आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण की अनदेखी करने पर भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भर्ती घोटाला हो रहा है। योगी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के हक की नौकरियां सवर्णों को दे रही है। बांदा कृषि विश्वविद्यालय में 15 पदों पर भर्ती हुई, जिसमें 11 ठाकुर, 2 सामान्य और 2 दलित-पिछड़ों को नौकरी मिली। इसी तरह, लखीमपुर सहकारी बैंक में 27 पदों की भर्ती में 15 ठाकुर, 4 सामान्य और 8 पिछड़े-दलित-आदिवासी चुने गए। खुद को पिछड़ों के नेता बताने वाले मोदी जी दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों का हक हड़पे जाने पर चुप हैं, जिससे इन वर्गों के आक्रोश बढ़ रहा है। हम इस भर्ती घोटाले की जांच कर दोषियों को सजा दिलाने और आरक्षण को पूरी तरह लागू करने की मांग करते हैं।
संजय सिंह ने कहा कि मैं भी मारत माता की जय के नारे लगाता हूं और भाजपा वाले भी। लेकिन भाजपा वाले हिंदुओं को एकत्र करने और उनके भले की बात करते हैं और हिंदुओं के नाम पर ही राजनीति करते हैं। सवाल यह है कि अगर भारत माता के बेटों के साथ अन्याय होगा तो भारत माता की जय कैसे होगी? हिंदुओं को एकजुट करने की बात करने वाले लोग बताएंगे कि क्या पिछड़े वर्ग, दलित और आदिवासी हिंदू नहीं हैं? क्या उन्हें संविधान में दिए गए हक और आरक्षण का अधिकार नहीं मिलना चाहिए? देश में 50 फीसद आरक्षण पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के लिए है। 10 फीसद आरक्षण सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए है। इसके बाद बची नौकरियां सामान्य वर्ग को दी जा सकती हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में भर्तियों में घोटाले हो रहे हैं।
संजय सिंह ने कहा कि कई भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो जाते हैं, लेकिन सरकार इसकी जिम्मेदारी नहीं लेती। लाखों नौजवान फॉर्म भरते हैं, लेकिन उन्हें नौकरी के बजाय लाठियां मिलती हैं। उत्तर प्रदेश के नौजवानों को क्या सिर्फ लाठी खाने के लिए पैदा किया गया है? प्रयागराज, लखनऊ, गोरखपुर, बनारस समेत हर जगह नौजवानों को लाठियां झेलनी पड़ती हैं। आज उत्तर प्रदेश ने नौकरी की मांग कर रहे नौजवानों की दयनीय स्थिति है।
संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और उसके मुखिया योगी आदित्यनाथ का काम सरकारी नौकरियों में भर्ती घोटाला करना है। ये घोटाले इतने स्पष्ट हैं कि सभी को खुली आंखों से दिखते हैं। भले ही मेरी सवर्ण जाति के लोग नाराज हो जाते हैं, लेकिन मैं बार-बार कहता हूं कि अगर जातिवाद के नाम पर राजनीति करोगे, तो दूसरी जातियों के गुस्से और असंतोष का शिकार बनोगे। आज उत्तर प्रदेश में यही हो रहा है।
संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और उनके चहेते लोग अपनी जाति के युवाओं को नौकरियों में भर रहे हैं और दूसरी जातियों का आरक्षण हड़प रहे हैं। वे सोचते हैं कि इससे वे ताकतवर बन जाएंगे। लेकिन वे भूल रहे हैं कि ऐसा करने से 80-85 फीसद दूसरी जातियों में असंतोष और आक्रोश फैल रहा है। सवर्ण जाति के कुछ लोग खुश हो रहे हैं कि 27 में से 15 नौकरियां उनको मिल गईं। लेकिन वे यह भूल रहे हैं कि इससे 85 फीसद दूसरी जातियों का गुस्सा उन पर फूटेगा।
संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी खुद को पिछड़ों का नेता बताते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में स्थिति इसके बिल्कुल उलट है। बांदा के कृषि विश्वविद्यालय में एक भर्ती हुई, जिसमें 11 ठाकुर, दो सामान्य वर्ग और दो पिछड़े-दलित-आदिवासी चुने गए। लखीमपुर के सहकारी बैंक में 27 में से 15 ठाकुर, चार सामान्य वर्ग और आठ पिछड़े-दलित-आदिवासी चुने गए।
संजय सिंह ने सवाल किया कि 27 में से 15 नौकरियां अपनी जाति के चहेतों को देकर क्या पूरे उत्तर प्रदेश के ठाकुरों का भला हो रहा है? नहीं, यह ठाकुरों का भला नहीं है। इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुरों को 85 फीसद दूसरी जातियों के अंदर गुस्से का कारण बना रहे हैं। इसका कोई फायदा नहीं है। भर्ती घोटाला सामने आ रहा है, फिर भी प्रधानमंत्री मोदी जी चुप हैं। अगर वे पिछड़ों के नेता हैं तो पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों का आरक्षण हड़पे जाने पर क्यों नहीं बोलते? भाजपा के दलित, पिछड़े, अति पिछड़े और आदिवासी नेताओं के मुंह पर ताला क्यों है? वे क्यों चुप हैं?
संजय सिंह ने कहा कि भाजपा और आरएसएस इस देश में संविधान और आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करना चाहते हैं। आरएसएस के 100 साल हो गए, लेकिन उनका एक भी प्रमुख पिछड़ी, दलित, न आदिवासी जाति से नहीं रहा। फिर ऐसी पार्टी और संगठन से कैसे उम्मीद करें कि वे हमारे साथ न्याय करेंगे? यह कभी नहीं होगा। इसलिए इस भर्ती घोटाले की गंभीर जांच होनी चाहिए। दोषियों को जेल भेजा जाए और आरक्षण को पूरी तरह लागू किया जाए।