दिल्ली का प्रदूषण कम करने के लिए भाजपा सरकार का कृत्रिम वर्षा कराने का बनाया गया हौवा फिस्स हो गया। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने इस फर्जीवाड़े में दिल्ली की जनता का 3.50 करोड़ रुपए बर्बाद करने पर भाजपा सरकार को सबूतों के साथ नंगा कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कृत्रिम वर्षा के नाम पर न सिर्फ टैक्स का पैसा बर्बाद किया बल्कि दिल्लीवालों के साथ धोखा भी किया है। क्योंकि 9 माह पहले भाजपा की ही केंद्र सरकार ने आईएमडी, सीएक्यूएम और सीपीसीबी से वैज्ञानिक राय लेकर संसद में कहा था कि दिल्ली में कृत्रिम वर्षा नहीं कराई जा सकती है। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि सर्दी के दौरान दिल्ली में कृत्रिम वर्षा संभव नहीं है। अगर बादल बरसे भी तो पानी की एक बूंद जमीन तक नहीं पहुंचेगी। उल्टा, इसमें इस्तेमाल केमिकल से दिल्लीवालों को बीमारियां हो सकती है। फिर भी रेखा गुप्ता सरकार क्लाउड सीडिंग के नाम पर दिल्लीवालों को क्यों बेवकूफ बना रही हैं?
बुधवार को ‘‘आप’’ मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार ने तो तो दिवाली के अगले दिन ही क्लाउड सीडिंग कराने की बात कही थी, लेकिन नहीं करा पाई। फिर कहा कि 29 अक्टूबर को कराएंगे, लेकिन छठ पर जब आसमान में बादल देखा तो सरकार के दिमाग में दिल्लीवालों का पैसा बर्बाद करने का विचार आया और उसने एक दिन पहले ही 28 अक्टूबर को क्लाउड सीडिंग करा दी, लेकिन दिल्ली में कहीं भी बारिश नहीं हुई। लोगों को मूर्ख बनाने के लिए सरकारी पैसे से की गई यह नौटंकी और सर्कस भ्रष्टाचार की कटेगरी में आता है। अगर सीएम रेखा गुप्ता को झूठी वाहवाही ही लूटनी है तो अपना पैसा बर्बाद करें, इस सर्कस में दिल्लीवालों का पैसा क्यों उड़ा कर रही हैं? अगर सच्ची मंशा होती तो यह पैसा पेड़ लगाने, एंटी-स्मोक गन, स्प्रिंकलर और स्वीपिंग मशीनों पर लगता। बुधवार को भी एक्यूआई 350 के पार है, लेकिन यह सरकार सिर्फ प्रचार में लगी है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। दिल्ली की जनता रेखा गुप्ता सरकार से उम्मीद करती है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए संविधान में अंकित सिद्धांतों के अनुसार सरकारी धन का सदुपयोग करे, पैसे की बर्बादी न करे। लेकिन भाजपा सरकार जानबूझ कर जनता के टैक्स के पैसे को बर्बाद कर रही है। भ्रष्टाचार कई तरह के हो सकते हैं। भ्रष्टाचार कभी पैसे का होता है, कभी झूठी वाहवाही, तो कभी जनता को बेवकूफ बनाने और कभी जनता का ध्यान भटकाने के लिए होता है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार पर्यावरण मंत्री और मुख्यमंत्री ने पहली बार मॉनसून के दौरान दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम वर्षा की बात कही थी। उस दौरान मैंने खुद प्रेस वार्ता करके सरकार से पूछा था कि यह क्या मजाक है? जब मॉनसून में वैसे ही बारिश होती है, तो कृत्रिम वर्षा कराकर सरकार क्या साबित करना चाहती हैं? इसके बाद सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए। कुछ दिन बाद सरकार ने कहा कि दिवाली के अगले दिन कृत्रिम वर्षा कराएंगे। आम आदमी पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है? दिवाली के अगले दिन बारिश होने सारा प्रदूषण नीचे आ जाएगा। लेकिन दिल्ली में दिवाली के अगले दिन वर्षा नहीं हुई। जब ‘‘आप’’ ने इस पर सवाल उठाए, तब सरकार ने सरकार के मंत्री ने स्पष्टीकरण दिया कि अब 29 अक्टूबर को कृत्रिम वर्षा कराई जाएगी।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 27 अक्टूबर को छठ की शाम डूबते सूरज को अर्घ्य देने के समय दिल्ली के कई इलाकों में हल्की फुल्की बारिश हुई। यह देखकर भाजपा सरकार के दिमाग में विचार आया कि दिल्लीवालों को बेवकूफ बनाने का यही उपयुक्त मौका है। भाजपा सरकार ने आसमान में घने बादल देखकर इंद्र भगवान की बारिश का भी क्रेडिट चुराने का फैसला कर लिया। जिस तरह ये लोग अरविंद केजरीवाल सरकार के काम का क्रेडिट चुराते हैं। इसके बाद भी भाजपा ने नाटक शुरू कर दिया। पहले कहा कि मंगलवार (28 अक्टूबर) को दोपहर 12ः00 से 12ः30 बजे कृत्रिम बारिश होगी। