आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने बजट पर चर्चा के दौरान मोदी सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार टैक्स तो इंग्लैंड की तरह ले रही है लेकिन सर्विसेज सोमालिया की तरह दे रही है। सरकार के बजट ने देश के हर वर्ग को निराशा किया है। पिछले 10 सालों से ये सरकार टैक्स लगाकर केवल आम आदमी का खून चूस रही है। सरकार आम आदमी की कमाई का 60-70 फीसद बतौर टैक्स ले ले रही है लेकिन बदले में कुछ सुविधाएं भी नहीं दे रही है। इसीलिए लोकसभा चुनाव में भाजपा 303 से घटकर 240 सीटों पर आ गई है। इसका प्रमुख कारण ग्रामीण भारत में घटती आय-बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी है। उन्होंने मोदी सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को न्यूनतम मजदूरी आय को बढ़ती महंगाई से जोड़ना होगा। फसलों पर एमएसपी की गारंटी देनी होगी और जीएसटी को सरल करने के साथ राज्यों पैसा देना होगा।
“आप” के राज्य सभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि आमतौर पर देखा जाता है कि जब भी देश का वित्तीय बजट पेश होता है तो इससे देश के कुछ वर्ग खुश होते हैं तो कुछ वर्ग निराश होते हैं। लेकिन इस बार इस सरकार ये वो कर दिखाया है, जो अब तक असंभव था। इस सरकार ने अपने बजट से देश के लगभग हर वर्ग को निराश किया है। यहां तक की भाजपा के वोटर और समर्थक भी इस बजट से बहुत निराश हैं। इस सरकार ने पिछले 10 सालों में एक के बाद एक टैक्स लगाकर आम आदमी का खून चूस लिया है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि मान लीजिए अगर एक व्यक्ति 10 रुपए कमाता है, इसमें से उसे 3-3.5 रूपए इनकम टैक्स देना होता है, 2-2.5 रुपए जीएसटी और 2 रुपए कैपिटल गेन टैक्स भरता है, ऊपर से 1-1.5 रुपए सेस और सर चार्ज लग जाते हैं। यानि मात्र 10 रुपए में से भी 7 से 8 रुपए सरकार के खजाने में चला जाता है। तो आम आदमी के हिस्से में क्या रह जाता है? इन टैक्स के बदले में सरकार आम आदमी को क्या देती है? इनके बदले में सरकार देशवासियों को कितनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं, विश्वस्तर की स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन की सुविधाएं दे रही है? उन्होंने कहा कि मुझे ये कहने में जरा भी गुरेज नहीं है कि आज भारत के लोग इंग्लैंड जैसे देशों की तरह टैक्स दे रहे हैं, लेकिन बदले में उन्हें सोमालिया जैसे देश के स्तर की सुविधाएं मिल रही हैं।
राघव चड्ढा ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 303 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार देश की जनता ने 18 फीसद जीएसटी लगाकर इन्हें 240 सीटों पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसके कई कारण बताए जाते हैं। कई लोग कहते हैं कि इस बार भाजपा का धर्म का कार्ड नहीं चला, कोई कहता है कि वो जातीय समीकरण नहीं बैठा पाई, तो कुछ लोग कहते हैं कि टिकट बांटने में कमी रही। लेकिन ये सब ऊपरी बाते हैं। भाजपा की इस दुर्दशा के पीछे तीन मुख्य कारण हैं। जिसमें पहला कारण देश की अर्थ व्यवस्था है, दूसरा कारण, देश की अर्थव्यवस्था है और तीसरा कारण भी देश की अर्थ व्यवस्था है। इसकी सबसे बड़ी और पहली वजह देश के ग्रामीण इलाकों की आय और बढ़ती महंगाई है। देश की 60 फीसद से ज्यादा आबादी गांव में बसती है। देश के ग्रामीण इलाकों में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, फसलों की कम उपज, आय में असमानता, किसानों पर बढ़ता कर्ज, बढ़ती कृषि लागत, घटती आय और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कमी के कारण, वित्तीय वर्ष 2023-24 में ग्रामीण आय वृद्धि दर इस दशक के सबसे निम्न स्तर पर है।
