आम आदमी पार्टी मुख्यालय पर रविवार को शहीद भगत सिंह का जन्म दिवस बड़ी धूमधाम से बनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे दिल्ली के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने भगत सिंह को याद करते हुए भाजपा की केंद्र सरकार की तुलना अंग्रेजी हुकूमत से की। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की तरह केंद्र सरकार भी आवाज उठाने वालों को झूठे केस बनाकर जेल में डाल रही है, ताकि लोग उन्हें भूल जाएं और उनका आंदोलन खत्म हो जाए। केंद्र सरकार की गलतफहमी है कि सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और जम्मू कश्मीर में ‘‘आप’’ मेहराज मलिक को जेल में डालने से लोग उन्हें भूल जाएंगे और उनका आंदोलन खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कंस की तरह यह सरकार भी डरी हुई है। पुरानी सरकारों की तरह इस सरकार का भी अंत आंदोलन से होना तय है। इसलिए वह हर आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है। इस दौरान विधायक संजीव झा, कुलदीप कुमार, विशेष रवि व पूर्व विधायक दुर्गेश पाठक और महिला विंग की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सारिका चौधरी समेत अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
सौरभ भारद्वाज ने क्रूर राजा कंस की कहानी सुनाते हुए कहा कि कंस की प्रजा बहुत दुखी थी। लोग सोच रहे थे कि कंस का वध करने भगवान आएंगे, क्योंकि उसका पाप बढ़ गया था। जब उसे भविष्यवाणी के जरिए पता चला कि अपनी बहन देवकी का आठवां पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा, तो वह डर गया और अपनी बहन के हर बच्चे को एक-एक करते मारते चला गया। आज केंद्र में बैठी भाजपा सरकार भी कंस की तरह डरी हुई है। केंद्र सरकार को पता है कि जैसे पुरानी सरकार का अंत आंदोलन से हुआ, वैसे ही इसका अंत भी आंदोलन से तय है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कंस की तरह डरी हुई यह सरकार भी सोचती है कि “देवकी” का कोई भी बेटा-बेटी न बचे। कोई गुंजाइश ही न रहे कि कोई उसका वध कर दे। यही कारण है कि जब भी उत्तराखंड में आंदोलन शुरू होता है, तो सरकार घबरा जाती है और सोचती है कि कहीं यही आंदोलन उसे डुबो न दे। लद्दाख में आंदोलन होता है, तो प्रधानमंत्री घबरा जाते हैं कि कहीं यही आंदोलन डुबो न दे। अगर मुंडका के पास यूईआर-2 का आंदोलन होता है, तो प्रधानमंत्री डर जाते हैं। सोचते हैं कि कहीं मुंडका वाले डुबो न दें। पूरी सरकार में डुबो दिए जाने का डर चरम पर है।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि आज देश में हर जगह आंदोलन शुरू हो गए हैं। उत्तराखंड व मणिपुर में आंदोलन चला। अब नॉर्थ ईस्ट और लद्दाख में आंदोलन चल रहा है। आम आदमी पार्टी मुख्यालय के बाहर हमेशा पुलिस रहती है कि यहां कब आंदोलन शुरू हो जाए, पता नहीं। भगत सिंह की जयंती पर भी बाहर पुलिस खड़ी है। कुछ दिन पहले लद्दाख में सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया गया। वहां के कांग्रेस-भाजपा दफ्तर के बाहर पुलिस नहीं आई, लेकिन दिल्ली में ‘‘आप’’ मुख्यालय के बाहर पुलिस खड़ी हो गई। केंद्र सरकार को डर है कि यहां भी देवकी का कोई बेटा आ सकता है और कोई आंदोलन खड़ा हो सकता है। समस्या कंस की है, उसे नींद नहीं आ रही है और इस सरकार को डर लग रहा है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा के समर्थन वाले सभी सोशल मीडिया हैंडल “जेन-जी” शब्द इस्तेमाल कर कहते हैं कि जेन-जी भगवा हो गया है और वह अब भाजपा के साथ है। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा को इतना डर क्यों है। क्या भाजपा से कोई पूछ रहा है कि कौन किसके साथ है? हर ऑडियो, वीडियो पोस्ट में भाजपा यही कहने की कोशिश करती है कि युवा उसके साथ है। भाजपा ने युवाओं को ऐसा क्या दिया कि वह उनके साथ होगा? भाजपा के साथ न युवा है और न तो बुजुर्ग है।
