आम आदमी पार्टी ने भाजपा द्वारा दिल्ली नगर निगम पर असंवैधानिक तरीके से कब्जा करने के पीछे की असल वजह दिल्ली की जनता को बता दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि भाजपा गैर कानूनी तरीके से एमसीडी पर कब्जा करके उसे फिर कंगाल बनाना चाहती है, लेकिन अब दिल्ली की जनता उसे माफ नहीं करेगी। भाजपा 15 साल तक एमसीडी में रही। इन 15 सालों में भाजपा के नेताओं-पार्षदों ने एमसीडी को कंगाल किया और खुद को मालामाल किया। अगर इनकी संपत्तियों की जांच हो जाए तो सब जेल जाएंगे। जबसे एमसीडी में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, उसके बाद से लूट और भ्रष्टाचार बंद हो गया है, कर्मचारियों को समय से वेतन मिलने लगा है और काम में तेजी आई है। इससे भाजपा बौखला गई और शुक्रवार को उसने पिछले दरवाजे से एमसीडी को हाईजैक कर लिया।
आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमिटी के एक सदस्य के चुनाव में भाजपा की मक्कारी खुलकर सामने आ गई है। पिछले 48 घंटों की घटनाओं को देखकर कई लोग कह रहे हैं कि भाजपा ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जो किया था, यह उससे भी बड़ी धांधली है। कानून के जानकार, निगम में दशकों से काम कर रहे अधिकारी, यहां तक कि भाजपा के कई नेता, काउंसलर और एल्डरमैन भी कह रहे हैं कि जब से एमसीडी का गठन हुआ है, तब से इस स्तर की धांधली और धोखाधड़ी कभी नहीं देखी गई। हमें समझना होगा कि भाजपा ऐसा क्यों कर रही है।
दिलीप पांडे ने कहा कि भाजपा ने 15 साल तक एमसीडी मे शासन किया है। जिसके परिणामस्वरूप निगम अनियंत्रित हुआ और दिल्ली की साफ-सफाई प्रभावित हुई. लेकिन भाजपा के नेताओं और पार्षदों ने अपनी आय को बढ़ा लिया। जिसके कारण एमसीडी दिल्ली की सबसे भ्रष्ट इकाई बनकर रह गई। भाजपा ने एमसीडी को दुनिया की सबसे भ्रष्टतम संस्थाओं के स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया। उन 15 सालों में एमसीडी से जुड़े भाजपा नेता और पार्षदों की संपत्ति का ऑडिट हो जाए तो इनके लगभग सभी नेता आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल के सलाखों के पीछे होंगे। कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला, लेकिन भाजपा नेताओं की आय हर साल बढ़ती गई। भाजपा ने नगर निगम को कंगाल किया और खुद को मालामाल किया और दिल्ली की जनता को तड़पने के लिए छोड़ा। नगर निगम के कर्मचारियों की तनख्वाह रोककर उनके पेट पर लात मारी। और गवर्नेस के मामले में नगर निगम को इस खूबसूरत दिल्ली के चेहरे पर बदनुमा दाग बना दिया।
दिलीप पांडे ने कहा कि 15 साल तक लोग भाजपा को झेलते-झेलते तंग आ गए और जब उन्हें आम आदमी पार्टी का विकल्प मिला तो उसे जनादेश दिया। लोगों ने भारी अंतर से आम आदमी पार्टी के पार्षदों को जिताया और निगम में पहली बार आम आदमी पार्टी का मेयर बना। पहली बार दिल्ली की जनता ने भाजपा के चेहरे पर पराजय की कालिख पोतकर कहा कि अब बस बहुत हुआ, अब हम तुम्हारा भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। गलियों और सड़कों में साफ-सफाई नहीं कर पाना, तुम्हारा निकम्मापन है, हम इसे बर्दाश्त नही करेंगे। भाजपा के लिए निगम जो दूध देने वाली गाय के समान थी, वह उसके हाथों से निकल गई। इससे भाजपा पूरी तरह बौखला गई। इसलिए भाजपा ने दिल्ली सरकार की तरह ही नगर निगम के लिए रवैया अपना लिया।
दिलीप पांडे ने कहा कि आम आदमी पार्टी के आने के बाद नगर निगम के कर्मचारियों को सैलरी मिलने लगी। दिल्ली की सरकार से सामंजस्य स्थापित हुआ। दिल्ली सरकार ने 800 करोड़ रुपए दिए, लेकिन भाजपाईयों ने उसे भी रुकवा दिया। इसके बाद इन्होंने पार्षदों को तोड़ने का काम शुरु कर दिया। हालांकि अतंर बहुत ज्यादा था, इसलिए दो-चार तोड़ने के बावजूद इतना फर्क नहीं पड़ा। अधिकारियों को बैठाकर अपनी मनमर्जी से जोन के चुनाव करवाए। जब समीकरण बिगड़ता हुआ दिखाई दिया, तो 10 एल्डरमैन घुसाए। भाजपाई 15 साल तक जिस खजाने को लूटते रहे, हार जाने के बावजूद पिछले 1-2 साल से उसे दोबारा अपने हाथ में वापस लाने की कोशिश कर रही है।