राघव चड्ढा ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने और स्वामीनाथन आयोग के अनुसार एमएसपी देने का वादा किया था। लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया। इसकी वजह से पिछले 25 महीनों से ग्रामीण इलाकों में वास्तविक मजदूरी लगातार घटी है। वहीं, यूपीए की सरकार के कृषि मजदूरी में 8.5 फीसद का इजाफा देखा गया था जबकि एनडीए 1 और एनडीए 2 के दौरान ये इसमें केवल 3 फीसद और -0.6 फीसद की बढ़ोतरी हुई। इसे सरल भाषा में समझें तो 2014 मे जहां एक दिहाड़ी मजदूर एक दिन की मजदूरी से तीन किलो दाल खरीद सकता था, आज वही दिहाड़ी मजदूर अपनी एक दिन की दिहाड़ी से 1.5 किलो दाल खरीद पा रहा है। एक तरफ महंगाई बढ़ रही है और दूसरी तरफ किसान की आमदनी भी घट रही है। जिससे ग्रामीण इलाकों में भाजपा का 5 फीसद वोट प्रतिशत घट गया। इसकी वजह से भाजपा के खुद के केंद्रीय कृषि मंत्री भी चुनाव हार गए। देश की 398 ग्रामीण लोकसभा सीटों में से जहां 2019 में भाजपा को 236 सीटें मिली थीं, इस बार इन्हें मात्र 165 सीटें मिली हैं। ग्रामीण भारत ने भाजपा को नकार दिया है।
राघव चड्ढा ने कहा कि आज खाने पीने की चीजें इतनी महंगी हो गई हैं कि लोगों की भोजन की थाली का बजट बिगड़ गया है। आटा, दूध, दही, चावल से लेकर घी तक हर वस्तु पर जीएसटी लगती है। देश में लगातार खाने पीने की चीजें महंगी होती जा रही हैं। आज देश की खाद्य मुद्रास्फीति 9 से 9.5 फीसद के करीब है। उन्होंने कहा कि वो पदार्थ जो देश में पैदा किए जाते थे और उसे देश से बाहर निर्यात किया जाता था, आज वह चीजें भी महंगी हो गई हैं। अगर वह चीजें महंगी हुई भी हैं तो उसका फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है। ये गंभीर सवाल है कि ये सारा पैसा कहा जा रहा है? 2014 में गेंहू का आटा 21 रुपए प्रति किलो बिकता था, जो कि आज 42 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। वहीं दूध 30 रुपए प्रति लीटर मिलता था, जो आज 2024 में 70 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। 2014 में देसी घी का भाव 300 प्रति किलों था, जो आज 675 रुपए प्रति किलो के दाम पर मिल रहा है। अरहर की दाल 80 रुपए प्रति किलों बिकती थी, जो आज 230 रुपए किलो मिल रही है। इसके अलावा कई और जरूरी खाद्य सामग्रियां भी इसी तरह महंगी हो गई हैं। अगर महंगाई की यही रफ्तार रही तो भाजपा जितनी रफ्तार से 303 सीटों से 240 पर आई है, उतनी ही तेज रफ्तार से 140 पर आएगी।
राघव चड्ढा ने कहा कि देश के औपचारिक- अनौपचारिक क्षेत्रों से लेकर संगठित और असंगठित क्षेत्रों तक हर जगह बेरोजगारी है। सीएमआई की रिपोर्ट के अनुसार देश के संगठित क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 9.2 फीसद है। असंगठित क्षेत्रों का हाल तो इससे भी बुरा है। उत्तर प्रदेश सरकार के सचिवालय में चपरासी के पद के लिए 368 भर्तियां निकलीं, 23 लाख युवाओं ने इसके लिए आवेदन भरा। भारतीय रेलवे के ग्रुप-डी श्रेड़ी में 63 हजार भर्तियां निकली, जिसके लिए 2.5 करोड़ नौजवानों ने आवेदन पत्र भरे। ये ऑस्ट्रेलिया की आबादी से भी ज्यादा है। बिहार पुलिस में 9,900 कॉन्स्टेबल के पद की भर्ती के लिए 11 लाख आवेदन भरे गए। महाराष्ट्र सचिवालय का कैंटीन में 12 वेटर्स की भर्ती के लिए 7 हजार नौजवानों ने आवेदन दिए, जिसमें कई ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट भी शामिल थे।
राघव चड्ढा ने कहा कि देश में निर्माण और ट्रेड जैसे मुख्य सेक्टर जो बड़ी संख्या में रोजगार पैदा करते हैं, उसमें ठहराव आता जा रहा है। और इंडस्ट्री के निवेश (ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन) में लगातार गिरावट आ रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में नया निजी निवेश पिछले 25 वर्षों में सबसे कम है। यानि आज भारत की कंपनियां निवेश नहीं कर रही हैं। देश के 12 राज्यों में लोगों की लगातार प्रति व्यक्ति आय घटी है। इन 12 में से 9 राज्यों में भाजपा का वोट शेयर भी घटा है। आज देश के आम परिवारों में कर्ज बढ़ रहा है और उसकी बचत घट रही है। देश की आम जनता आर्थिक रूप से कमजोर होती जा रही है। आरबीआई के गवर्नर ने भी कहा है कि लोगों के बैंक अकाउंट से उनकी सेविंग गायब होती जा रही है। जीडीपी के अनुपात में लोगों की शुद्ध वित्तीय बचत और घरेलू बचत घट रही है।
