आम आदमी पार्टी ने परियोजनाओं में देरी पर मंत्री के खिलाफ जांच को मंजूरी देने को लेकर बीजेपी और एलजी पर तीखा हमला बोला है। “आप” का कहना है कि भाजपा और उसके एलजी ने अपनी ही दिल्ली सरकार को मजाक का पात्र बना दिया है। इसलिए बीजेपी और एलजी दिल्ली के करदाताओं की मेहनत की कमाई को व्यर्थ की जांचों में बर्बाद कर रहे हैं। कोई कैसे सोच सकता है कि बुनियादी ढांचे की परियोजना में देरी को भ्रष्टाचार कहा जा सकता है। वह भी मंत्रियों के स्तर पर? अगर यही भ्रष्टाचार के मामले दर्ज करने का पैमाना है, तो फिर हर दिन बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ दर्जनों भ्रष्टाचार के मामले दर्ज होने चाहिए।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि मार्च 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार, एमओएसपीआई द्वारा निगरानी की जा रही केंद्र सरकार की 56.3 फीसद परियोजनाओं में देरी थी, जिनका औसत समय तीन साल से अधिक था। जुलाई 2023 तक, 809 परियोजनाओं में देरी की सूचना थी, जिनकी कुल लागत में बढ़ोतरी 4.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक थी। जनवरी 2023 तक देरी वाली 835 परियोजनाओं की मूल लागत 10.88 लाख करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 14.07 लाख करोड़ रुपये हो गई, यानी लगभग 3.2 लाख करोड़ रुपये की लागत में बढ़ोतरी हुई।क्या इन मामलों में सीबीआई संबंधित केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज करेगी?
“आप” का कहना है कि प्रमुख बुलेट ट्रेन परियोजना मुंबई- अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना को दिसंबर 2015 में मंजूरी मिली थी, जिसका लक्ष्य मुंबई और अहमदाबाद (508 किमी) को जोड़ना था। 2023 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा होने का लक्ष्य रखा गया था। देरी की वजह से अब यह परियोजना 2033 से पहले पूरा नहीं होगी, यानी इसके पूरी तरह से संचालन में 10 साल की देरी हो सकती है।
“आप” का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर जुलाई 2022 तक खर्च 28,442 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था। अनुमान के अनुसार संशोधित लागत 1.6 लाख करोड़ रुपये होगी और परियोजना की लागत पूरी होने तक 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है, यानी 85 फीसद लागत बढ़ोतरी (मूल 1.08 लाख करोड़ रुपये से 0.92 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी) हो जाएगी। यह भी देरी और लागत बढ़ोतरी है, जो शुरुआती लागत से दोगुनी है। क्या सीबीआई इसके लिए भी उस मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करेगी?
“आप” ने कहा कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार परियोजनाओं में देरी के सामान्य कारणों में विलंबित नियामक मंजूरी, भूमि अधिग्रहण के मुद्दे, वित्तीय बाधाएं, ठेकेदारों का खराब प्रदर्शन, पर्यावरणीय मंजूरी और नौकरशाही की अक्षमता शामिल हैं। क्या इन कारणों से मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए जा सकते हैं?