दिल्ली के लाखों लोग अब अपने घर के पास स्थित मोहल्ला क्लीनिकों में मुफ्त इलाज नहीं पा पाएंगे। भाजपा की दिल्ली सरकार ने अरविंद केजरीवाल सरकार में खोले गए सैकड़ों मोहल्ला क्लीनिकों में से 200 से ज्यादा पर तला जड़ दिया है। गरीब विरोधी भाजपा सरकार के इस कदम की आम आदमी पार्टी ने कड़ी निंदा की है। “आप” के वरिष्ठ नेता व विधायक कुलदीप कुमार का कहना है कि भाजपा एक्पोज हो गई। भाजपा ने 200 मोहल्ला क्लीनिकों को बंद कर चुनाव के दौरान कोई भी जनहितकारी योजना को बंद नहीं करने का अपना वादा तोड़ दिया है। इन मोहल्ला क्लीनिकों के बंद होने से न सिर्फ सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार हो गए, बल्कि लाखों लोग मुफ्त इलाज से वंचित हो गए हैं। झूठ के दम पर बनी भाजपा की चार इंजन की सरकार ने 9 महीने में ही दिल्ली को बर्बाद कर दिया।
गुरुवार को “आप” मुख्यालय पर मोहल्ला क्लीनिकों से निकाले गए डॉक्टर्स व अन्य स्टॉफ के साथ प्रेसवार्ता कर कुलदीप कुमार ने कहा कि दिल्ली में भाजपा को सत्ता में आए हुए नौ महीने से अधिक समय हो चुका है। इस सरकार का गठन झूठे वादों के दम पर हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी सहित पूरी भाजपा ने दिल्ली की जनता से स्पष्ट वादा किया था कि हम अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी जनहितकारी योजना को बंद नहीं करेंगे। लेकिन सत्ता में आते ही यह सरकार उन सभी वादों को भूल गई। दिल्ली की जनता को हमेशा डर था कि भाजपा कभी आम आदमी की सरकार नहीं बन सकती। आज वही डर साकार हो रहा है।
कुलदीप कुमार ने कहा कि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ कहे जाने वाला मोहल्ला क्लीनिक मॉडल अरविंद केजरीवाल सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र में उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम था, जिसकी चर्चा पूरे देश और विदेशों में हुई। इस मॉडल को कई देशों ने अपनाया भी। मोहल्ला क्लीनिक में काम करने वाले स्टाफ, फार्मेसिस्ट और अन्य कर्मचारी दिन-रात अपनी नौकरी और रोजगार बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जब दिल्ली में भाजपा सरकार बनी थी, तब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इन कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि मोहल्ला क्लीनिक बंद नहीं किए जाएंगे और किसी की नौकरी नहीं छीनी जाएगी। लेकिन आज भाजपा सरकार मोहल्ला क्लीनिकों को बंद करने की राह पर है। दिल्ली के सैकड़ों मोहल्ला क्लीनिकों पर ताला लग चुका है। भाजपा सरकार ने इन क्लीनिकों को बंद कर दिया है और इनमें आने वाले मरीजों को मुफ्त इलाज से वंचित कर दिया गया है। यह भाजपा के झूठ का पर्दाफाश है। भाजपा ने कहा था कि मोहल्ला क्लीनिक बंद नहीं होंगे, डॉक्टरों और स्टाफ को नहीं हटाया जाएगा। लेकिन रेखा गुप्ता सरकार ने आज इन क्लीनिकों पर ताला जड़ दिया।
कुलदीप कुमार ने एक ईमेल दिखाते हुए कहा कि स्टाफ को भेजे गए इस ऑर्डर में लिखा है कि यह सीडीएमओ मध्य जिले के नोटिस में आया है कि कुछ आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक बिना किसी नियुक्त डॉक्टर के स्टाफ द्वारा संचालित हो रहे हैं। इसलिए सूचित किया जाता है कि डॉक्टरों का अनुबंध 12 नवंबर 2025 को समाप्त हो गया है। इस ऑर्डर से साफ है कि सरकार ने डॉक्टरों का अनुबंध विस्तार नहीं किया और किसी भी स्टाफ को क्लीनिक खोलने की अनुमति नहीं दी। नतीजतन, 12 नवंबर को दिल्ली के 200 से अधिक मोहल्ला क्लीनिकों पर ताला लग गया है। इससे न केवल मरीजों को स्वास्थ्य लाभ से वंचित होना पड़ेगा, बल्कि इनमें काम करने वाले फार्मेसिस्ट और अन्य कर्मचारियों का रोजगार भी छिन जाएगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इन्हें आश्वासन दिया था कि नौकरी नहीं छीनी जाएगी, लेकिन उन्होंने तो रोजगार ही छीन लिया। यह सरकार जो कहती है, वह कभी पूरा नहीं करती है। यह पूरी तरह जुमलों की सरकार है। चार इंजन वाली भाजपा सरकार के चारों इंजन नौ महीनों में ही फेल हो चुके हैं।
