मयूर विहार फेस तीन में एलजी के अधीन डीडीए के नाले में गिरकर हुई मां-बेटे की मौत से आक्रोशित आम आदमी पार्टी ने शनिवार को एलजी सचिवालय पर जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और एलजी से इस्तीफे की मांग की। ‘‘आप’’ प्रदेश उपाध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक कुलदीप कुमार के नेतृत्व में हुए विरोध-प्रदर्शन में कई विधायक, महिला, यूथ विंग व लीगल सेल के पदाधिकारी समेत बड़ी तादात में कार्यकर्ता शामिल हुए। ‘एलजी साहब इस्तीफा दो, डीडीए के अफसरों को सस्पेंड करो समेत अन्य नारे लिखे तख्तियों के साथ आए कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी कर एलजी से पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की। ‘‘आप’’ का कहना है कि एलजी के अधीन डीडीए की लापरवाही से मां-बेटे की मौत हुई है। एलजी साहब केंद्र की भाजपा सरकार की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं। इसलिए अभी तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है और न तो पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक मदद की घोषणा ही हुई है।
पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शनिवार को दोपहर करीब 12 बजे बड़ी तादात में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता एलजी सचिवालय पहुंचे। पुलिस ने उन्हें रोका तो प्रदर्शन में शामिल पार्टी के नेता, विधायक, पार्षद व कार्यकर्ता सड़क पर ही बैठकर एलजी और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। डीडीए की लापरवाही से हुई मां-बेटे की दुखद मौत से नाराज ‘‘आप’’ कार्यकर्ताओं और महिला विंग ने दिल्ली के नाले साफ करो, एलजी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी समेत अन्य नारे लगाते हुए एलजी को तत्काल इस्तीफा देने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इस प्रचंड विरोध प्रदर्शन में ‘‘आप’’ के विधायक हाजी यूनुस, अब्दुल रहमान, राजेंद्र पाल गौतम और अखिलेश पति त्रिपाठी समेत अन्य विधायक शामिल हुए। इनके अलावा पार्टी की वरिष्ठ नेता रीना गुप्ता, महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष सारिका चौधरी, यूथ विंग के अध्यक्ष पंकज गुप्ता, लीगल सेल के अध्यक्ष संजीव नासियार समेत अन्य विंग के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
इस दौरान “आप” प्रदेश उपाध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि हम एलजी साहब के अधीन डीडीए के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से मयूर विहार फेज 3 में मां-बेटे की मौत हुई है। एलजी साहब उन्हें इंसाफ दें और इस मामले से बचने की न तो कोशिश करें और न ही झूठ बोलें। भाजपा के लोग हर जगह प्रदर्शन करते हैं, लेकिन इस बार वो भाग गए, क्योंकि उन्हें पता था कि ये डीडीए का नाला है। डीडीए सीधे-सीधे एलजी के अधीन आता है। लेकिन एलजी साहब अब इससे नहीं बच सकते। उन्हें कार्रवाई करते हुए अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करवाना पड़ेगा। उस मां-बेटे की क्या गलती थी? अगर वो नाले के पास से गुजर रहे थे और नाला नहीं ढका था, तो ये अधिकारियों की लापरवाही थी। एलजी साहब उन्हें क्यों बचा रहे हैं?
कुलदीप कुमार ने कहा कि हमारी मांग है कि एलजी साहब उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। अगर उन्होंने कार्रवाई नहीं की और अधिकारियों को उनको संरक्षण मिला, तो फिर अधिकारी ईमानदारी से काम नहीं करेंगे। लेकिन अगर उन्होंने एक बार भी कार्रवाई कर दी, तो अधिकारी डर से खुद बाहर निकलेंगे और नालों का दौरा करेंगे। इन अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए, क्योंकि ये हादसा नहीं हत्या है, जो एलजी साहब के अधिकारियों की वजह से हुई है। एलजी साहब उन्हें सस्पेंड करें। साथ ही उत्तराखंड के रहने वाले उस परिवार का इकलौता बच्चा और उसकी मां की मृत्यु हो गई और एक पूरा परिवार बिखर गया। इस परिवार पर दुख का पहाड़ टूटा है। उपराज्यपाल उस परिवार को उचित मुआवजा दें और उन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें जिनकी वजह से उन मां-बेटे की जान गई है।
कुलदीप कुमार ने कहा कि जब तक इस परिवार को इंसाफ नहीं मिल जाता हमारा ये संघर्ष जारी रहेगा। गुरुवार को हमने घटना स्थल पर जाकर प्रदर्शन किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज हम एलजी हाउस के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। आज हम उन्हें अपनी मांगे बताने आए हैं। लेकिन अगर इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम एलजी हाउस के अंदर आने से भी गुरेज नहीं करेंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे।
वहीं, “आप” नेता रीना गुप्ता ने कहा कि एलजी दिल्ली की चुनी हुई केजरीवाल सरकार को काम नहीं करने दे रहे हैं। वो अफसरों को कंट्रोल करके दिल्ली के सारे काम रुकवा रहे हैं। आज हम उनसे उनके इस्तीफे की मांग करने आए हैं। अगर एलजी वी के सक्सेना को मुख्यमंत्री बनने का शौक है तो वो अपना इस्तीफा देकर मैदान में आए और मुख्यमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ें। वो जानबूझकर दिल्ली सरकार के काम रोक रहे हैं। डीडीए सीधे-सीधे एलजी साहब के अधीन है। उसके खुले नाले में गिरने से एक मां-बच्चे की मौत हो गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जिस डीडीए की जिम्मेदारी एलजी साहब की है, वो उसका काम देखने के बजाय सरकार के सारे विभागों में दखलअंदाजी करते हैं या किसी मंत्री को चिट्ठी लिख देते हैं। अगर उनसे डीडीए नहीं संभल पा रहा है, तो वो अपने पद से इस्तीफा दें।