आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को एसएससी परीक्षा में धांधली को लेकर संसद में चर्चा की मांग को लेकर नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। उन्होंने कहा है कि एसएससी परीक्षा में धांधली ने लाखों छात्रों का भविष्य बर्बाद कर दिया है। तकनीकी विफलताओं के चलते परीक्षाएं बार-बार रद्द होने से परेशान देश भर के छात्र सड़कों पर हैं और सरकार से जवावदेही और न्याय की मांग कर रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि एसएससी-यूपीएससी से लेकर राज्य स्तरीय परीक्षाओं और सार्वजनिक चयन प्रक्रियाओं तक में पारदर्शिता के साथ बार-बार खिलवाड़ हो रहा है। लिहाजा, परीक्षा कराने वालीे एजेंसी की जवाबदेही, दोषियों पर सख्त कार्रवाई और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए चर्चा जरूरी है।
संजय सिंह ने नोटिस में कहा है कि मैं आपका ध्यान 24 जुलाई से 1 अगस्त, 2025 के बीच आयोजित कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की चयन पद चरण-13 परीक्षा के संचालन में हुई गंभीर अनियमितताओं एवं प्रणालीगत विफलताओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। विभिन्न सरकारी पदों के लिए आयोजित इस परीक्षा में सॉफ्टवेयर क्रैश, बायोमेट्रिक सत्यापन में त्रुटियां और निर्धारित परीक्षाओं का अचानक रद्द होने जैसी व्यापक तकनीकी विफलताएं सामने आई हैं। इन विफलताओं के परिणाम स्वरूप अभ्यर्थियों को भारी अव्यवस्था की स्थिति का सामना करना पड़ा है, जिसके विरोध में विशेष रूप से दिल्ली सहित देशभर में हजारों छात्र सड़क पर उतरकर जवाबदेही और न्याय की मांग कर रहे हैं। यह स्थिति देश के प्रमुख भर्ती निकायों में से एक, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) पर जनता के विश्वास को गंभीर रूप से क्षति पहुंचा रही है। आगामी 13 अगस्त से आयोजित होने वाली संयुक्त स्नातक स्तरीय (सीजीएल) परीक्षा को लेकर भी अभ्यर्थियों में गहन चिंता और भय व्याप्त है।
संजय सिंह ने कहा है कि यह उल्लेखनीय है कि ऐसी घटनाएं पहली बार नहीं हुई हैं। विगत एक दशक में परीक्षा रद्द होने, तकनीकी गड़बड़ियों और प्रश्नपत्र लीक जैसी घटनाएं बार-बार घटित हुई हैं, जिससे देश के लाखों अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं। एसएससी एवं यूपीएससी से लेकर राज्य स्तरीय परीक्षाओं और शिक्षक पात्रता परीक्षाओं तक, सार्वजनिक चयन प्रक्रियाओं में ईमानदारी एवं पारदर्शिता के साथ बार-बार खिलवाड़ किया गया है।
संजय सिंह ने कहा है कि इन विफलताओं का प्रभाव केवल प्रशासनिक असुविधाओं तक सीमित नहीं है। जिन अभ्यर्थियों ने वर्षों की मेहनत एवं संसाधनों को इन परीक्षाओं की तैयारी में लगाया है, उनके श्रम को गहरा आघात पहुंचा है। मानसिक स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभाव व्यापक हैं। निराशा, लाचारी, चिंता एवं अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। परीक्षाओं के पुनर्निर्धारण अथवा पुनर्मूल्यांकन की अनिश्चितता ने उनके शैक्षणिक एवं व्यावसायिक जीवन को भी बाधित कर दिया है। साथ ही, उन्हें आर्थिक हानि भी उठानी पड़ रही है, क्योंकि यात्रा, आवास एवं परीक्षा तैयारी पर किए गए निवेश का प्रतिफल उन्हें प्राप्त नहीं हो रहा है।
संजय सिंह ने कहा कि यह प्रशासनिक अक्षमता एवं तकनीकी लापरवाही, निष्पक्षता एवं योग्यता के सिद्धांतों के साथ सीधा विश्वासघात है। जब व्यवस्था अकुशलता को सहन करती है और लापरवाही पर मौन रहती है, तो युवाओं में ईमानदारी एवं परिश्रम के प्रति आस्था डगमगाने लगती है, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम देश के मानव संसाधन एवं संस्थागत विश्वसनीयता पर पड़ते हैं। अतः मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि नियम 267 के अंतर्गत सदन की सभी कार्यवाहियों को स्थगित कर इस अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर तत्काल चर्चा कराई जाए, ताकि परीक्षा प्रक्रिया की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष समीक्षा कराई जा सके, परीक्षा आयोजित करने के लिए नियुक्त ठेकेदार एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित हो सके, दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाया जा सके।