कुलदीप कुमार ने कहा कि भाजपा सरकार स्टाफ को स्थायी करने की बात करती थी, लेकिन आज रोजगार ही छीन रही है। आम आदमी पार्टी ने पहले भी कहा था कि अगर भाजपा को आरोग्य मंदिर बनाने हैं, बना लो। हमने कभी मना नहीं किया। जिस तरह भाजपा ने आम आदमी पार्टी सरकार की डिस्पेंसरी और पॉलीक्लिनिक पर अपने स्टीकर चिपकाए, उसी तरह मोहल्ला क्लीनिक पर भी चिपका दो, लेकिन इनके स्टाफ का रोजगार तो मत छीनो। जनता को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित मत करो। यह सरकार सिर्फ कागजों में है, जमीन पर नहीं है। भाजपा ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की हालत इतनी खराब कर दी है कि उनमें दवाइयां तक नहीं हैं, मरीज बिना इलाज के तड़प रहे हैं। हाल ही में लाल किला बम धमाके के बाद एलएनजीपी अस्पताल में शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं थी। यह स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भाजपा सरकार की गंभीरता को दर्शाता है। भगवान इस सरकार को सद्बुद्धि दें। सरकार स्टाफ का रोजगार वापस करें और तुरंत मोहल्ला क्लीनिक खोलें क्योंकि मोहल्ला क्लीनिक दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं।
इसके बाद मोहल्ला क्लीनिक यूनियन के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार ने कहा कि हम छह वर्षों से अधिक समय से मोहल्ला क्लीनिक में कार्यरत हैं। अचानक 30 अक्टूबर 2025 को हमें समापन पत्र जारी कर दिया गया। इससे कम से कम 200 मोहल्ला क्लीनिक बंद कर दिए गए और 600 से अधिक कर्मचारियों को घर भेज दिया गया। हमें केवल दो सप्ताह का नोटिस पीरियड पूरा करने को कहा गया। 16 मई को जब हम मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पास गए थे, तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि किसी को नहीं निकाला जाएगा। सभी को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में प्राथमिकता से नियुक्त किया जाएगा और कोई टेस्ट नहीं लिया जाएगा क्योंकि हम पहले से ही लिखित परीक्षा पास कर चुके हैं। यह परीक्षा आईपी यूनिवर्सिटी ने आयोजित की थी, जो दिल्ली के कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं का संचालन करती है।
जितेंद्र कुमार ने कहा कि हाल ही में कुछ भाजपा मंत्रियों के बयान सुने, जिसमें वे कह रहे थे कि मोहल्ला क्लीनिक स्टाफ में सब भ्रष्ट हैं, पार्टी कार्यकर्ता और फर्जी डिग्री वाले हैं। लेकिन हमारी मेरिट लिस्ट बनी थी, लिखित परीक्षा और काउंसलिंग हुई थी। हमारा प्रमाणीकरण मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया आदि से हुआ है। हम झोलाछाप नहीं हैं। यह मुहिम प्रोफेशनल्स को आगे लाने के लिए शुरू की गई थी, ताकि गरीब और मध्यम वर्ग को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। लेकिन हमारी सैलरी तीन-चार महीने तक रोकी गई। कर्मचारी का भरण-पोषण कैसे होगा? अब मीडिया ट्रायल से हमें भ्रष्ट साबित करने की कोशिश की जा रही है। आईपी यूनिवर्सिटी की परीक्षा के बाद अब हमें कार्यकर्ता बताना किस तरह की राजनीति है? हम तो बस कर्मचारी हैं। हर पांच साल में सरकार बदलती है, तो क्या हर कर्मचारी बदल देंगे? क्या कर्मचारियों को भी चुनाव लड़ाकर चुनेंगे? यह राजनीतिक द्वेष है क्योंकि हम मोहल्ला क्लीनिक में काम करते हैं।
जितेंद्र कुमार ने बताया कि हम अदालत भी गए। केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) ने 20 नवंबर तक स्टे दिया है, यानी पूर्व स्थिति बरकरार रखने का आदेश है। लेकिन 12 नवंबर को डॉक्टरों का अनुबंध समाप्त होने से क्लीनिक बंद कर दिए गए। अब डॉक्टर ही नहीं हैं, तो हम क्या करें? एक तरफ अधिकारी मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री का कोई बयान नहीं आ रहा है। वे हर जगह यह बयान जरूर देती हैं कि मोहल्ला क्लीनिक नालों पर बने हैं, लेकिन कभी यह नहीं सोचती कि रोज 100 से 150 गरीब मरीज लाभान्वित होते थे। हाल ही में दवाइयों की भी कमी हो गई है। पैरासिटामोल, एंटी-एलर्जिक, मेट्रोनिडाजोल जैसी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। प्रदूषण के कारण सीओपीडी के मरीज बढ़े हैं, लेकिन छह महीनों से दवाएं नहीं मिल रही हैं। 545 मोहल्ला क्लीनिकों में 2000 कर्मचारी थे, सभी बंद हो गए। यह दिल्ली की जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है।
जितेंद्र कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि कर्मचारियों को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में जगह मिलेगी। 1139 आरोग्य मंदिर बनने हैं, जिसमें 15,946 पद सृजित होंगे। मोहल्ला क्लीनिक में 2000 से अधिक पद हैं। कोविड के दौरान जब बड़े अस्पताल बंद थे, हम कोरोना वॉरियर्स बने। आज हमें सड़क पर लाया जा रहा है। केवल पार्टी का नाम लेकर नौकरी से निकलना क्या न्याय है? यह गलत है। भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने खुद कहा था कि सभी को स्थायी किया जाएगा, लेकिन आज हमें दर-दर भटकना पड़ रहा है।