवाब सत्रों में देखा कि जब कोई पूछता है कि औद्योगिक नीति से नौकरियों के लिए क्या किया गया और क्या परिणाम आए, तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं होता; उन्हें पता ही नहीं कि उन्होंने क्या किया। मेरा मानना है कि आने वाले समय में गोवा को बदलाव और स्थिरता की जरूरत है और यह केवल “आप” ही दे सकती है।