आम आदमी पार्टी के दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने समान वेतन समेत अन्य मांगों को लेकर करवा चौथ के दिन भी धरने पर बैठे एमटीएस कर्मचारियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का करवा चौथ पर भी धरना देना बेकार नहीं जाएगा। भाजपा को उनकी मांगे माननी ही पड़ेगी। उन्होंने कहा कि”आप” सरकार में डीबीसी से एमटीएस बने कर्मचारियों को संविदा कर्मी बताकर भाजपा उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करना चाहती है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्टैंडिंग कमेटी की चेयरमैन ने दिल्लीवालों को करवा चौथ की बधाई तो दीं, लेकिन धरने पर बैठे कर्मचारियों की सुध नहीं लीं। भाजपा को यह समझना होगा कि यह कोई “आप” या भाजपा की लड़ाई नहीं है, बल्कि कर्मचारियों के अधिकारों की लड़ाई है और भाजपा को मांगे पूरी करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मैने सीएम रेखा गुप्ता को चिट्ठी लिखकर कर्मचारियों की जायज मांगे मानने और हड़ताल खत्म कराने की अपील भी की है।
अंकुश नारंग ने कहा कि करवा चौथ का त्यौहार होने बावजूद सभी माताओं, बहनों और भाइयों को अपने अधिकारों के लिए सड़क पर धरना देते देखकर दिल दुखता है। शुक्रवार को मैने स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में सिर्फ एमटीएस -सीएफडब्ल्यू कर्मचारियों पर चर्चा करने की मांग की लेकिन भाजपा ने नहीं कराई। भाजपा ने डीबीसी (डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर) पद को ‘संविदा’ बताकर कर्मचारियों अधिकारों से वंचित रखा था। आम आदमी पार्टी की सरकार ने इन्हें एमटीएस बनाया। अब जब ये संवैधानिक पद पर काम कर रहे हैं और इनके लिए बजट भी रिजर्व है, तो भाजपा को इनकी मांगें मानने में क्या दिक्कत है? 2013 में कोर्ट के आदेश पर जब 212 कर्मचारियों को न्यूनतम ग्रेड पे और उचित डीए दिया जा रहा है, तो फिर बाकी 5 हजार कर्मचारियों को क्यों नहीं दिया जा रहा ? आखिर इन कर्मचारियों की क्या गलती है?
अंकुश नारंग ने कहा कि 27 अगस्त को प्राप्त यूनियन की चिट्ठी का जिक्र करते हुए बताया कि मैंने यूनियन से चिट्ठी मिलने के बाद 2 सितंबर को महापौर और कमिश्नर को उनकी मांगें भेजीं। 12 सितंबर को एमएचओ (मेडिकल हेल्थ ऑफिसर) से समस्या का समाधान निकालने की मांग की। मैंने उनसे कहा कि ये कर्मचारी दिन-रात मेहनत करते हैं और लार्वा के बीच टंकियां चेक करते हैं, चार-चार मंजिल चढ़कर जल संग्रह की जांच करते हैं, फॉगिंग करते हैं। वर्तमान में वेक्टर-जनित रोगों का मौसम है। ऐसे इनकी समस्या का समाधान कर हड़ताल खत्म करवाएं। एमएचओ ने वादा तो किया, लेकिन कुछ नहीं किया। 26 सितंबर को मैंने सदन में कहा कि 29 सितंबर से कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे है। दिल्ली की जनता और इन कर्मचारियों के प्रति भाजपा का फर्ज है कि वह इनकी समस्याओं का समाधान करे। लेकिन 12 दिन से चल रही हड़ताल के बाद भी महापौर, कमिश्नर या भाजपा नेताओं के पास इनसे मिलने का समय नहीं है।
अंकुश नारंग ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में भाजपा ने प्राइवेट रेजोल्यूशन लाकर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों का मजाक उड़ाया। आम आदमी पार्टी की सरकार लंबे संघर्ष के बाद सफाई कर्मचारियों को पक्का करने का बिल लेकर आई थी। क्योंकि भाजपा के कमिश्नर “आप” सरकार की बात सुनते ही नहीं थे। अब जब एमसीडी में भाजपा की सरकार है और भाजपा के पास ही कमिश्नर की नियुक्ति का अधिकार है, फिर उसे कर्मचारियों के हित में बिल लाने में दिक्कत क्यों है?
