आम आदमी पार्टी ने सौरभ भारद्वाज के घर पर ईडी की रेड को पूरी तरह फर्जी बताया है। ‘‘आप’’ विधायक अनिल झा ने कहा कि अस्पताल निर्माण मामले में जिस वक्त का केस है, उस वक्त सौरभ भारद्वाज मंत्री ही नहीं थे। यह पूरा मामला फर्जी है। अस्पताल प्रोजेक्ट और एचआईएमएस की स्वीकृति के दौरान जब सौरभ भारद्वाज मंत्री ही नहीं थे तो वह आरोपी कैसे हुए? वहीं, एसीबी प्रमुख का कहना है कि इन प्रोजेक्ट्स को 2017-18 में मंजूरी मिली, लेकिन सौरभ भारद्वाज तो 2023 में मंत्री बने थे। जब 2016-17 में एचआईएमएस का एलान हुआ, तब भी एफआईआर में नामित सौरभ भारद्वाज ने मंत्री पद नहीं संभाले थे। सच तो यह है कि सौरभ भारद्वाज के घर ईडी की रेड सिर्फ मोदी जी की फ़र्ज़ी डिग्री वाले मुद्दे से ध्यान भटकाने का एक तरीका है।
अस्पताल निर्माण के जिन प्रोजेक्ट्स में गड़बड़ी बताकर सौरभ भारद्वाज के घर पर रेड हुई है, उस समय तो वह मंत्री ही नहीं थे। 2018-19 में 24 अस्पताल निर्माण प्रोजेक्ट में अनियमितता का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन सौरभ भारद्वाज 2023 में मंत्री बने थे। सौरभ भारद्वाज पर बनाया गया मामला पूरी तरह झूठा और बेबुनियाद है। यह रेड सिर्फ मोदी जी की डिग्री विवाद से ध्यान भटकाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को अपने प्रधानमंत्री की पढ़ाई और डिग्री के बारे में जानने का पूरा हक है, लेकिन वह अपनी डिग्री दिखाना नहीं चाहते हैं। क्योंकि अगर उनकी डिग्री ही फर्ज़ी निकल गई, तो यह दिल्ली यूनिवर्सिटी और देश दोनों के लिए शर्मनाक होगा।
“आप” के वरिष्ठ नेता व विधायक अनिल झा ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के सोमवार के फैसले ने पूरे देश में जिज्ञासा पैदा की है। हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री की डिग्री दिखाने के लिए बाध्यता नहीं है, लेकिन लोग पूछ रहे हैं कि आखिर डिग्री क्यों नहीं दिखाई जा रही है? यह सवाल वैश्विक पटल पर भी उठता है, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री विश्व भर में यात्रा करते हैं। देश की जनता को सूचना के अधिकार के तहत यह जानने का हक है कि प्रधानमंत्री, सांसद या मंत्री ने कहां से पढ़ाई की, उनके संघर्ष की कहानी क्या है। लेकिन डिग्री न दिखाना सवाल उठाता है।
अनिल झा ने कहा कि वे दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं और सत्यवती कॉलेज से पढ़े हैं। जब वे विधायक बने, तो कॉलेज ने उनका सम्मान किया। इसी तरह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और आतिशी का भी दिल्ली यूनिवर्सिटी ने सम्मान किया। लेकिन यह समझ से परे है कि विश्वविद्यालय अपने ही पूर्व छात्र (प्रधानमंत्री) की डिग्री क्यों छुपा रहा है। अनिल झा ने कहा कि यह उनके लिए गर्व का विषय है कि प्रधानमंत्री उनके विश्वविद्यालय से पढ़े और वे अन्य पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों के साथ मिलकर उन्हें बधाई पत्र भेजना चाहते हैं। लेकिन डिग्री की सत्यता पर असमंजस है, क्योंकि इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है।
अनिल झा ने सौरभ भारद्वाज पर ईडी की छापेमारी को फर्जी और ध्यान भटकाने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि सौरभ उस समय (2018-19) स्वास्थ्य मंत्री नहीं थे, वे 2023 में मंत्री बने। फिर उन पर गड़बड़ी का आरोप कैसे? सुबह 8 बजे से रेड चल रही है, लेकिन कुछ नहीं मिला। यह रेड प्रधानमंत्री के डिग्री विवाद से ध्यान हटाने के लिए है।
अनिल झा ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि अगर अंत्योदय ही उनका लक्ष्य है, तो गांव के टेलर, धोबी, मोची, नाई, मछुआरे के घर भी ईडी रेड करवाएं कि उनकी झोपड़ी या कपड़े कैसे बने। यह निर्दाेष को निशाना बनाने की साजिश है। उन्होंने भाजपा पर दलितों, अल्पसंख्यकों, मुस्लिमों और अब ब्राह्मणों के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया। इसे पूंजीवादी और सामंती सरकार का पतन का रास्ता बताया। न्यायपालिका से अपील की कि एक सामान्य नागरिक और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में वे प्रधानमंत्री की डिग्री देखना चाहते हैं।
अनिल झा ने कहा कि जिस समय के मामले (2018-19 में दिल्ली के 24 अस्पताल निर्माण परियोजनाओं) का हवाला दिया जा रहा है, उस समय सौरभ भारद्वाज मंत्री नहीं थे। कहा जा रहा है कि उन्होंने मंत्री रहते गड़बड़ियां कीं, लेकिन जब वह 2023 में स्वास्थ्य मंत्री बने, तो फिर गड़बड़ी कैसे कर दी? यह केवल मोदी की डिग्री विवाद से ध्यान भटकाने की साजिश है। आम आदमी पार्टी, सौरभ भारद्वाज के साथ मजबूती से खड़ी है और भाजपा की साजिशों का विरोध करती रहेगी। साथ ही, देश को यह जानने का हक है कि प्रधानमंत्री कहां से पढ़े, उनके अंक क्या हैं और डिग्री की सत्यता क्या है।