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग करने के 15 से 20 मिनट के अंदर बारिश हो जानी चाहिए। लेकिन भाजपा ने 4 घंटे में बारिश आने की बात कही।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कृत्रिम वर्षा के लिए सरकार ने करोल बाग, बुराड़ी या मयूर विहार का इलाका तय किया था। लेकिन भाजपा से इंद्र भगवान इतने नाराज थे कि एक बूंद भी बारिश नहीं हुई। इसके बाद शाम 4ः00 बजे दोबारा क्लाउड सीडिंग की गई, लेकिन फिर भी बारिश नहीं हुई। सरकार ने कहा कि दिल्ली सचिवालय के पास बारिश हो गई। सचिवालय पर दो स्मॉक गन लगी हैं। हमें लगा सरकार ने स्मॉक गन चलाकर कुछ लोगों को बेवकूफ बनाया हो। हम वहां भी पहुंचे, लेकिन वहां भी कोई बारिश नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि आखिर भाजपा सरकार क्या करना चाहती है? भाजपा वाले कहते हैं कि पिछली सरकार ने कभी कुछ कराया नहीं, हम करा रहे हैं तो नाराज हो रहे हैं। लेकिन यह वैज्ञानिक प्रमाण है कि भाजपा सरकार दिल्ली, देश और पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय के साथ बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा कर रही है। सरकार सिर्फ अपने प्रचार के लिए भारत के वैज्ञानिकों की छवि धूमिल कर रही है।
सौरभ भारद्वाज ने संसद में भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा कृत्रिम वर्षा को लेकर दिए गए जवाब का हवाला देते हुए कहा कि जब गोपाल राय दिल्ली के पर्यावरण मंत्री थे, तब ‘‘आप’’ सरकार ने कई बार आईआईटी कानपुर से दिल्ली में कृत्रिम वर्षा को लेकर बात की थी कि यह हो सकती है तो करनी चाहिए। संसद में भाजपा की सरकार द्वारा ही पेश दस्तावेजों को दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता झुठला नहीं सकतीं। क्योंकि इसे संसदीय लोकतंत्र में निर्विवाद सत्य माना जाता है। 30 अगस्त 2024, 10 अक्टूबर 2024, 23 अक्टूबर 2024 और 19 नवंबर 2024 को दिल्ली के तत्कालीन पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली में कृत्रिम वर्षा कराने को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखे और उन्होंने केंद्र सरकार से दिल्ली में क्लाउड सीडिंग को आपातकालीन उपाय मानकर विचार करने का अनुरोध किया। इसके बाद केंद्र सरकार ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सीएक्यूएम) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से विशेषज्ञ राय मांगी।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि केंद्र सरकार की इन तीनों संस्थाओं का जवाब था कि पश्चिमी विक्षोभ के बादलों में क्लाउड सीडिंग की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे स्वयं बारिश कर देंगे। ऊंचे बादल विमान की पहुंच से बाहर होते हैं। दिल्ली की ठंडी और शुष्क सर्दी में क्लाउड सीडिंग के लिए जरूरी स्थितियां मौजूद नहीं हैं। भले ही वर्षा हो जाए, लेकिन सतह तक पहुंचते-पहुंचते बारिश की बूंदें भाप बन कर उड़ जाएंगी। वहीं, कृत्रिम वर्षा के लिए इस्तेमाल रसायनों से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। दिसंबर 2024 में केंद्र सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सर्दियों के दौरान क्लाउड सीडिंग संभव नहीं है और ना तो यह व्यावहारिक ही है। भले ही कृत्रिम वर्षा कराई जाए लेकिन बारिश जमीन तक नहीं पहुंचेगी।
सौरभ भारद्वाज ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से सवाल किया कि जब भाजपा शासित केंद्र सरकार की तीनों संस्थाओं ने वैज्ञानिक राय दी है कि दिल्ली में क्लाउड सीडिंग नहीं कराई जा सकती है तब भी करोड़ों रुपए का यह सर्कस किस आधार पर खड़ा किया गया? इस सर्कस को खड़े करने की अनुमति कैसे मिल गई, जबकि केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ने ही 9 महीने पहले दिसंबर 2024 में कहा था कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दिल्ली में क्लाउड सीडिंग संभव ही नहीं है। आखिर रेखा गुप्ता सरकार देश को बेवकूफ क्यों बना रही हैं? सरकार सुबह कहती है बारिश होगी, विमान उड़ा, मैप ग्राफ बना रहे हैं, लोग टीवी पर धुआं उड़ा रहे हैं। यह ड्रामेबाजी क्यों की? किसे बेवकूफ बना रहे हैं? यह सरकार जनता के पैसे पर जनता को मूर्ख बना रही है। यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार है।
