आम आदमी पार्टी ने गुजरात में किसानों द्वारा लगातार की जा रही आत्महत्या को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। गुजरात के सह प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा सरकार के दमन से परेशान होकर किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। बीते 25 दिनों में 6 किसानों की आत्महत्या यह बताती है कि भाजपा सरकार में किसानों का बहुत बुरा हाल है। उन्होंने सवाल किया कि जब अडानी-अंबानी का करोड़ों रुपए का लोन माफ हो सकता है तो किसानों का क्यों नहीं हो सकता? भाजपा सरकार किसानों का कर्ज माफ कर उनकी आत्महत्या रोक सकती है, लेकिन वह ऐसा नहीं करेगी। उन्होंने मांग की कि पंजाब की ‘‘आप’’ सरकार की तरह गुजरात की भाजपा सरकार भी बर्बाद फसलों पर अपने किसानों को 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा दे।
बुधवार को ‘‘आप’’ मुख्यालय पर पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ के साथ संयुक्त प्रेसवार्ता कर गुजरात सह प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि इस देश में किसानों के मुद्दों पर बहुत चर्चा हो चुकी है। यह कोई जटिल समस्या नहीं है जिसके लिए बड़े शोध या विशेषज्ञों की जरूरत पड़े। मुद्दा बेहद साधारण है। यदि नियत साफ हो तो इसे आसानी से हल किया जा सकता है, लेकिन नियत खराब हो तो समाधान में बड़ी दिक्कत आती है। उन्होंने कहा कि पिछले 25 दिनों में गुजरात में छह किसानों ने आत्महत्या कर ली। ये किसान जूनागढ़ के ऊना तालुका, जसदन विधानसभा की बिछिया, कोटड़ा- संगाणी तालुका के अरडोई गांव, सुतरापाड़ा तालुका, विसावदर के ईश्वरिया गांव तथा माडबड़ गांव से थे। छह अलग-अलग गांवों में छह किसानों की आत्महत्या यह गवाही देती है कि समस्या बेहद गंभीर हो चुकी है।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि आमतौर पर गुजरात की हकीकत हम तक नहीं पहुंच पाती। हम कुछ नदियों के किनारे विकसित इलाके देखकर खुश हो जाते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वहां किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। बेमौसम बारिश एक कारण जरूर है, लेकिन कुल मिलाकर खेती घाटे का सौदा बन चुकी है। सरकार कोई मदद नहीं कर रही। खाद, बीज और बैंक लोन समय पर नहीं मिलते। बिचौलियों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता है और वे लगातार तंग करते हैं। यह वही दुष्चक्र है जिसमें कभी महाराष्ट्र फंसा था। आज गुजरात भी उसी में फंसता दिख रहा है और पिछले 25 दिनों में छह आत्महत्याएं इसका जीता-जागता सबूत हैं।
दुर्गेश पाठक ने बताया कि पिछले दो महीनों से आम आदमी पार्टी पूरे गुजरात में किसानों के लिए आंदोलन चला रही है। करदा प्रथा वहां किसानों के शोषण का बड़ा माध्यम है। माल तय रेट पर बेचने जाते हैं तो व्यापारी पहले कुछ किलो उस रेट पर लेते हैं, बाद में रेट घटा देते हैं। इस प्रथा के विरोध में हमारे वरिष्ठ नेता राजू करपड़ा और प्रवीण राम सहित 67 कार्यकर्ता एक महीने से अधिक समय से जेल में हैं। भाजपा की तानाशाही सरकार ने उन्हें बंद कर रखा है। उनकी मांग सिर्फ इतनी थी कि यह प्रथा खत्म हो। जिस राज्य में गांधी जी ने डांडी मार्च किया, वहां एक जायज मांग पर इतने लोग जेल में हैं।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि सुरेंद्रनगर जिले में हाल ही में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की रैली में लाखों किसान शामिल हुए थे। उसके बाद से पार्टी का वरिष्ठ नेतृत्व और गुजरात इकाई पूरे राज्य में आंदोलन कर रही है। हर जगह किसान महापंचायतें हो रही हैं। हमारी मांग सरल है कि यदि पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये मुआवजा दे सकती है तो गुजरात में क्यों नहीं। अन्य राज्यों में भी यह संभव है। लेकिन गुजरात सरकार सुनने को तैयार नहीं है। नतीजा यह है कि पूरा गुजरात का किसान परेशान, आंदोलित और अपनी स्थिति पर रोने को मजबूर है। छह आत्महत्याएं इसका ताजा उदाहरण हैं।
