आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को एलजी वीके सक्सेना का एक्स पर एक वीडियो साझा कर कटाक्ष किया है। वीडियो में एलजी प्रदूषण से निपटने का उपाय बता रहे हैं। सौरभ भारद्वाज ने पूछा है कि दिल्ली के प्रदूषण पर एलजी साहब की कोई सुन नहीं रहा? एलजी साहब ने दावा किया था कि दिल्ली का स्थानीय प्रदूषण 74 फीसद है, अगर नियत साफ हो तो इसे पूरी तरह रोका जा सकता है। अब एलजी के सड़क पर दौरे बंद हो गए। एलजी की वीडियो नहीं आती और उनकी प्रेस रिलीज़ नहीं आ रही है। क्या एलजी अपनी नौकरी बचाने के लिए चुप हो गए?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी साहब तो बहुत विद्वान आदमी हैं। उनको तो प्रदूषण से लेकर यमुना तक सारा ज्ञान था। पिछले साल तक जब अरविंद केजरीवाल की सरकार थी, तब एलजी खुद सड़कों पर 250 से अधिक अधिकारियों की फौज और कैमरामैन लेकर घूमते थे, टीवी चैनलों पर बयान देते थे और बताते थे कि प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है? उन्होंने बार-बार दावा किया था कि दिल्ली का अपना स्थानीय प्रदूषण 74 फीसद है और अगर नियत साफ हो तो इसे पूरी तरह रोका जा सकता है।
सौरभ भारद्वाज ने सवाल उठाया कि क्या आज मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की नियत साफ नहीं है? क्या वह एलजी वीके सक्सेना से परामर्श नहीं ले रही हैं? यदि परामर्श नहीं ले रही हैं तो एलजी चुप क्यों बैठे हैं? क्या उन्हें अपनी कुर्सी जाने का डर सता रहा है? क्या उन्हें लगता है कि मुंह खोला तो केंद्र सरकार उन्हें एलजी के पद से हटा देगी?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी बार-बार खुद को दिल्ली का “लोकल गार्जियन” बताते थे। अब सवाल यह है कि क्या आज वह लोकल गार्जियन राजभवन से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं? क्या उन्हें बाहर आने की इजाजत नहीं दी जा रही है? क्या उनके प्रेस रिलीज जारी करने पर रोक लगा दी गई है? क्या उनके विशाल पीआर और मीडिया विभाग पर ताला जड़ दिया गया है? क्या उन पर पहरे बिठा दिए गए हैं? उन्हें दिल्ली की जनता को इन सभी सवालों का जवाब देना होगा।
उधर, आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले 10 साल से जो बात कह रहे थे और जो काम कर रहे थे, उसे अब भाजपा भी स्वीकार करने लगी है। केजरीवाल सरकार ने देश की सबसे आक्रामक और प्रोत्साहन वाली इलेक्ट्रिक वाहन नीति लागू की थी। लोगों को सब्सिडी दी गई, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का पूरा नेटवर्क खड़ा किया गया और दिल्ली का बस बेड़ा भी तेजी से इलेक्ट्रिक किया गया। नतीजा यह हुआ कि आम आदमी पार्टी के शासनकाल में दिल्ली वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने में तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी।
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि यह सराहनीय है कि अब केंद्र और पड़ोसी राज्य भी अन्य राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहन नीति अपनाने की हिदायत दे रहे हैं। लेकिन साथ ही मुझे आशंका है कि कहीं यह केवल ऑप्टिक्स और दिखावा न रह जाए। सिर्फ मीटिंग और बयानबाजी से कुछ नहीं होगा। चार्जिंग स्टेशन का मजबूत ढांचा, लोगों को आकर्षित करने वाली सब्सिडी और ठोस नीति के साथ आगे बढ़ना जरूरी है।
प्रियंका कक्कड़ ने याद दिलाया कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की हर इंडस्ट्री को पीएनजी पर शिफ्ट करवाया था। वहीं दूसरी तरफ एनसीआर के आसपास मौजूद 12 थर्मल पावर प्लांट हैं। विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है कि अगर इन प्लांटों में अनिवार्य रूप से फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) तकनीक लगाई जाए तो दिल्ली-एनसीआर का 70 फीसद तक प्रदूषण अपने आप कम हो जाएगा। लेकिन भाजपा शासित केंद्र सरकार ने इस अनिवार्य प्रावधान को ही कमजोर कर दिया है। केंद्र सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे और सभी प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रीज को वास्तव में स्वच्छ ईंधन और तकनीक पर शिफ्ट करने के लिए कड़ाई से मजबूर करे।