सौरभ भारद्वाज ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर कहा कि मोदी सरकार ने ऐसे महान व्यक्ति को गिरफ्तार किया। सोनम वांगचुक बहुत पढ़े-लिखे और काबिल इंसान हैं। उन्होंने लद्दाख में शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में कई आविष्कार किए। उन्हें दुनिया भर से सैकड़ों पुरस्कार मिले है। अलग-अलग देश उन्हें बुलाकर डॉक्टरेट की उपाधि देते हैं और उनके आविष्कारों को अपने देश में इस्तेमाल करने की अनुमति लेते हैं। उन्होंने भारतीय सेना के लिए दुनिया का पहला सौर ऊर्जा से गर्म होने वाला टेंट बनाया। गर्मियों में कृषि और अन्य जरूरतों के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए आइस स्तूप बनाया। उन्हें दुनिया भर में उनके आविष्कारों के लिए जाना जाता है।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धारा 370 हटाई, तब सोनम वांगचुक ने उनहे बधाई दी। उन्होंने कहा था कि शायद इससे कश्मीर की समस्या हल हो जाए। देशवासियों को भी लगा कि धारा 370 हटने से कश्मीर में शांति आ जाएगी। लेकिन छह साल बीत गए, कुछ नहीं हुआ। 70 साल से जो लोग कहते थे कि धारा 370 हटाने से कश्मीर ठीक हो जाएगा, वह नीति फेल हो गई। सोनम वांगचुक ने भी कहा कि सरकार की नीति गलत है। सरकार ने लद्दाख के लिए जो वादे किए, उन्हें पूरा करो।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि लद्दाख के लोग भोले-भाले हैं। वहां के ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। उनका धर्म अहिंसा पर आधारित है। शांति प्रिय लोग पिछले पांच-छह साल से हाथ जोड़कर विनती कर रहे हैं। सरकार ने उनसे वादा किया था कि लद्दाख को छठीं अनुसूची में शामिल किया जाएगा। लोग इसकी मांग कर रहे हैं। सरकार द्वारा लद्दाख से किया गया पूर्ण राज्य का वादा भी पूरा नहीं हुआ। इसलिए लोग धरने और अनशन कर रहे थे। सोनम वांगचुक लद्दाख से दिल्ली 700-800 किमी पैदल तक चलकर आए। लेकिन सरकार ने उन्हें बेइज्जत करके वापस भेज दिया और अब सरकार कहती है कि ये लोग देशद्रोही हैं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि लद्दाख में हुई हिंसा में मरने वालों की कोई चर्चा नहीं कर रहा है। उनका नाम तक नहीं लिया का रहा है। वे लोग कोई आतंकवादी, पाकिस्तानी या चीनी नहीं थे, बल्कि हमारे देश के ही 20-21 साल के नौजवान थे। हिंसा में मारे गए एक युवक के पिता रोते हुए कहते हैं कि मैंने और मेरे 46 साल के बेटे ने पूरी जिंदगी भारतीय सेना को दी। वह कारगिल युद्ध लड़ा और रिटायर होने के बाद उसने छोटा-मोटा काम शुरू किया। जब उसे लगा कि अपने हक के लिए लड़ना चाहिए, तो वह आंदोलन में गया और उसे गोली मार दी गई। ऐसा नहीं था कि गलती से उसे गोली लगी। उसे बाकायदा पहले पीटा गया और फिर मारा गया।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ने उस व्यक्ति की तस्वीर दिखाते हुए कहा कि भगत सिंह मरते नहीं हैं। हर साल हिंदुस्तान में भगत सिंह पैदा होते हैं, लेकिन इस भगत सिंह को केंद्र सरकार ने मार दिया। इन्होंने लद्दाख स्काउट्स में सेना में काम किया, कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ा। इनके दो बेटे, दो बेटियां हैं। उसके पिता भी फौजी थे। अभी उसके बच्चे आर्मी स्कूल में पढ़ रहे हैं। वे भी कल फौज में जाने को तैयार हैं, लेकिन हमारी सरकार ने उसके साथ ऐसा किया।
