- ‘‘आप’’ सरकार के काम का क्रेडिट चुराने के लिए भाजपा ने 400 ‘मोहल्ला बसों’ को ‘देवी’ नाम से दोबारा उद्घाटन किया- सौरभ भारद्वाज
- 50 फीसद ‘मेक इन इंडिया’ कंपोनेंट की शर्तें पूरी न करने पर केजरीवाल सरकार ने इन बसों को सड़क पर नहीं उतारा- सौरभ भारद्वाज
- भाजपा सरकार बताए, क्या इन बसों को वापस भेजा गया था या फिर इनमें भारत में बने पूर्जे बदले गए?- सौरभ भारद्वाज
- जब ये बसें ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तें पूरी नहीं करती हैं तो भाजपा सरकार ने इनको जबरन सड़कों पर कैसे उतारा?- सौरभ भारद्वाज
नई दिल्ली, 03 मई 2025
आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को दिल्ली की सड़कों पर उतारी गई ‘देवी’ बसों के संचालन में हजारों करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार होने की बात कही है। ‘‘आप’’ दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज का कहना है कि इनके संचालन में करोड़ों रुपए का घोटाला हो सकता है। इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बसें ‘‘आप’’ सरकार में अक्टूबर 2024 में ही दिल्ली आ गई थीं। इनका उद्घाटन और ट्रायल भी शुरू कर दिया था, लेकिन 50 फीसद ‘मेक इन इंडिया’ के कंपोनेंट होने की शर्तों का पालन नहीं करने पर इन बसों को सड़क पर नहीं उतारा गया। अब उन्हीं बसों को छह महीने बाद भाजपा सरकार सड़क पर उतार कर क्रेडिट ले रही है। भाजपा को बताना चाहिए कि अगर ये बसें शर्तें पूरी नहीं कर रही थीं तो इनको सड़क पर कैसे उतार दिया गया?
‘‘आप’’ सरकार में खरीदी गई बसों का दोबारा उद्घाटन कर पैसे की बर्बादी की गई- सौरभ भारद्वाज
आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर कहा कि शुक्रवार को भाजपा की दिल्ली सरकार उन 400 मोहल्ला बसों का उद्घाटन दोबारा किया, जिनका उद्घाटन और ट्रायल आम आदमी पार्टी की सरकार में अक्टूबर 2024 में ही शुरू हो गया था। करीब दो पहले आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा 9 मीटर की मोहल्ला बसें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी और अक्टूबर में सभी इलेक्ट्रिक मोहल्ला बसें दिल्ली में मौजूद थीं। पूरी दिल्ली में उन मोहल्ला बसों के आने की वीडियो देखी थी और उनका ट्रायल चल रहा था। सवाल यह है कि जो मोहल्ला बसें पहले से ही दिल्ली में मौजूद थीं और उनको ट्रायल चल रहा था, तो उन्हीं बसों का दोबारा उद्घाटन करके पैसा क्यों बर्बाद किया गया?
2015 से जीपीएस युक्त वाटर टैंकरों का भी दोबारा उद्घाटन कर भाजपा ने पैसे बर्बाद किए- सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मोहल्ला बसों का ‘देवी’ नाम से दोबारा उद्घाटन ठीक उसी तरह से किया गया जैसे जीपीएस युक्त वाटर टैंकर का दोबारा उद्घाटन किया गया था। हर साल दिल्ली में करीब 1 हजार वाटर टैंकर इस्तेमाल होते हैं और 2015 से सभी टैंकरों में जीपीएस लगे हुए हैं। दिल्ली के लोग 2015 से वाटर टैंकरों को अपने मोबाइल पर ट्रैक कर सकते हैं। टैंकर नंबर डालने के बाद टैंकर की लोकेशन पता चल जाएगी। इसके बाद भी भाजपा की सरकार ने लाखों रुपए बर्बाद करके दोबारा जीपीएस युक्त टैंकरों का उद्घाटन किया।
इन बसों को केंद्र सरकार की कंपनी ने खरीदा, लेकिन पूरा पैसा दिल्ली सरकार ने दिया- सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 9 मीटर की मोहल्ला बसें अक्टूबर 2024 में दिल्ली में आ गई थीं। अप्रैल 2025 तक वह बसें सड़कों पर क्यों नहीं चलीं। यह मोहल्ला बसों इसलिए सड़कों पर नहीं उतारी गईं, क्योंकि उनको खरीदने का टेंडर केंद्र सरकार की कंपनी कंवर्जन एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) करती थी। केंद्र सरकार की कंपनी ने सीईएसएल ने मोहल्ला बसों की खरीद का टैंडर किया और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने पूरा पैसा दिया। कंेद्र सरकार की कंपनी को पैसा इसलिए दिया गया, ताकि भविष्य में खरीद में गड़बड़ी का कोई आरोप न लगे। क्योंकि जब भी बसों को खरीदने की बात होती है, भाजपा उसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर जांच की मांग करती है। केंद्र सरकार की कंपनी बसों को खरीदेगी तो भाजपा भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाएगी।
