आम आदमी पार्टी ने नीट का परीक्षा कराने वाली कंपनी को लेकर मंगलवार को एक बड़ा खुलासा किया। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता एवं सांसद संजय सिंह ने कहा कि नीट का पेपर लीक करने वाली गुजरात की कंपनी एडु टेस्ट सॉल्यूशंस के मालिक सुरेश चंद्र आर्य का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रिश्ता है। उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में भी पेपर लीक कराने में इस कंपनी का नाम सामने आया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने तो इसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। अगर ये कंपनियां प्रधानमंत्री से रिश्ता रखती हैं तो उनके खिलाफ ईडी-सीबीआई कैसे कार्रवाई करेगी और छात्रों को न्याय मिलेगा। भाजपा नेताओं से इन कोचिंग सेंटरों का रिश्ता होने की वजह से ही आज लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि पेपर लीक के कारण जो छात्र आत्म हत्या कर लेते हैं, वो आत्महत्या नहीं है, बल्कि कोचिंग सेंटरों की धांधली के कारण हुई हत्या है। इसलिए मैंने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री से देश में कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने के लिए उनको कानून के दायरे में लाने की मांग की है।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि मैंने देश में कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखी। यह चिट्ठी केंद्र की मोदी सरकार को जगाने के लिए है। हालांकि वो कब जागेगी, यह मुझे नहीं पता है। उसके लिए कितनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी, यह भी नहीं पता। उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा है कि देश के बहुत सारे ऐसे कोचिंग सेंटर्स पेपर लीक का अड्डा बन गए हैं। बहुत सारे कोचिंग सेंटर्स मनमाने ढंग से छात्रों से फीस वसूलते हैं। उनके माता-पिता अपनी जमीन और गहने गिरवी रखकर अपने बच्चों को कोचिंग में पढ़ाते हैं और सुविधा के नाम पर बच्चों को बेसमेंट में पढ़ाते हैं। हॉस्टल में सही इंतजाम नहीं होते और मनमाने ढंग से बच्चों से वसूली की जाती है। इस लूट को तभी रोका जा सकता है, जब भारत सरकार कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करे, उन्हें कानूनी दायरे में लेकर आए और उन पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून लेकर आए। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है। क्योंकि भाजपा के नेताओं का इन कोचिंग सेंटर्स के मालिकों से रिश्ता है। इसकी वजह से आज देश के लाखों नौजवानों का जीवन बर्बाद हो रहा है, लेकिन भाजपा कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है।
संजय सिंह ने कहा कि देश में नीट एग्जाम लीक होने की वजह से 24 लाख बच्चों का भविष्य बर्बाद हुआ। इससे पहले उत्तर प्रदेश में परीक्षा कराने वाली एडु टेस्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नामक गुजरात के अहमदाबाद की कंपनी, जो देश के अलग-अलग राज्यों में भी परीक्षाएं कराती है, इसे उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी ब्लैक लिस्ट कर दिया है। नीट के अलावा गुजरात, बिहार में पेपर लीक में इस कंपनी का नाम सामने आया है। वहीं, इस कंपनी के मालिक सुरेश चंद आर्य का रिश्ता प्रधानमंत्री मोदी के साथ है। दोनों की साथ में कई तस्वीरें हैं। अगर पेपर लीक कराने वाली कंपनियां देश के प्रधानमंत्री से रिश्ता रखती हैं, तो कौन सी ईडी-सीबीआई उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी? पेपर लीक के पीड़ित छात्रों को कैसे न्याय मिलेगा? इसलिए मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कोचिंग सेंटर्स को कानून के दायरे में लाने की मांग की है।
संजय सिंह ने आगे कहा कि राजस्थान के कोटा में कई विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं। नीट की परीक्षा में धांधली और बार-बार परीक्षा देने और पेपर लीक की वजह से सफल न होने के कारण बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। यह आत्महत्या नहीं, बल्कि इन कोचिंग सेंटर्स की धांधली की वजह से हुई हत्याएं हैं। इसलिए इन्हें रेगुलेट करना जरूरी है। 20-25 साल से बेसमेंट में लाइब्रेरी और कोचिंग क्लास चल रहे थे, लेकिन एमसीडी में 15 साल तक रही भाजपा ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि हम एक साल से आए हैं और आप हमसे सारे हिसाब चाहते हैं। हम हिसाब देने के लिए तैयार हैं, क्योंकि हमने काम किया है। हमारी मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय खुद जाकर बेसमेंट में चल रहे सभी कोचिंग सेंटर्स को सील कर रही हैं। राजेंद्र नगर के स्थानीय विधायक और मेयर पूरी रात मौके पर मौजूद रहे। हमसे जो बन पड़ेगा, हम कार्रवाई करेंगे।