राघव चड्ढा ने कहा कि मेरा इरादा केवल आरोप लगाना नहीं है, मैं देश के हित में सरकार को कुछ सुझाव भी देना चाहता हूं। पहला, सरकार देश की न्यूनतम मजदूरी आय और बढ़ती महंगाई में संतुलन बैठाए। महंगाई वो दीमक है जो लोगों की क्रय क्षमता को खा जाती है। बेल्जियम जैसे देशों की तरह हमारे देश में भी न्युनतम मजदूरी का ऑटोमेटिक इंडेक्सेशन होना चाहिए। हमारे नेता अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पूरे देश में सबसे ज्यादा न्यूनतम मजदूरी देती है। इसके अलावा किसान खुले बाजार में अपनी फसल बेचने सके इसके लिए फसलों पर न्यूमतम दाम निर्धारित किए जाने चाहिए। इससे किसान अनाज के दामों में अस्थिरता से बच जाएगा। इससे किसान को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और उसके उत्पाद में बढ़ोतरी होगी। साथ ही स्वामीनाथन आयोग के अनुसार किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जानी चाहिए।
राघव चड्ढा ने आ्गे कहा कि पूरी दुनिया में निवेशकों को निवेश करने के लिए इनसेंटिव दिए जाते हैं। इस देश में इंडेक्स्शन हटाकर मोदी सरकार निवेशकों को निवेश करने के लिए हतोत्साहित कर रही है। इंडेक्सेशन हटाना टैक्स लगाना नहीं, बल्कि दंड देने जैसा है। इंडेक्स्शन हटाकर इस सरकार ने लोगों की जेल पर डाका डाला है। लॉन्ग टर्म कैपिटल निवेश के लिए इंडेक्स्शन बहुत जरूरी है, मैं सरकारी से अनुरोध करूंगा कि वो इसे न हटाए।
राघव चड्ढा ने सदन को अगाह करते हुए कहा कि अगर सरकार ने इंडेक्सेशन दोबारा लागू नहीं किया तो मैं भविष्यवाणी करता हूं कि देश में रीयल स्टेट में निवेश घटेगा, लोग कभी भी अपने सपनों का घर नहीं खरीद पाएंगे। सब लोग सर्किल लेट पर प्रॉपर्टी खरीदेंगे, कोई असल कीमत नहीं बताएगा। और सबसे गंभीर बात ये है कि इससे रीयल स्टेट में भारी मात्रा में काला धन आएगा। सरकार को बचत करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। डेब्ट, इक्विटी, बैंक डिपोजिट में निवेश करने पर, खासकर जो लोग 24 से 36 महीने से अधिक समय तक अपने पैसे निवेश करते हैं उसपर इनसेंटिव देना चाहिए। आने वाले समय में सरकार को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से टैक्स को खत्म करने के बारे में भी सोचना होगा। इसके अलावा जीएसटी में संशोधन करे। निर्यात संबंधी सेक्टर्स से जीएसटी कम करे ताकि हमारे देश के उत्पाद वैश्विक बाजार में अच्छी प्रतिस्पर्धा करें और दूध, दही, आटा, चावल जैसी जरूरी खाद्य पदार्थों से जीएसटी हटाए।
राघव चड्ढा ने कहा कि भारत राज्यों का देश है। मोदी सरकार को राज्य सरकारों की जेब में भी पैसे डालना चाहिए। हम सब जानते हैं कि ये गठबंधन की सरकार है और सरकार को बिहार और आंध्र प्रदेश को ज्यादा पैसा देना था, लेकिन गुजरात, ओड़िसा, मध्य प्रदेश जैसे जिन राज्यों ने भाजपा को भर-भर के वोट दिया, उनसे क्या गलती हो गई कि मोदी सरकार ने उन्हें झुनझुना पकड़ा दिया और बाकी दो राज्यों पर सब कुछ लुटा दिया। राज्यों के साथ इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। इस सरकार को सेस और सर चार्ज लगाकर पैसे वसूलने की बुरी आदत है। ये वो टैक्स हैं जिसे केंद्र सरकार राज्यों के साथ नहीं बांटती है। इसलिए मोदी सरकार सेस और सर चार्ज लगाकर आम आदमी से पैसा वसूल रही है। उदाहरण के तौर पर सरकार अपने 100 रुपए में से 18 रुपए सेस और सर चार्ज के जरिए कमाती है। मोदी सरकार या तो सेस और सर चार्ज बंद करे या फिर राज्यों को भी इसका हिस्सा दे। राज्यों को कम से कम 5 साल और जीएसटी कंपनसेशन और दिया जाना चाहिए। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब जैसे कई राज्यों की अर्थव्यवस्था आज जीएसटी कंपनसेशन की बदौलत पैरों पर खड़ी हुई है। आज इनकी आय का 10 से 15 फीसद हिस्सा जीएसटी कंपनसेशन से आता है।