आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉक्टर संदीप पाठक ने सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी का मुद्दा संसद में उठाया। राज्यसभा में बोलते हुए डॉक्टर संदीप पाठक ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार का सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी का जो मिशन और विजन है उसको देखकर मुझे और भारत के अन्य लोगों को बड़ा दुख होता है। हमारे देश में कई अन्य देशों के मुकाबले रिन्यूएबल एनर्जी के लिए बहुत सारी संभावनाएं हैं। केंद्र सरकार को सोलर एनर्जी के क्षेत्र को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए। हमारे देश में 300 ऐसे दिन हैं जो शनि हैं यानि 300 दिन सूरज की किरणें वहां पर पड़ती हैं। आज देश की जितनी भी आवश्यकताएं हैं वह सोलर एनर्जी से पूरी की जा सकती हैं इसके बावजूद भी ऐसा नहीं हो पा रहा है। सोलर की एनर्जी में चीन ने जीरो से हीरो का सफर 10 से 15 साल के अंदर पूरा किया। जब तक आप सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी का भविष्य तय नहीं करेंगे तब तक आप कुछ नहीं कर सकते। भारत ने 2022 तक 100 गीगावॉट का लक्ष्य रखा था जोकि पूरा नहीं हो पाया।
संदीप पाठक ने आगे कहा कि अब भारत सरकार ने 2030 तक 500 गीगावॉट का लक्ष्य रखा है। मतलब हमारे देश की पूरी ऊर्जा की 50% आवश्यकता रिन्यूएबल एनर्जी से आनी है। यह लक्ष्य पूरा कैसे होगा? हमें अपनी पॉलिसी पर ध्यान देना पड़ेगा कि क्या वह सही हैं? अगर इस क्षेत्र में हमारा लक्ष्य पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व करना होगा तब ही हम कामयाब हो पाएंगे। अभी तो सरकार को यही नहीं पता है कि उसे कहां पर ध्यान केंद्रित करना है। सरकार नहीं जानती कि उसे मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस करना है या फिर इंस्टॉलेशन पर ध्यान देना है। सब्सिडी को किस जगह पर लगाना है यह पता होना जरूरी है। पहले सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी उसके एक साल बाद ही उसे कम कर दिया। इसी से साफ हो जाता है कि आपको पता ही नहीं है कि करना क्या है। यूरोप और अमेरिका ने अपना सारा पैसा इंस्टॉलेशन पर लगाया। उन्होंने सब्सिडी पर सब्सिडी दी। चीन ने अपना सारा पैसा मैन्युफैक्चरिंग पर पर लगाया। चीन द्वारा मैन्युफैक्चरिंग किया जाने वाला सामान अमेरिका और यूरोप में लगता चला गया और यूरोप और अमेरिका की सारी इंडस्ट्री बैंक करप्ट हो गईं।
उन्होंने आगे कहा कि चीन को पता था कि उसे किस क्षेत्र को बढ़ावा देना है जिससे उसे मुनाफा हुआ, अमेरिका और यूरोप यह समझने में गलती कर गए जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। जो काम आज हम कर सकते हैं, जो चीज हम बना सकते हैं उसपर हमें इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा देनी चाहिए जिससे वह देश के अंदर ही बने और जो हम नहीं कर सकते उसको छोड़ देना चाहिए। केंद्र सरकार को मालूम होना चाहिए कि हमारी ताकत क्या है और उस क्षेत्र में ही सरकार को काम करना चाहिए। अगर हमें 2030 तक अपना लक्ष्य पूरा करना है तो हमें 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी लेकिन अभी हम सिर्फ 75 बिलियन डॉलर ही इसमें इन्वेस्ट कर रहे हैं। आज देश की लगभग सभी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी घाटे में चल रही हैं क्योंकि उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में इन्वेस्ट नहीं किया। उन्होंने नई तकनीक पर ध्यान नहीं दिया, सरकार को उन कंपनियों की तकनीक को बढ़ावा देने में भी ध्यान देना पड़ेगा। डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को रेगुलराइज करना पड़ेगा।
संदीप पाठक ने आगे कहा कि आज सोलर पैनल तो लग जाता है लेकिन उसकी सर्विस करने के लिए कुशल लोग नहीं हैं। आज सोलर और विंड पर पैसा लगाया जा रहा है लेकिन अगर लिथियम बैटरी पर पैसा नहीं लगाया जाएगा तब तक सोलर और रिन्यूएबल इंडस्ट्री तरक्की नहीं कर सकती। आपको लिथियम पर ध्यान देना पड़ेगा। आज भारत में सिर्फ 90 कंपनी ही सोलर क्षेत्र में काम कर रही हैं जबकि चीन में 2000 से ज्यादा कंपनी इस काम में लगी हुई हैं। किसी एक कंपनी के दम पर इस क्षेत्र को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। आज सिर्फ अडानी की कंपनी ही इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा इन्वेस्ट कर रही है। सरकार को अपने दो-तीन दोस्त अंबानी और अडानी के अलावा दूसरे लोगों से दोस्ती करनी पड़ेगी। सरकार को दूसरी कंपनियों को आगे लाना पड़ेगा तभी हम सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में दुनिया में अपना नाम रोशन कर सकते हैं।