पंजाब सरकार द्वारा रविवार को आनंदपुर साहिब में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस भव्य आयोजन में ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान समेत विभिन्न धर्मों के धर्म गुरु शामिल हुए। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब का सबसे बड़ा संदेश था कि सभी धर्मों में मानवता सबसे ऊपर है। इंसान सिर्फ इंसान है और हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का पूरा अधिकार है। 142 पिंडों में गुरुजी महाराज के चरण पड़े थे। पंजाब सरकार इन पिंडों के विकास के लिए 50-50 लाख रुपए दिए हैं।
अरविंद केजरीवाल ने देश के कोने-कोने से आए अलग-अलग धर्मों के साधु-संत, गुरु, ज्ञानी और महापुरुषों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इतिहास में अपने धर्म की रक्षा के लिए अनेक लोगों ने बलिदान दिए, लेकिन दूसरे के धर्म की रक्षा के लिए सर्वाेच्च कुर्बानी देने का उदाहरण मिलना मुश्किल है। जब औरंगजेब कश्मीरी पंडितों का जबरन धर्म परिवर्तन कर रहा था, तब श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने उनके धर्म की रक्षा के लिए अपना शीश दे दिया। उनका सबसे बड़ा संदेश था कि इंसान सिर्फ इंसान है। जिस धर्म में वह विश्वास रखता है, उसी धर्म में उसे सम्मान देना चाहिए। किसी को भी जबरन धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसी संदेश और परंपरा को आगे बढ़ाते हुए यह सर्वधर्म सम्मेलन आयोजित किया गया है, जिसमें सभी प्रमुख धर्मों के बड़े-बड़े संत-महात्मा पधारे हैं। उन्होंने बाबा हरनाम सिंह जी, मुखी दमदमी टकसाल, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी, संत बाबा बलबीर सिंह जी (बुड्ढा दल), बाबा गुरिंदर सिंह जी (राधास्वामी डेरा ब्यास), महंत ज्ञान देव जी (निर्मल अखाड़ा), संत बाबा सेवा सिंह जी (रामपुर खेड़ा वाले), बाबा महेंद्र सिंह जी (निष्काम सेवक यूके), संत बाबा कश्मीर सिंह जी भूरीवाले, सैयद अफसर अली निजामी (दरगाह शरीफ हजरत निजामुद्दीन औलिया), हाजी सैयद सलमान चिश्ती (दरगाह शरीफ अजमेर), राजयोगिनी डॉ. बिन्नी सरीन (ब्रह्मकुमारी), बिशप जोस सेबेस्टियन (जलंधर डायोसिस), आचार्य डॉ. लोकेश मुनि जी, शंकराचार्य स्वामी देवदत्तानंद सरस्वती जी, भिक्षु संग सेना जी, रब्बी मालेकर जी सहित सभी संत-महापुरुषों का नाम लेकर धन्यवाद किया।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी गुरुओं का एक ही संदेश रहा है कि इंसान सिर्फ इंसान है। हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का पूरा अधिकार है और मानवता सबसे ऊपर है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पंजाब सरकार द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत के सम्मान में बेहतरीन इंतजाम किए गए हैं। आने वाले दो-तीन दिनों में लाखों श्रद्धालु श्री आनंदपुर साहिब पहुंचेंगे। कोने-कोने से मुफ्त बसें चलाई जा रही हैं, टेंट सिटी बनाई गई है, 20 से ज्यादा मेडिकल क्लीनिक, शटल सेवा और हर छोटी-बड़ी सुविधा का खयाल रखा गया है। सोमवार को ऐतिहासिक विधानसभा सत्र होगा, जिसमें संगत के सामने बड़े ऐतिहासिक फैसले लिए जाएंगे। गुरु साहिब के चरण जहां-जहां पड़े, उन 142 गांवों में मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा 50-50 लाख रुपये दिए गए हैं ताकि उन स्थानों का विकास हो सके।
अंत में उन्होंने सभी संत-महापुरुषों से पंजाब और देश के लोगों के सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा और गुरु तेग बहादुर साहिब जी से प्रार्थना की कि पंजाब चढ़दी कला में रहे, पूरा देश तरक्की करे, हर परिवार सुखी-स्वस्थ और खुशहाल रहे।
इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आज पूरे देश में विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के बड़े-बड़े ज्ञानी महापुरुष अपने-अपने तरीके से “हिंद दी चादर” श्री गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस मना रहे हैं और इस पवित्र धरती पर नतमस्तक होने पहुंचे हैं। उन्होंने गुरु साहिब की महान कुर्बानी का जिक्र करते हुए कहा कि अगर पूरी धरती को स्लेट, सारे वृक्षों को कलम और सारे समुद्र-सागर को स्याही बना दिया जाए, तब भी गुरु तेग बहादुर जी की कुर्बानी को पूरा नहीं लिखा जा सकता। यह एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक परिवार की अनुपम कुर्बानी है। श्री गुरु अर्जुन देव जी का बलिदान, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी की कुर्बानी, फिर खुद गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान, चार साहिबजादों की शहादत और श्री गुरु गोविंद सिंह जी तथा माता गुजरी जी की कुर्बानी। दुनिया के इतिहास में ऐसा दूसरा उदाहरण मिलना मुश्किल है।

भगवंत मान ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी की कुर्बानी को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। जिन जल्लादों ने श्री गुरु साहिब जी का शीश काटा था, उन्हें कोई याद नहीं करता, उस औरंगजेब की कब्र में कोई दीया जलाने वाला नहीं है, जबकि आज श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर पूरी संगत नतमस्तक हो रही है। उन्होंने कहा कि भाई मती दास, भाई सती दास, भाई दयाला जी को कोई नहीं जानता था, लेकिन आज सैकड़ों साल बाद भी उनके नाम पर मेले लग रहे हैं, लोग नतमस्तक हो रहे हैं। वहीं औरंगजेब की कब्र पर कोई दीया तक नहीं जलाता। रोजाना गुरुद्वारों में चंडी दी वार, जाप साहिब, गुरु की वाणी गूंजती है। यह कोई साधारण कुर्बानी नहीं थी। यह अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए दी गई कुर्बानी थी।
भगवंत मान ने बताया कि जब पटना साहिब में बालक गोविंद राय (बाद में गुरु गोविंद सिंह जी) का जन्म हुआ, उस समय पिता घर पर नहीं थे। किशोर अवस्था में पहली बार पिता को देखा तो वह धर्म की रक्षा के लिए असम से ढाका तक जंगलों में मानवता का हक दे रहे थे। ये कुर्बानियां अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए थीं। त्याग और मानवता की इससे बड़ी मिसाल दुनिया में कहीं नहीं मिल सकती।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों का एक जत्था कृपा राम जी के नेतृत्व में गुरु साहिब के पास पहुंचा था। उनकी कुर्बानी से प्रभावित होकर कृपा राम जी वापस नहीं लौटे, बल्कि खंडे-बाते दा अमृत छककर कृपा सिंह बन गए। आज स्कूलों की किताबों में यह इतिहास नहीं पढ़ाया जाता, लेकिन यही सच्चाई है कि एक धर्म को जबरन खत्म करने का सिलसिला हमेशा के लिए बंद हो गया।
अंत में भगवंत मान ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक दिन का नहीं है। पूरा साल शहीदी दिवस मनाया जाएगा। सभी धर्मों के लोग, चाहे राधास्वामी, जैन, निर्मल संप्रदाय, निजामुद्दीन औलिया के अनुयायी या कोई और, एक मंच पर एकत्र हुए हैं। बाहर 700 से ज्यादा ई-रिक्शा मुफ्त सेवा दे रहे हैं, 20 से अधिक मेडिकल कैंप और क्लीनिक लगे हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि गुरु साहिब की कुर्बानियों को याद करें, अपने बच्चों को बताएं कि ये कुर्बानियां किसलिए दी गईं।