दुर्गेश पाठक ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से अपील की कि वे किसानों की सुध लें और इस समस्या से निकालने का प्रयास करें। यदि अडानी-अंबानी और उद्योगपतियों के कर्ज माफ हो सकते हैं तो किसानों की मदद क्यों नहीं। फसल बर्बाद होने पर अच्छा मुआवजा मिलना चाहिए, यह खुद प्रधानमंत्री ने कई बार कहा है। हम तो वही मांग रहे हैं जो प्रधानमंत्री पहले कहते थे। उम्मीद है भाजपा में थोड़ी संवेदनशीलता आएगी और गुजरात के परेशान किसानों की मदद करेगी। यदि मदद नहीं हुई तो पूरा गुजरात का किसान एकजुट होकर भाजपा को इसका जवाब देगा।
इस दौरान प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि पंजाब में अभूतपूर्व बारिश से चार लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बाढ़ आई और फसलें बर्बाद हो गईं। लेकिन वहां संवेदनशील आम आदमी पार्टी की सरकार ने किसानों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का मुआवजा मात्र 30 दिन के अंदर दे दिया, जो अब तक का सबसे ज्यादा और सबसे तेज मुआवजा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने “जिसका खेत उसकी रेत” जैसी योजनाएं लागू की। वहीं दूसरी ओर, केंद्र की भाजपा सरकार ने पंजाब के लिए हवाई सर्वे और हेडलाइन मैनेजमेंट के नाम पर मात्र 1600 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की, लेकिन आज तक एक पैसा नहीं दिया। पैकेज तो दूर, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड का पैसा उपयोग करने की अनुमति तक नहीं दी है। यह सब ओंछी राजनीति के कारण हुआ।
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि जब भी देश में किसान संकट में रहे, भाजपा मंत्रियों ने उन पर गाड़ियां चढ़ाईं। 700 से अधिक किसानों ने शहादत दी और भाजपा इकोसिस्टम ने उन्हें आतंकवादी करार दिया। असली आतंकवादियों को नहीं पकड़ पाते, लेकिन किसानों के रास्ते में मोटी कीलें ठोंक देते हैं तथा उन्हें बदनाम करते हैं। ऐसी सरकार से उम्मीद छोड़कर गुजरात के छह किसानों ने हाल में आत्महत्या कर ली। ये वही किसान थे जो 2022 तक आय दोगुनी होने जैसी प्रधानमंत्री मोदी के झूठे वादों फंस गए। उन्हें लगा कि जैसे मोदी जी अपने पूंजीपति मित्रों के लाखों करोड़ ऐसे ही माफ करते हैं, वैसे ही इनका डेढ़-दो लाख का कर्ज माफ हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रियंका कक्कड़ ने आगे कहा कि किसान कपास की एमएसपी 1,500 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री ने ट्रंप के सामने समर्पण कर अमेरिकी कपास पर जीरो इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी, जिससे अमेरिकी कपास भारतीय कपास से सस्ती हो गई। अरविंद केजरीवाल ने दो महीने पहले प्रेस वार्ता कर चेताया था कि किसान घर गिरवी रखकर जून-जुलाई में कपास बोता है, ताकि नवंबर में बेचकर घर चलाए, लेकिन 19 अगस्त 2025 को आई नीति की वजह से किसानों को 900 रुपये प्रति 20 किलोग्राम से भी कम दाम मिल रहा है।