ओखला विधानसभा से ‘‘आप’’ विधायक अमानतुल्लाह खान की गिरफ्तारी ने भाजपा द्वारा किए जा रहे ईडी-सीबीआई के गलत इस्तेमाल की पोल खोल दी है। ‘‘आप’’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि जिस केस में कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान को जमानत दिया था, सोमवार को उसी केस में उनको ईडी ने गिरफ्तार किया है। मार्च 2023 में अमानतुल्लाह को जमानत देते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि वक्फ बोर्ड की नियुक्तियों में कोई अनियमितता नहीं हुई थी और आवेदकों की तरफ से भी रिश्वत की कोई शिकायत नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में नियमानुसार नियुक्त कर्मचारियों को जो वेतन दिया गया, उसे भाजपा घोटाला बता रही थी। कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद भाजपा की जांच एजेंसियां फिर उनके खिलाफ फर्जी केस लेकर आई हैं। सच तो ये है कि भाजपा आम आदमी पार्टी से डरी हुई है। इसीलिए वो किसी भी तरह ‘‘आप’’ नेताओ को बेइमान घोषित करने का प्रयास कर रही है।
आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि ओखला विधानसभा से विधायक अमानतुल्लाह खान को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। जिस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है, उसी मामले में पहले एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया था, सीबीआई ने भी पूछताछ की थी और अब उसी मामले में उन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया है। 2016 के इस मामले में जब एसीबी ने उनकी गिरफ्तारी की थी, तो 8 मार्च 2023 को कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान को बाइज्जत जमानत पर रिहा कर दिया था। कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए अपने आदेश के पैरा नंबर 27 में टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया था कि वक्फ बोर्ड की नियुक्ति में कोई अनियमितता नहीं थी। ये पूरा मामला इतना फर्जी था। कर्मचारियों को जो वेतन दिया गया, उसे भाजपाई घोटाला बता रहे थे। नियम के अनुसार की गई 89 दिनों की भर्तियों को भाजपा वाले घोटाला बता रहे थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि आवेदकों की तरफ से भी रिश्वत की कोई शिकायत नहीं की गई है। लेकिन आज इनकी जांच एजेंसियां फिर अमानतुल्लाह खान के खिलाफ फर्जी केस लेकर आ गईं।
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि भाजपा आम आदमी पार्टी से डर गई है। इसलिए भाजपा चाहती है कि किसी भी तरह ‘‘आप’’ के नेताओं को बेईमान घोषित कर दिया जाए। लेकिन देश के सर्वाेच्च न्यायालय ने अब विजय नायर को भी जमानत दे दी है। इसके लिए हम तहे दिल से कोर्ट का शुक्रिया अदा करते हैं। विजय नायर की जमानत से आज यह बात भी साबित हो गई कि आम आदमी पार्टी के नेता कट्टर ईमानदार थे, हैं और रहेंगे। आम आदमी पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता कट्टर ईमानदार है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा एक नंबर की भ्रष्ट सरकार है।
प्रियंका कक्कड़ ने आगे कहा कि हमारे आम आदमी पार्टी के किसी भी नेता के पास एक चवन्नी की भी रिकवरी नहीं हुई। लेकिन इसके बावजूद 17 महीने तक मनीष सिसोदिया को, लगभग 2 साल तक विजय नायर को, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह को लगातार बिना किसी सबूत के केवल भाजपाइयों के बयान के आधार पर जेल में प्रताड़ित किया गया। क्योंकि भाजपा का मकसद केवल आम आदमी पार्टी को कुचलना था। ये किसी भी तरह खरीद-फरोख्त करके आम आदमी पार्टी को तोड़ना चाहती थी। लेकिन भाजपा अपने मकसद में फेल हो रही है। विजय नायर की जमानत भाजपा के मुँह पर करारा तमाचा है। