राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मोदी सरकार के बजट की पोल खोल कर रख दी। उन्होंने बजट को किसानों, नौजवानों व व्यापारियों के खिलाफ बताते हुए कहा कि इस बजट ने हर वर्ग के लोगों को चोट पहुंचाई है, यही मोदी सरकार के विकसित भारत के खोखले बजट की सच्चाई है। यह बजट मोदी जी के मित्रों के लिए बनाया गया है। इसलिए रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्ट, पेंशन समेत कई विभागों के बजट में कटौती कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इनको जेल का बजट बढ़ा देना चाहिए था। अभी ये विपक्ष को जेल में डाल रहे हैं, अगला नंबर इनका है। इसलिए जेलों को ठीक कर देते। न्यायपालिका का बजट भी नाकाफी है। इनका मकसद विपक्ष को जेल में रखना है। इन्होंने सीएम केजरीवाल को जेल में डाल दिया। दो साल से मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल में हैं। अब ये राज्यों के साथ भी भेदभाव कर रहे हैं। दिल्लीवालों ने 2.32 लाख करोड़ रुपए टैक्स दिया, लेकिन दिल्ली को एक रुपए नहीं मिला। भाजपा की राजनीति का अब समापन हो रहा है। इस बार ये लोग 240 पर पहुंचे हैं। अगली बार 24 और फिर 2 पर भी आ जाएंगे।
राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस बजट को क्रांतिकारी, विकसित भारत का बजट बता कर खूब ढोल पीटा जा रहा है। पूरे देश को पता चलना चाहिए कि भारत माता की रक्षा के बजट में कटौती की गई है। रक्षा बजट को 9.6 से घटाकर 9.43 फीसद कर दिया गया है। किसानों के कृषि का बजट 3.2 से घटाकर 3.15 कर दिया गया है। भारत में 140 करोड़ आबादी रहती है। बड़े अफसोस की बात है कि स्वास्थ्य का बजट 1.97 से घटाकर 1.85 फीसद कर दिया गया है। ट्रांसपोर्ट का बजट 11.48 से घटाकर 11.28 फीसद कर दिया गया है। एक तरफ पुरानी पेंशन की बहाली की मांग हो रही है, लाखों कर्मचारी सड़क पर हैं। इसके बावजूद पेंशन का बजट 5.20 से घटाकर 5.04 फीसद कर दिया है। एनर्जी का बजट 2.10 फीसद से घटाकर 1.42, वैज्ञानिक विभाग का 0.7 से घटाकर 0.6 फीसद, फूड सब्सिडी का 4.38 से 4.25, नॉर्थ-ईस्ट का बजट 0.13 से घटाकर 012 फीसद कर दिया। सामाजिक कल्याण का बजट 1.22 से 1.17 फीसद कर दिया। खाद का बजट 3.88 से 3.40 फीसद कर दिया। यह मोदी सरकार के विकसित भारत के खोखले बजट की सच्चाई है, हर वर्ग को चोट पहुंचाने का काम किया है।
संजय सिंह ने कहा कि ये लोग कहते हैं कि हम पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। लेकिन ये सच नहीं बता रहे हैं कि पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था किसके लिए हैं। मोदी सरकार ने चंद पूंजीपतियों का 16 लाख करोड़ माफ कर दिया। 14 देशों के प्रधानमंत्रियों ने जितना कर्ज लिया, उससे दोगुना ज्यादा कर्ज अकेले प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने लिया। मोदी सरकार ने 150 करोड़ रुपए कर्ज लेकर देश को कर्ज में डुबोने का काम किया है। इस सरकार से किसानों को एमएसपी दोगुना करने की उम्मीद थी, लेकिन नहीं की। इन्होंने 10 साल में 20 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन नहीं दिया। जब युवाओं ने नौकरी मांगी तो मोदी जी ने उनको पकौड़े तलने को बोल दिया। फिर कहा कि सेना में 4 साल की नौकरी कर लो। मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि उनको 73 साल की उम्र में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना है, लेकिन किसान का बेटा सेना में चार साल की नौकरी करेगा। यह भेदभाव क्यों है? सरकार की अगली योजना क्या आएगी? यह सरकार इंटर्नशिप, ट्रेनिंग योजना की बात कर रही है। कह रही है कि 5 हजार रुपए महीना की ट्रेनिंग ले लो। पांच हजार रुपए की ट्रेनिंग 500 बड़ी कंपनियों में देंगे। प्रधानमंत्री केवल 100 कंपनी बता दें, जहां पर एक कंपनी में 4 हजार प्रशिक्षु को रख सकते हैं। इनका यह आंकड़ा सिर्फ एक जुमला है। इसके अलावा कुछ नहीं है। हमें लगता है कि अब एक ही योजना रह गई है कि मोदी जी की सरकार अगली भीख मांगों योजना लेकर आएगी, जिसमें देश के युवाओं को 5 करोड़ मुफ्त कटोरा बांटा जाएगा।