मेक इन इंडिया का सर्टिफिकेट न मिलने के कारण इन बसों को सड़क पर नहीं उतरा गया- सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब मोहल्ला बसें दिल्ली में आ गईं तब यह पता चला कि वेंडर ने बसों की खरीद में टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया है। वेंडर ने उन शर्तों को उल्लंघन किया था, जिसका पालन करना बेहद जरूरी था। शर्त यह थी कि केंद्र सरकार की बिजली मंत्रालय के अंदर सीईएसएल आता है और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने आदेश निकाला कि बसों की खरीद में ‘मेक इन इंडिया’ का पालन होना चाहिए। जब इन बसों को केंद्र सरकार की कंपनी सीईएसएल द्वारा खरीदा गया तब पता चला कि ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तों का पालन नहीं किया गया है। वेंडर इन बसों के लिए यह सर्टिफिकेट नहीं दे पा रहा था कि इसमें 50 फीसद कंपोनेंट ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए आए हैं। जबकि टेंडर की शर्तों में कहा गया था कि ‘मेक इन इंडिया’ होना चाहिए। चूंकि इन बसों में ‘मेक इन इंडिया’ का न कंपोनेंट मिल रहा था और ना ही वेंडर इसका सर्टिफिकेट दे पा रहा था। इसलिए यह सारी बसें डिपों में खड़ी थीं।
जब अक्टूबर 2024 में बसें शर्तें पूरी नहीं कर पाई तो अप्रैल 2025 में कैसे पूरी कर लीं?- सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने भाजपा की दिल्ली सरकार से प्रश्न किया कि अगर यह बसों अक्टूबर 2024 में ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तों को पूरा नहीं कर रही थीं तो क्या वह अप्रैल 2025 में कर सकती हैं? क्या अप्रैल में इन बसों के पूर्जे बदले गए हैं? क्या यह सारी बसें वापस भेज दी गई थीं और क्या इसके अंदर अलग से ‘मेक इन इंडिया’ के कंपोनेंट बदल दिए गए और शर्तें पूरी हो गईं? दिल्ली सरकार को बताना चाहिए। अगर ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तों का पालन नहीं हुआ, फिर भाजपा की दिल्ली सरकार ने टेंडर की शर्तों का उल्लंघन करके कैसे इन बसों को सड़कों पर उतार दिया।
टेंडर होने के बाद शर्तों में न ढील दे सकते हैं और न उसे हटा सकते हैं- सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार ने टैंडर किया कि 50 फीसद ‘मेक इन इंडिया’ के कंपोनेंट्स की शर्तें पूरी होनी चाहिए और टेंडर में कई कंपनियां आ गईं। एक बार टेंडर हो जाने के बाद शर्तों को नहीं हटाया जा सकता है और ना तो शर्तों में ढील दे सकते हैं। इसलिए आम आदमी पार्टी की मांग है कि टेंडर शर्तों का उल्लंघन कर सड़कों पर उतारी गई ‘देवी’ बसों की जांच हो। क्योंकि यह संभव नहीं है कि जो बसें अक्टूबर 2024 में ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तें पूरी नहीं कर रही थीं, वही बसें अप्रैल 2025 ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तों को कैसे पूरा कर रही हैं? ऐसा प्रतीत हो रहरा है कि इसमें बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। इसमें अफसर या सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है, इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। यह हजारों करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का बड़ा मामला है। यह सबकुछ डाक्युमेंटेड है। इसमें बदले का कोई तरीका नहीं है।
छह महीने में मेक इन इंडिया की शर्तें पूरी करने का सर्टिफिकेट कैसे बन गया?- सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने टेंडर की शर्तों को बताते हुए कहा कि यह टेंडर केंद्र सरकार ने बनाया था। इसमें सेक्शन ए, कंडीशन नंबर 11 और अटैचमेंट नंबर 12 में स्थानीय सामग्री की घोषणा के संबंध में प्रमाणपत्र देना अनिवार्य था। यह प्रमाणपत्र विक्रेता द्वारा कन्वर्जन एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) को दिया जाना था, जो ईएसएल की 100 फीसद सहायक कंपनी है और ईएसएल केंद्र सरकार के विद्युत विभाग के अधीन है। हम जानना चाहते हैं कि छह महीने में मेक इन इंडिया की शर्तों का पालन करने का सर्टिफिकेट कैसे बन गया और किन-किन लोगों की कलाकारी यह सर्टिफिकेट बना है? अगर अक्टूबर में वेंडर मेक इन इंडिया अनुपालन का सर्टिफिकेट नहीं दे पा रहा था, तो अब क्या बदल गया? क्या अब अनुपालन हो गया या बिना अनुपालन के बसों को सड़कों पर उतार दिया गया?
करोड़ों के घोटाले के साथ देश विरोधी कृत भी है बसों का संचालन
केंद्र सरकार ने नियम बना रखा है कि किसी भी सरकारी टेंडर से खरीदी जाने वाली बसों में 50 फीसद उपकरण भारत में निर्मित होना चाहिए। जिससे भारत में उद्योग को बढ़ावा मिले, युवाओं को रोजगार मिले, देश का विकास हो। इन बसों की सप्लाई करने वाली कंपनी इस बात का सर्टिफिकेट नहीं दे पा रही थी कि इसमें 50 फीसद उपकरण भारत में बने हुए लगे हैं। इसी कारण आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार अक्टूबर 2024 में आ जाने के बाद भी मोहल्ला बस के तौर पर इनका संचालन नहीं कर रही थी।