देश के दलित मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने उन पर जूता फेंकने वाले वकील को माफ करते हुए उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के फैसले की आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज समेत अन्य नेताओं ने सराहना की है। साथ ही, ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत पर भी बल दिया है। उन्होंने बुधवार को एक्स पर कहा कि न्यायमूर्ति गवई ने इस मामले को छोड़ दिया और जूता फेंकने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कोई कार्रवाई न करने का निर्णय लिया। यह वास्तव में उनकी महानता का प्रमाण है। लेकिन संपूर्ण घटना ने समूची न्यायपालिका को एक डरावना संदेश दिया है कि अगर मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वाला व्यक्ति बच कर निकल जाएगा, तो अन्य जजों का क्या होगा। क्या अन्य न्यायाधीश सुरक्षित हैं?
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सोशल मीडिया पर जूता फेंकने का प्रयास करने वाले व्यक्ति के समर्थकों द्वारा न्यायमूर्ति गवई का निर्लज्ज उपहास और धमकियां जारी हैं, यह किसी पूर्वनियोजित और सुनियोजित प्रयास का संकेत देता है, जिसका उद्देश्य न्यायपालिका को दबोचकर उसकी स्वतंत्रता को कुचलना है। न्यायपालिका को इन दुराचारियों पर कठोर कार्यवाही करनी ही चाहिए। इनके विरुद्ध उदासीनता न्यायपालिका की स्वायत्तता और प्रभावकारिता को क्षति पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि जूता फेंकने का प्रयास करने वाले व्यक्ति और मुख्य न्यायाधीश को धमकाने और उनका उपहास करने वालों को कठोर दंड अवश्य दिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई न्यायपालिका से छेड़छाड़ करने की हिम्मत न करे।
उधर, पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन करते हुए एक्स पर कहा कि अरविंद केजरीवाल ने सही लिखा है कि न्यायमूर्ति गवई ने इस मामले को छोड़ने का फैसला किया और उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, जिसने उन पर जूता फेंकने की कोशिश की। यह वास्तव में उनकी महानता को दर्शाता है। हालांकि, इस पूरी घटना ने पूरे न्यायपालिका को एक डरावना संदेश भेजा है। यदि कोई व्यक्ति मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) पर जूता फेंकने की कोशिश करके बच सकता है, तो फिर अन्य जजों की बात ही क्या। क्या अन्य जज सुरक्षित हैं?
सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि जिस तरह से न्यायमूर्ति गवई का सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों द्वारा मजाक उड़ाया जा रहा है और उन्हें धमकी दी जा रही है, यह एक सुनियोजित और व्यवस्थित प्रयास प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य पूरी न्यायपालिका को डराना और दबाव में लाना है। न्यायपालिका को इन गुंडों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इनके खिलाफ कार्रवाई न करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता कमजोर होगी। जिस व्यक्ति ने जूता फेंकने की कोशिश की और जो लोग मुख्य न्यायाधीश को धमकी दे रहे हैं और उनका मजाक उड़ा रहे हैं, उन्हें अनुकरणीय सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी न्यायपालिका के साथ छेड़छाड़ करने की हिम्मत न करे।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने भी अरविंद केजरीवाल के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि अगर आज सीजेआई पर जूता फेंकने वाले और सोशल मीडिया पर उन्हें धमकाने वाले बच निकलेंगे, तो कल कोई भी जज सुरक्षित नहीं रहेगा। ऐसे संगठित हमलों पर कठोर और उदाहरण बनने वाली सज़ा ज़रूरी है, वरना न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता दोनों ख़तरे में पड़ जाएंगे।