सौरभ भारद्वाज ने भगत सिंह के समय में ब्रिटिश सरकार पैसे देकर गली में किसी को चाकू नहीं मरवा देती थी, वह मुकदमे करती थी और अखबारों में छपवाती थी कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव पर हत्या के आरोप हैं। इसके बाद कानून के हिसाब से मुकदमा चलता था। सरकार, वकील, जज, तंत्र, मीडिया सब कुछ अंग्रेजों का था, लेकिन फिर भी कानूनी तरीके से फांसी दी जाती थी। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को कानूनी ट्रायल के बाद ही फांसी दी गई। साबित किया गया कि उन्होंने कानून तोड़ा। आज हिंदुस्तान में भी यही हो रहा है। सोनम वांगचुक को पैसे देकर चाकू नहीं मरवा सकते। सरकार वही करेगी जो अंग्रेज करते थे, वह झूठे मुकदमे और झूठी खबरें चलवाकर कहेगी कि यह व्यक्ति देशद्रोही है, इसलिए इसे जेल में डाला गया है। यह सिलसिला इसलिए है ताकि हम सोनम वांगचुक जैसे लोगों को भूल जाएं। लेकिन हम यह नहीं भूलेंगे कि सोनम वांगचुक दो दिन और “आप” विधायक मेहराज मलिक 13 दिन से जेल में हैं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सरकार सोचती है कि जेल में डाल देंगे, तो लोग भूल जाएंगे और अगर लोग भूल जाएंगे, तो उनके नाम पर चले रहे आंदोलन और लड़ाई बंद हो जाएगी। इसलिए हमें प्रण लेना है कि जब भी मौका मिले, सोशल मीडिया पर लिखेंगे कि सोनम वांगचुक को जेल गए पांच दिन हो गए, मेहराज मलिक को 18 दिन हो गए। चाहे दो साल, ढाई साल ही क्यों न हो जाएं, हम रोज लिखते रहेंगे। इसलिए सरकार को समझना होगा कि लोग इन्हें कभी नहीं भूलेंगे। हमें इन लोगों को नहीं भूलना है और सरकार को बताना है कि हम याद रखेंगे कि तुमने हमारे भाइयों को सिर्फ इसलिए जेल में डाला गया, क्योंकि वे हक की आवाज उठा रहे थे।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज भी हमारे दिलों में कहीं न कहीं भगत सिंह जिंदा हैं। हमें भगत सिंह की चेतना को मरने नहीं देना है। हमें यह समझना है कि भगत सिंह को तो फांसी हुई थी, लेकिन यह सरकार ज्यादा से ज्यादा मुकदमा करके जेल में ही डाल सकती है। लेकिन उससे कुछ नहीं बदलेगा। जनता को यह ठानना होगा कि हम जेल से नहीं डरते और यह सरकार जेल में डालने से ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकती। सरकार बदलते ही सारे राजनीतिक मुकदमे माफ हो जाएंगे। इसलिए राजनीतिक मुकदमों और जेल से नहीं डरना है और सबको बताना है कि अगर मन से जेल का डर निकाल दोगे, तो ऐसी सरकारें ज्यादा दिन नहीं टिकेंगी।
इस दौरान “आप” नेता व मशहूर समाजसेवी पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह के बलिदान और उनके क्रांतिकारी विचारों को याद किया। उन्होंने बताया कि भगत सिंह ने गुलामी को देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप माना और इंकलाब जिंदाबाद का नारा देकर आजादी की ज्वाला को प्रज्वलित किया। उन्होंने भगत सिंह के दृढ़ संकल्प का जिक्र किया, जब उन्होंने फांसी माफ करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा, शहीद होने पर हर घर में भगत सिंह पैदा होगा। उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने आजादी के 65 साल बाद सरकारी कार्यालयों में भगत सिंह की तस्वीरें लगाने की पहल करके उनकी विरासत को सम्मान दिया।