दिलीप पांडे ने कहा कि जब व्यक्ति गलत तरीकों से अपने मकसद को हासिल करने में लग जाता है, तो अत्यधिक उत्सुकता में वह बड़े गलत कदम उठा लेता है। भाजपा ने भी यही किया। भाजपा ने बाबा साहब द्वारा बनाए गए संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए, डीएमसी एक्ट 1957 को तार-तार कर, लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी करते हुए, जबरन स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य का एकतरफा चुनाव कराया। जिस भाजपा ने एमसीडी को वर्षों तक लूटा और पिछले डेढ़-दो साल से इसे फिर से अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रही है, आज वह अपनी इस आखिरी कोशिश से निगम पर कब्जा जमाकर, लूट-खसोट और भ्रष्टाचार की वही पुरानी सरकार चलाने की कोशिश में लगी है।
दिलीप पांडे ने कहा कि ये लोग कह रहे हैं कि डीएमसी एक्ट 1957 के भाग एक और उप भाग-ए की धारा 487 के अनुसार केंद्र सरकार एलजी साहब को ये अधिकार देती है कि वो अपने हिसाब से कुछ भी कर लेंगे। यह क्या मजाक है? कोई इनके बहकावे में न आए। धारा 487 के नाम पर जिस तरह संविधान की धज्जियां उड़ाई गई हैं, ये भाजपा को महंगा पड़ेगा। देश के लोग देख रहे हैं कि भाजपा ने किस तरह चंडीगढ़ में चुनाव के परिणामों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट ने जब जोरदार तमाचा मारा तब जाकर समझ में आया। अपनी इस हरकत से भाजपा एक बार फिर अपने मुंह पुर कालिख पुतवाएगी।
दिलीप पांडे ने कहा कि डीएमसी एक्ट का कोई भी भाग यह नहीं कहता कि जिस सदन की अध्यक्षता का अधिकार मेयर, डिप्टी मेयर या सदन के किसी चुने हुए सदस्य को है, उसकी अध्यक्षता एलजी या कमिश्नर किसी क्लर्क को बैठाकर करवा सकते हैं। यहां तक कि धारा 487 भी केवल यह कहता है कि अगर एमसीडी कोई काम नहीं कर रही है, तो पहले मेयर से इसका कारण पूछा जाएगा और उनकी सफाई मांगी जाएगी। और बेहद विषम और प्रतिकूल परिस्थितियों में, जब डीएमसी एक्ट का पालन नहीं हो रहा हो या ऐसा लगे कि कोई घटना नगर निगम के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचा रही हो, तभी हस्तक्षेप किया जाएगा। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ। मेयर ने अगली बैठक के लिए 5 अक्टूबर की तारीख दी थी, फिर इतनी जल्दबाजी क्यों? भाजपा के शासन में कर्मचारियों को 8-9 महीनों तक वेतन नहीं मिला था, तब कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। जब निगम के कर्मचारियों को वेतन देना आपकी जिम्मेदारी थी, तब किसी को धारा 487 की याद नहीं आई।
दिलीप पांडे ने कहा कि मसला सिर्फ इतना है कि एमसीडी भाजपा के लिए एक खुला खजाना था, जिसे ये लोग लूट रहे थे। आम आदमी पार्टी ने उनकी इस लूट को बंद किया। दिल्ली में काम होने लगे, कूड़े के पहाड़ कम होने लगे, और कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलने लगा। भ्रष्टाचार रुक गया। लेकिन भाजपा को यह सब मंजूर नहीं था। उन्होंने लोकतंत्र को पिछले दरवाजे से हाईजैक करने की साजिश शुरू की और शुक्रवार को दोपहर 1 बजे लोकतंत्र की हत्या कर दी। कल का दिन इसी के लिए याद किया जाएगा, जब भाजपा ने दिल्ली नगर निगम में लोकतंत्र और संविधान की हत्या की। दिल्ली विधानसभा द्वारा मनोनीत सदस्य होने के नाते यह मेरे अधिकारों का भी उल्लंघन है। देश और दिल्ली की जनता, न्यायपालिका, और संविधान में आस्था रखने वाले लोग भाजपा को इसके लिए कभी माफ नहीं करेंगे।