संजय सिंह ने कहा कि हमारे मंत्री सौरभ भारद्वाज, आतिशी, गोपाल राय, इमरान हुसैन बारिश शुरू होने से पहले भी कार्रवाई कराने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे और अब भी लगातार सक्रिय हैं। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन अपने गुनाहों को छिपाने के लिए मासूमों के शव पर राजनीति करना सही नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, छात्रों की जान गई है। हम सब इससे बहुत दुखी हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि इस दिशा में जल्द से जल्द इसके लिए कानून बनाए जाएं।
वहीं राजेंद्र नगर से आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि मैं 2010 में दिल्ली आया था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद मैं अफसर बनकर अपने मां-बाप का सपना पूरा करने के लिए दिल्ली आया था। इस दौरान मैंने ओल्ड राजेंद्र नगर, मुनिरका और महरोली जैसे इलाकों में रहा। ओल्ड राजेंद्र नगर में रहकर मैंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की। कई बार हम असली समस्या समझने की बजाय एक दूसरे पर दोषारोपण करने में लग जाते हैं। लेकिन कई मुद्दे हैं जिन पर बात करना बहुत जरूरी है। एक छात्र अपने घर-परिवार को छोड़कर 19-20 साल की उम्र में दिल्ली आ जाता है। ऐसे में उसके सामने तीन-चार बड़े चैलेंज आते हैं। पहला, कोचिंग सेंटर के नाम पर ठगी। आज दिल्ली समेत पूरे देश की स्थिति है कि अगर एक बच्चा किसी एक कोचिंग संस्थान से आईएएस बनता है, तो जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर कोचिंग वाले इसकी फोटो लगा लेते हैं कि वो हमारे यहां से पढ़कर गया है। इसके चक्कर में बच्चों से मनमानी फीस वसूली जाती है। कई बार टीचर को प्रमोट किया जाता है। बच्चे उन्हें देखकर एडमिशन ले लेते हैं और बाद में पता चलता है कि उस टीचर ने पूरे साल में 1 या 2 ही क्लास लीं। एक-एक कमरे में 250 से 300 बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ते हैं। कई संस्थान बड़े बैंक्वेट हॉल बुक करके क्लास कराते हैं।
दुर्गेश पाठक ने आगे कहा कि बच्चों के लिए महंगा किराया देना बहुत मुश्किल होता है। हम तीन लोग 10 बाई 10 के कमरे में एक साथ रहते थे, और पैसे बचाने के लिए खुद खाना बनाते थे। इन सारी परिस्थितियों के बावजूद बच्चा पूरी कोशिश करता है कि वह सारा समय निकालकर ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई करे। देश में ये हालत तब है, जब करीब 5 लाख बच्चे परीक्षा दे रहे हैं और कुल सीटें कुछ 100 ही हैं। बच्चों का मनोबल तब गिरता है जब वह हर 2-3 महीने में परीक्षा देते हैं और साल-डेढ़ साल में वो परीक्षा के रिजल्ट किसी से बताने की स्थिति में नहीं होते हैं। यह पूरी मनोस्थिति उस बच्चे का संघर्ष है जो देश की सिविल सेवा में आना चाहता है। लेकिन सरकार उनके लिए कुछ नहीं कर रही है।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि आज देश में इन कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने की कोई व्यवस्था नहीं है। ये कोचिंग संस्थान बच्चों से मनमाना फीस वसूल रहे हैं। आज मेडिकल कॉलेज या इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने के लिए ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए सीटें आरक्षित होती हैं, लेकिन कोचिंग संस्थान ऐसे किसी मानक का पालन नहीं करते हैं। वे नोट्स के भी पैसे लेते हैं और बच्चों से कहते हैं कि क्लास यहां लो और नोट्स किसी और जगह से खरीदो। देश के सारे कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने के लिए एक कानून बनना चाहिए। इन कोचिंग संस्थानों की फीस, नोट्स और भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसना जरूरी है। एक बच्चा अपने जीवन का कीमती वक्त खर्च करके परीक्षा की तैयारी करता है, उसे इस फ्रॉड से बचाया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को छात्रों से बातचीत करके इस पर कानून लाना चाहिए।