आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार द्वारा एक महीने में एमटीएस कर्मचारियों की मांगे पूरी करने के दिए गए आश्वासन को महज एक झुनझुना बताया है। एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग का कहना है कि 30 नवंबर को एमसीडी के 12 वार्डों के उपचुनाव होने हैं। जिस तरह से दिल्ली की जनता और कर्मचारी भाजपा सरकार से नाराज है, उससे उसे उपचुनाव में हार का डर सता रहा है। इसी डर की वजह से भाजपा के मेयर ने धरने पर बैठे एमटीएस कर्मचारियों के आगे घुटने टेक दिए और उनकी सारी मांगे मान ली। भाजपा चाहती है कि उपचुनाव के दौरान कर्मचारी धरने पर न दिखे, इसलिए मेयर ने ये जुमला पकड़ा दिया है। अगर इनकी नियत साफ होती को न 33 दिनों तक हड़ताल चलती और ना ही दिल्लीवाले डेंगू-मलेरिया से जूझते। हार के डर से मेयर ने चुनावी घोषणा तो कर दी है, लेकिन इसे पूरे होने की उम्मीद न के बराबर है।
अंकुश नारंग ने कहा कि एमसीडी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के एमटीएस और पीएच कर्मचारियों की हड़ताल ने पूरे 33 दिनों तक दिल्ली की सड़कों को पर चली। करीब 5,200 कर्मचारी सड़कों पर उतरे और अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष किया। आखिरकार, भाजपा को इन कर्मचारियों के आगे घुटने टेकने पड़े। भाजपा के महापौर राजा इकबाल सिंह को जिद से जागना पड़ा और उन्हें कर्मचारियों की मांगें माननी पड़ीं। अगर 29 सितंबर से पहले ही भाजपा के मेयर द्वारा यह कदम उठा लिया गया होता, तो आज दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के बढ़ते मामले इतने भयावह रूप न लेते।
अंकुश नारंग ने बताया कि हड़ताल के समापन पर महापौर ने उस झुनझुना रूपी समिति की अनुशंसा को पढ़कर यह कहा कि एमसीडी आयुक्त दिल्ली सरकार को एक प्रताव भेजेंगे कि इन कर्मचारियों को समान वेतन के तौर पर 27900 रुपए देने पर प्रतिवर्ष 41 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आयेगा और यह 41 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ दिल्ली सरकार उठाएगी। सालाना का फंड सुनिश्चित करवाने का एक प्रस्ताव भेजेंगे। महापौर ने आश्वासन दिया है कि यह प्रक्रिया एक महीने के अंदर पूरी कर ली जाएगी।
अंकुश नारंग ने कहा कि महापौर ने एक महीने का समय इसलिए लिया क्योंकि 30 नवंबर को दिल्ली नगर निगम के 12 वार्डो पर उपचुनाव होने हैं। न तो दिल्ली की जनता भाजपा की इस एमसीडी से खुश है और न ही एमसीडी के कर्मचारी खुश हैं। महापौर सिर्फ इतना चाहते हैं कि चुनाव के दौरान कर्मचारी सड़कों पर न उतरें। इसलिए, महापौर ने एक और झुनझुना उनके हाथ में दे दिया।
अंकुश नारंग ने कहा कि कर्मचारियों को उम्मीद है कि मेयर राजा इकबाल सिंह अपना वादा याद रखेंगे। 31 अक्टूबर को उन्होंने मांगे पूरी की घोषणा की है। अब उनके पास 30 नवंबर तक का ही समय है। एक महीने के भीतर मेयर दिल्ली सरकार से यह प्रस्ताव पास करवाएं और रेखा गुप्ता सरकार से 41 करोड़ रुपए सालाना कर्मचारियों की सैलरी के लिए फंड सुनिश्चित कराए, ताकि इन एमटीएस कर्मचारियों को 27,900 रुपए की तनख्वाह, उनके परिवारजनों को दयालु आधार पर नौकरी, चिकित्सा अवकाश और अर्जित अवकाश मिल सके। लेकिन मुझे आशंका है कि यह फिर से महज एक जुमला साबित होगा। महापौर को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने चुनावी घोषणा तो कर दी, लेकिन क्या वे इसे पूरा करेंगे?
अंकुश नारंग ने महापौर से कहा कि याद रखना, आने वाले समय में कई चुनाव हैं। अगर इस बार उन्होंने वादा पूरा नहीं किया, तो हर चुनाव में एमसीडी कर्मचारी सड़क पर दिखेंगे और इसकी वजह से जनता को जो नुकसान होता है, उसके लिए भाजपा, उनके महापौर राजा इकबाल सिंह और भाजपा की स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा जिम्मेदार होंगी।