सौरभ भारद्वाज ने सीएम रेखा गुप्ता से जवाब मांगा कि वैज्ञानिक राय के बावजूद दिल्ली के करदाताओं का पैसा क्यों बर्बाद किया गया? सीएम रेखा गुप्ता को यह नौटंकी या सर्कस दिल्ली की जनता के पैसे के बजाय अपने या भाजपा के पैसे से करना चाहिए। इस नौटंकी के पैसा देने का काम दिल्ली की जनता का नहीं है। आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता के एक-एक पाई का हिसाब पूछेगी। हमें पता है कि भाजपा के लोगों के घर सीबीआई, एसीबी या ईडी तो नहीं जाएगी, लेकिन आम आदमी पार्टी जनता के तौर पर सरकार से सवाल पूछती रहेगी।
कृत्रिम वर्षा को लेकर संसद में भाजपा की केंद्र सरकार का दिया गया जवाब
संसद पटल पर केंद्र सरकार ने कहा कि सर्दियों के महीनों के दौरान दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपातकालीन उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग पर विचार करने के संबंध में गोपाल राय, माननीय पर्यावरण, वन और वन्यजीव मंत्री, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) की ओर से इस मंत्रालय को 30 अगस्त 2024 10 अक्टूबर 2024, 23 अक्टूबर 2024 और 19 नवंबर 2024 के डी.ओ. पत्र प्राप्त हुए।
इस संबंध में, दिल्ली में कृत्रिम वर्षा के लिए क्लाउड सीडिंग की व्यवहार्यता के बारे में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से विशेषज्ञ राय मांगी गई थी। विशेषज्ञों की राय इस प्रकार है-
इस क्षेत्र में सर्दियों के बादल मुख्य रूप से पश्चिमी विक्षोभ (डब्ल्यूडी) के कारण बनते हैं, जो अल्पकालिक होते हैं और पश्चिम से पूर्व की ओर यात्रा करते हैं। जब डब्ल्यूडी के कारण कम बादल बनते हैं, तो वे आम तौर पर उत्तर-पश्चिम भारत में प्राकृतिक वर्षा का कारण बनते हैं, जिससे क्लाउड सीडिंग की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। अधिक ऊंचाई वाले बादल, जो आम तौर पर 5-6 किमी से अधिक ऊंचाई पर होते हैं, विमान की सीमाओं के कारण उनमें कृत्रिम तरीके से कोई रासायनिक पदार्थ नहीं डाला जा सकता है। इसके अलावा, प्रभावी क्लाउड सीडिंग के लिए विशिष्ट स्थितियों की आवश्यकता होती है, जो आम तौर पर दिल्ली के ठंडे और शुष्क महीनों में अनुपस्थित होती हैं। यदि उपयुक्त बादल मौजूद भी हों, तो उनके नीचे की शुष्क वायुमंडलीय परत सतह पर पहुंचने से पहले किसी भी तरह विकसित वर्षा को वाष्पित कर सकती है। इसके अतिरिक्त, क्लाउड सीडिंग रसायनों की अनिश्चितताओं, प्रभावकारिता और संभावित प्रतिकूल प्रभावों के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं।
इस मंत्रालय के दिनांक 30 अक्टूबर 2024 के डी.ओ. पत्र के माध्यम से उपरोक्त विशेषज्ञ राय दिल्ली सरकार के साथ साझा की गई थी। इसके अलावा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से दिनांक 23 सितंबर 2024 के डी.ओ. पत्र के माध्यम से अधिक विस्तृत और विशिष्ट प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया था और यह प्रस्ताव प्राप्त होने पर इस दिशा में आकलन किया जा सकता है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए सीएक्यूएम द्वारा 27 नवंबर 2024 को संबंधित हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ एक बैठक बुलाई गई थी।
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण कई कारकों का सामूहिक परिणाम है, जिसमें एनसीआर में उच्च घनत्व वाले आबादी वाले क्षेत्रों में मानवजनित गतिविधियों का उच्च स्तर शामिल है, जो वाहन प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से धूल, सड़क और खुले क्षेत्रों की धूल, बायोमास जलाना, नगरपालिका के ठोस कचरे को जलाना, लैंडफिल में आग और बिखरे स्रोतों से वायु प्रदूषण, आदि से उत्पन्न होता है। मानसून के बाद और सर्दियों के महीनों के दौरान, कम तापमान, निचले स्तर और स्थिर हवाओं के कारण प्रदूषक तत्व जाते हैं। इसके अलावा पराली जलाने, पटाखों आदि से होने वाले उत्सर्जन के कारण यह और भी गंभीर हो जाता है।
सरकार ने वर्तमान शीतकालीन मौसम में दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी थी।