अंकुश नारंग ने कहा कि मैने स्टैंडिंग कमेटी मीटिंग में बिल पास करने की मांग की ताकि 14 अक्टूबर को होने वाली सदन में इसे लागू कर दिया जाए। लेकिन भाजपा ने कोई जवाब नहीं दिया। सच तो ये है कि भाजपा की संवेदनशीलता खत्म हो चुकी है। दिल्लीवालों को करवा चौथ की बधाई दे रही स्टैंडिंग कमेटी की चेयरमैन से भी मैने कहा कि सड़क पर करवा चौथ मनाने को मजबूर कर्मचारी की ओर भी ध्यान दें। धरने पर बैठी बहनों के हाथों में करवा चौथ पर मेहंदी नहीं है, सिर्फ मिट्टी लगी है। उन्होंने भाजपा के लोगों से कहा कि भाजपा वाले वोट मांगने तो बेटा-बेटी बनकर आते हैं, अब सरकार में आ गए हैं तो बाप बनने की कोशिश कर रहे हैं। ये लोग भूल गए कि हर 5 साल बाद चुनाव आता है।
अंकुश नारंग ने कहा कि भाजपा को चाहिए कि जैसे “आप” की सरकार ने डीबीसी कर्मचारियों को एमटीएस बनाया, वैसे ही वह भी कर्मचारियों की मांगे पूरा कर श्रेय ले। इस कार्य के लिए आम आदमी पार्टी भी भाजपा का साथ देगी। यह “आप” या भाजपा की लड़ाई नहीं है, बल्कि एमसीडी कर्मचारियों के अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि 14 अक्टूबर को एमसीडी का सदन है। मैंने 91 पार्षदों का हस्ताक्षर युक्त चिट्ठी देकर महापौर, कमिश्नर और निगम सचिव से विशेष सदन बुलाकर कर्मचारियों की मांगे पूरी करने का अनुरोध किया है।
अंकुश नारंग ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में भी मैंने सिर्फ कर्मचारियों की बात की। एमसीडी के कर्मचारी दुखी हैं और फॉगिंग भी रुक गई। महापौर के अहंकार से जनता भी परेशान है। सफाई कर्मचारी यूनियन भी 15 अक्टूबर से हड़ताल पर जा रही हैं। आम आदमी पार्टी एमसीडी में दो साल तक रही, लेकिन कर्मचारी कभी हड़ताल पर नहीं गए। अब जब से भाजपा ने एमसीडी संभाली है, कर्मचारी हमेशा अपनी जायज मांगों और अधिकारों के लिए सड़क पर नजर आते हैं। उन्होंने भरोसा दिया कि आम आदमी पार्टी कर्मचारियों की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ेगी। 14 अक्टूबर को मै खुद कर्मचारियों का बिल सदन में लेकर आऊंगा। भाजपा शासित एमसीडी और प्रशासन को कर्मचारियों की मांगें 100 फीसद माननी पड़ेंगी।
*अंकुश नारंग ने कर्मचारियों की मांगे पूरी करने के लिए सीएम रेखा गुप्ता को लिखा पत्र*
अंकुश नारंग ने बताया कि उन्होंने एमटीएस कर्मचारियों की मांगे पूरी करने को लेकर सीएम रेखा गुप्ता को चिट्ठी भी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि एमसीडी के डीबीसी कर्मचारी पिछले 12 दिनों से निगम मुख्यालय, सिविक सेंटर के बाहर अपनी जायज मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। यह कर्मचारी नगर निगम में समान कार्य करते हुए भी वेतन में भेदभाव का शिकार हैं। निगम प्रशासन से न महापौर और न ही स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए समाधान की पहल की है।
अंकुश नारंग ने कहा है कि मैंने इस विषय को कई बार निगम हाउस और स्टैंडिंग कमिटी में उठाया है और इसी संदर्भ में माननीय महापौर, एमसीडी आयुक्त सहित संबंधित अधिकारियों को पत्र भी लिखा है कि डीबीसी कर्मचारियों की जायज मांगों पर गंभीरता से विचार करें और उनका जायज अधिकार उन्हें प्रदान करें ताकि वे पुनः कार्यस्थल पर लौटकर दिल्लीवासियों को मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया एवं अन्य बीमारियों से बचाने में सक्षम हो सकें। डीबीसी कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल 8 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के कार्यालय में अपनी समस्या लेकर पहुंचा था, परन्तु तीन घंटे बैठने के बाद भी उनसे मुख्यमंत्री की कोई मुलाकात नहीं हो सकी, जो अत्यंत दुखद और आश्चर्यजनक है।
अंकुश नारंग ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि एक ही निगम, एक ही स्तरीय कर्मचारी और समान कार्य के लिए वेतन में इतना बड़ा अंतर क्यों है? निगम में 212 डीबीसी कर्मचारियों को मासिक वेतन 27,500 रुपये दिया जा रहा है, क्योंकि विभाग ने उन्हें एमटीएस ग्रेड पे 5200 रुपये दिया है, जबकि बाकी 5 हजार डीबीसी कर्मचारियों को मात्र 16,500 रुपये मासिक वेतन प्राप्त हो रहा है। उनकी मुख्य मांग है कि समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए, जो पूरी तरह जायज है। वे इसी इसी जायज मांग को लेकर धरने पर बैठे बैठे हुए हैं।
अंकुश नारंग ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से निगम प्रशासन उनकी समान कार्य समान वेतन की मांग को स्वीकार कर लेता है तो इसका वित्तीय प्रभाव मात्र 50-60 करोड़ रुपये होगा, जो इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों के परिवारों और दिल्लीवासियों को बीमारियों से बचाने के लिए कोई बड़ा भार नहीं है।
अंकुश नारंग ने कहा कि आज दिल्ली, केंद्र, एमसीडी में भाजपा सरकार है और लोकपाल भी भाजपा की ही सरकार के हैं, अतः वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
अंकुश नारंग ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से निवेदन किया कि कृपया इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करें और डीबीसी कर्मचारियों की जायज मांगों को स्वीकार करवाकर उनकी हड़ताल समाप्त कराएं, जिससे निगम का कार्य सुचारू रूप से चल सके और दिल्ली के नागरिक स्वस्थ रह सकें। आशा है कि मुख्यमंत्री इस गंभीर समस्या का शीघ्र समाधान करेंगी।