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने टीवी पर बैठकर 150 फोन तोड़ने और 1100 करोड़ के घोटाले की कई कहानियाँ गढ़ी थीं, लेकिन कहीं कोई रिकवरी नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमारे नेताओं को तोड़ने की जितनी कोशिश की है, दिल्ली की जनता इस बार उनको सबक सिखाएगी। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में जो 8 सीटें जीती थीं, इस बार उन सीटों पर भी इनकी जमानत जब्त होना तय है। भाजपा ने बार-बार हम पर अपना कीचड़ थोपने की कोशिश की, लेकिन आज उस तथाकथित शराब घोटाले की सच्चाई देश के सामने है। एक-एक भाजपा के झूठ का किला ढह रहा है। इन जाँच एजेंसियों के पास कोई सबूत नहीं थे, इसलिए ट्रायल भी शुरू नहीं किया गया। प्रधानमंत्री मोदी खुद भी कह चुके हैं कि कहीं किसी तरह की कोई रिकवरी नहीं हुई है। आम आदमी पार्टी दिल्ली के लोगों को मुफ्त बिजली, पानी, अच्छे स्कूल और अस्पताल की सुविधा दे रही है, इसलिए भाजपा ने हमारी सरकार के खिलाफ ये पूरी साजिश रची।
अमानतुल्लाह खान के केस में 2023 का कोर्ट का आदेश
प्रियंका कक्कड़ ने बताया कि 8 मार्च 2023 को कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान को बरी करते हुए अपने आदेश के पैरा 27 में कहा है कि नियुक्तियां केवल 89 दिनों की छोटी अवधि के लिए की गई थीं और मुख्य आरोपी अमानतुल्लाह खान या अन्य ने कोई अनुचित लाभ या फायदा नहीं उठाया। बल्कि, यह उन कर्मचारियों को दिए गए वेतन और भत्तों की राशि का है, जिन्हें इन पदों पर नियुक्त किया गया था और जिन्होंने वहां काम किया। सभी ने इस मामले की जांच में पहले ही सहयोग किया है और जो भी जानकारी और दस्तावेज़ उनके पास थे, वे उपलब्ध करा दिए हैं। इसके अलावा, किसी भी आवेदक से कोई भी धनराशि की वसूली नहीं की गई है। चूंकि कोई रिश्वत नहीं दी गई थी, इसलिए किसी भी आवेदक से उसकी वसूली का सवाल ही नहीं उठता है। लिहाजा, सतेंद्र कुमार अंतिल (उपर्युक्त) के मामले में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार और मामले के गुण-दोष पर विचार करते हुए यह अदालत किसी भी आवेदक की जमानत याचिका को खारिज करने या उन्हें हिरासत में लेने का कोई आधार या कारण नहीं पाती है।
इसके अलावा, कोर्ट ने अपने आदेशे के पैरा 28 में टिप्पणी की है कि हालांकि सीबीआई की ओर से यह आशंका जताई गई है कि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं या गवाहों और चल रही जांच को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन अदालत को प्रारंभिक दृष्टि में ये आशंकाएं भी निराधार और बेबुनियाद लगती हैं, क्योंकि इन आवेदकों के संबंध में जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और जांच के दौरान अधिकांश सबूत दस्तावेज़ी रूप में एकत्र किए जा चुके हैं। साथ ही, इस मामले से संबंधित अधिकांश मौखिक साक्ष्य भी पहले ही एकत्र किए जा चुके हैं। इसके अलावा, यदि जांच एजेंसी के मन में यह आशंका थी कि आवेदक सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे या चल रही जांच को प्रभावित करेंगे, तो उन्हें इस मामले में आवेदकों को गिरफ्तार करने या उनके आचरण को अदालत के संज्ञान में लाने से कोई भी नहीं रोक सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया। इसलिए अभियोजन पक्ष केवल आरोपियों की जमानत का विरोध करने के लिए यह बात नहीं कह सकता। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष की ओर से जताई जा रही आशंकाएं वास्तविक और तार्किक होनी चाहिए, न कि केवल बेबुनियाद आशंकाएं हों, जिनका कोई ठोस आधार ही न हो।