आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ओल्ड राजेंद्र नगर में बीते शनिवार को एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से हुई तीन छात्रों की दुखद मौत से नाराज यूपीएससी के छात्रों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने उनकी मांगों को ध्यान पूर्वक सुना और दिल्ली सरकार द्वारा छात्र हितों में लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसलों से उनको अवगत कराया। उन्होंने छात्रों को बताया कि दिल्ली सरकार और एमसीडी इस हादसे के शिकार छात्रों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देगी। मृतक छात्रों की याद में लाइब्रेरी बनाई जाएगी। इसे बनाने के लिए मैं अपनी सांसद निधि से एक-एक करोड़ रुपए दूंगा। सरकार ने कोचिंग सेंटरों को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने का फैसला लिया है, जिसमें छात्रों के सुझाव भी शामिल किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने हमेशा से ही छात्रों के समर्थन में सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाई आई है और आगे भी उठाती रहेगी। इस दौरान छात्रों ने इस हादसे के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अफसरों की जवाबदेही तय करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने राजेंद्र नगर में प्रदर्शन कर रहे छात्रों से कहा कि यह घटना बेहद दुखद है। इसमें जिन छात्रों की मौत हुई है, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। छात्रों की तरफ से कुछ मांगे की गई हैं। मैंने देश के किसान, छात्र और मजदूर समेत हर वर्ग की आवाज सड़क से लेकर संसद तक उठाई है और उनके अधिकारों के लिए लड़ा है।
संजय सिंह ने एक-एक कर छात्रों की मांगों का जवाब देते हुए कहा कि मैं कोई ऐसा आश्वासन नहीं दूंगा जो पूरा नहीं कर सकूं। छात्रों ने सुझाव दिया है कि दिल्ली में कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने के लिए एक कानून बनाना चाहिए, ताकि कोचिंग सेंटर्स के मालिक मनमानी फीस न ले सकें और हॉस्टल के नाम पर अनाप-शनाप पैसा न लिए जाएं। साथ ही, बेसमेंट में ऐसी लाइब्रेरी या क्लासेज नहीं चलनी चाहिए जिससे छात्रों का जीवन खतरे में पड़े। छात्रों के लिए इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर सही किए जाएं। कोचिंग सेंटर्स के मालिकों और सरकार को मिलाकर एक वेलफेयर फंड बनाया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर छात्रों की मदद की जा सके। साथ ही छात्रों की शिकायत सुनने और उसके निवारण के लिए एक स्थाई व्यवस्था बनाई जाए।
संजय सिंह ने कहा कि छात्रों के सुझाव सुनने के बाद दिल्ली सरकार, दिल्ली में कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट के लिए एक कानून बनने जा रही है। इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया गया है। इस कानून को बनाने की प्रक्रिया में कोई भी 10 स्टूडेंट्स शामिल होंगे। यह कानून छात्रों के अनुसार बनाया जाएगा। इसका ड्राफ्ट तैयार कर जल्द इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि सभी छात्रों की मांग है कि राजेंद्र नगर की घटना का सीसीटीवी फुटेज जारी किया जाए। इसके लिए कैबिनेट मंत्री ने भी पत्र लिखा है। दिल्ली पुलिस यह फुटेज उपलब्ध कराएगी। दिल्ली पुलिस के कमिश्नर या जो भी पुलिस अफसर सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध करा सकता है, हम उनसे समय लेंगे और जो भी छात्र मेरे साथ चलना चाहें, वह चल सकता है। हम उनसे इस घटना की फुटेज उपलब्ध कराने के लिए कहेंगे। संजय सिंह ने आगे कहा कि छात्रों की तरफ से चार लोगों को नौकरी देने की बात भी रखी गई थी। दिल्ली की सर्विसेज एलजी के तहत आती हैं। हमारी मंत्री ने इसके लिए एलजी को चिट्ठी लिख दी है। हम उनसे भी जाकर मिलेंगे, ताकि इस नौकरी की मांग को पूरा किया जा सके।
संजय सिंह ने छात्रों द्वारा उठाई जा रही पब्लिक लाइब्रेरी की मांग पर ऐलान करते हुए कहा कि जैसे ही एमसीडी या डीडीए की तरफ से जमीन मिल जाएगी मैं तीनों छात्रों की समृति में अपनी सांसद निधी से एक-एक करोड़ खर्च करके तीन पब्लिक लाइब्रेरी बनवाउंगा। इस दौरान वहां मौजूद एक छात्र ने बताया कि एमसीडी कमिश्नर ने कहा है कि वो अपनी तरफ से पब्लिक लाइब्रेरी नहीं बना सकते हैं। इस पर संजय सिंह ने कहा कि अगर ऐसा है तो मैं तीनों बच्चों को अपनी सांसद निधी से एक-एक करोड़ रुपए दूंगा। वहीं, छात्रों के लिए मुआवजे की मांग पर उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और एमसीडी की तरफ से तीनों बच्चों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए दिए जाएंगे। साथ ही कोचिंग संस्थान से एक करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग को भी अधिकतम 1 महीने के अंदर पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। बच्चों की स्वास्थ्य और ब्रोकरेज से जुड़ी मांगों पर उन्होंने बताया कि दिल्ली के कोचिंग रेगुलेशन एक्ट में ये सारी चीजें शामिल की गई हैं।
इस दौरान छात्रों ने बुधवार को दिल्ली की मंत्री आतिशी से की गई मांगो को दोहराया, जिसे राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने जल्द से जल्द पूरा करवाने का आश्वासन दिया। साथ ही अधिकारियों की लापरवाही से आक्रोशित छात्रों ने कहा कि अभी तक इस हादसे के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं की गई हैं, केवल खानापूर्ति के लिए जूनियर अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। लेकिन एमसीडी के जिन अधिकारियों ने एनओसी दी है उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।