संजय सिंह ने कहा कि पांचवी अर्थ व्यवस्था का लाभ केवल मोदी जी के चंद पूंजीपति मित्रों को मिल रहा है, जिसका 16 हजार करोड़ रुपए माफ कर दिया, जो हजारों करोड़ रुपए लूट कर भारत से चले गए। क्या देश की अर्थव्यवस्था में रेहड़ी पटरी वालों का योगदान नहीं है। ये भी टैक्स देते हैं। मोदी सरकार इनको भी फूटी आंख से नहीं देखना चाहती है। इन्होंने रेहड़ी पटरी वालों को नेम प्लेट लगाने का आदेश दे दिया। हिन्दू, मुस्लिम, दलित, पिछड़े या आदिवासी हो, बताओ। अगर नेम प्लेट लगवाना है तो नीरव मोदी, विजय माल्या, ललीत मोदी, नितीन संदेसरा समेत उन पूंजीपतियों के गले में लगवाएं, जिन्होंने हिन्दुस्तान के बैंकों को खाली करने का काम किया। इस तरह के काम देश में नहीं होने चाहिए। भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है। भाजपा वालों के मन में दर्द होगा, यह मैं जानता हूं। ये लोग अभी उत्तर प्रदेश में चुनाव हारे हैं। अगर यूपी में कोई जाटव या बाल्मिकी ढाबा का नेम प्लेट लगाएगा तो ये लोग वहां खाना खाने नहीं जाएंगे। मैं इनकी मानसिकता को जानते हैं। ये वो लोग हैं, जिन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को प्रभु श्रीराम के मंदिर के शिलान्यास में नहीं बुलाया और मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राम मंदिर के उद्घाटन में नहीं बुलाया। ये लोग दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, मुसलमानों से नफरत करते हैं। इसलिए नेम प्लेट लगवाना है तो जिन्होंने देश के बैंकों को लूटा है, उनका नेम प्लेट लगवाइए।
संजय सिंह ने कहा कि इस बार इन्होंने जेलों का भी बजट घटा दिया है। जेल का बजट तो बढ़ा देना चाहिए। आज विपक्ष को जेल में डाल रहे हैं, कल इनको जेल में आना है। अगला नंबर इन लोगों का है। इसलिए जेलों को ठीक कर दो। इन्होंने जेल को केवल 300 करोड़ दिया है। न्यायपालिका का बजट भी नाकाफी है। देश में 5 करोड़ केस लंबित हैं और 6 लाख लोग जेल में हैं। इसमें करीब 76 फीसद लोग अंडर ट्रायल हैं। इसका मतलब है कि मोदी सरकार का मकसद न्याय दिलाना नहीं है, किसी मामले की सच्चाई तक पहुंचाना नहीं है, बल्कि इनका मकसद एक-एक व्यक्ति को पकड़कर जेल में डाला है। इन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया। जेल में सीएम केजरीवाल का शुगर लेवल 36 बार 50 से नीचे जा चुकी है। दिल्ली के शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को दो साल से जेल में रखा है। ये लोग विपक्ष के एक-एक नेता को पकड़कर जेल में डाल रहे हैं। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को इन्होंने जेल में डाला। संजय राउत, अनिल देशमुख को जेल में रखा। बंगाल के तीन मंत्रियों को जेल में रखा। इनका मकसद ट्रायल कराकर न्याय दिलाना नहीं है, बल्कि विपक्ष को पकड़ कर जेल में रखना है। ये लोग हमें जितना जेल में डालेंगे, उतना ही गर्त में जाएंगे। इनकी राजनीति का समापन हो गया है। अभी ये 240 पर आ पहुंचे हैं, कल 24 पर पहुंचे और इसके बाद 2 पर भी आ जाएंगे।
संजय सिंह ने कहा कि इनको सबसे भेदभाव करना है। मुसलमानों, सिखों, इसाइयों, दलितों, पिछड़ों के बाद अब राज्यों से भेदभाव करना है। दिल्ली के लोगों ने केंद्र सरकार को जीएसटी और इनकम टैक्स के रूप में 2.32 लाख करोड़ रुपए दिया, लेकिन बदले में दिल्ली को एक रुपए भी नहीं मिला। पिछले 9 सालों से दिल्ली को बजट नहीं दिया जा रहा है। पंजाब का किसान खून-पसीना बहाकर खेत में गेहूं, धान पैदा करता है। इसके बाद भी केंद्र सरकार पंजाब के विकास का 8 हजार करोड़ रुपए रोक रखा है। विपक्ष के कई राज्यों का केंद्र ने पैसा रोक रखा है। आखिर यह भेदभाव क्यों कर रहे है? ये लोग लिखते हैं कि राज्यों के विकास से देश का विकास है। क्या ये देश का विकास कर रहे है। विपक्ष के एक-एक राज्य को टारगेट करके उनके साथ भेदभाव किया है। केंद्र सरकार ने शिक्षा का बजट भी कम कर दिया। मतलब इनका शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि ये लोग दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति पढ़ाने जा रहे हैं। दलितों-पिछडों को ये अछूत कहते हैं। अगर ये श्लोक सुन लेंगे तो उनके कान में पारा कैसे डालेंगे। यह पढ़ाई कराने जा रहे हैं। यह बजट देश के किसान, नौजवान, व्यापारियों के खिलाफ है। यह बजट मोदी जी के मित्रों के लिए बनाया गया है।