एमसीडी में आम आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने सोमवार को एमसीडी के मेयर राजा इकबाल सिंह और कमिश्नर को प्रधानमंत्री की रैली में निगम कर्मियों को जबरन भेजने के संबंध में पत्र लिखा है और जांच कर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पूछा है कि किसके आदेश से कर्मचारियों को रैली में जबरन भेजा गया? बसों की व्यवस्था किसने की, बसों के व्यय का भुगतान किस मद से किया गया और क्या किसी राजनीतिक रैली में कर्मचारियों को भेजना उचित है? उन्होंने पूरे मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा, ‘‘आप’’ पार्षद कुसुम लता, सारिका चौधरी, भगवीर और राकेश लोहिया ने भी मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग को लेकर अपने जोन के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखा है।
अंकुश नारंग ने अपने पत्र में कहा है कि जैसा कि आपको विदित ही है कि रविवार, 17 अगस्त को दिल्ली के रोहिणी/नरेला क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूईआर-2 के उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर भाजपा द्वारा एक विशाल राजनीतिक रैली का आयोजन किया गया। प्राप्त सूचनाओं एवं प्रमाणों के अनुसार, इस रैली को सफल दिखाने के लिए एमसीडी के विभिन्न जोन एवं वार्डों से सफाई कर्मचारियों, मलेरिया विभाग के कर्मियों, तथा निगम विद्यालयों के शिक्षकों को जबरन बुलाया गया। यह भी ज्ञात हुआ है कि इन कर्मचारियों को धमकी दी गई कि यदि वे रैली में उपस्थित नहीं हुए, तो उनकी सेवा समाप्ति, वेतन रोकने, अथवा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अंकुश नारंग ने कहा है कि रविवार को इन कर्मचारियों का साप्ताहिक अवकाश होता है, फिर भी उन्हें जबरन बुलाकर, बसों द्वारा रैली स्थल तक पहुँचाया गया और कुछ मामलों में कॉम्पेन्सेटरी लीव देने का झांसा भी दिया गया।
अंकुश नारंग ने इस मामले में कुछ गंभीर प्रश्न उठाए हैं। उन्होने कहा कि इस रैली के लिए कर्मचारियों को जबरन लाना किसके आदेश से किया गया? रैली स्थल तक लाने के लिए बसों की व्यवस्था किस विभाग द्वारा की गई? इन बसों के व्यय का भुगतान किस बजट मद से किया गया? क्या किसी राजनीतिक दल की रैली के लिए शासकीय कर्मचारियों को बाध्य करना उचित है?
अंकुश नारंग ने कहा है कि इस प्रकार की कार्रवाई न केवल लोक सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है। यह कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का भी हनन है। अंकुश नारंग ने निवेदन किया है कि उपरोक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाई जाए तथा दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
अंकुश नारंग ने पत्र के साथ प्रमाण स्वरूप कुछ वार्डों के पार्षदों द्वारा किए गए फेसबुक लाइव वीडियो के लिंक तथा कर्मचारियों को दिए गए विभागीय आदेशों की प्रतिलिपियां भी संलग्न की। अंकुश नारंग ने मेयर से अपेक्षा जताई है कि इस गम्भीर विषय को प्राथमिकता के आधार पर संज्ञान में लिया जाएगा और मेरे कार्यालय को की गई करवाई से अवगत करवाया जाएगा।