िल्ली में अपराधी बेलगाम हो चुके हैं। दिल्लीवालों को इसकी एक बानगी सोमवार सुबह देखने को मिली, जब लुटियंस दिल्ली के चाणक्यपुरी में लुटेरों ने तमिलनाडु की सांसद एम. सुधा की चेन झपट ली। मॉर्निंग वॉक के दौरान हुई इस घटना को लेकर आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने एक्स पर कहा कि दिल्ली में तमिलनाडु की सांसद एम. सुधा के साथ सुबह 6 बजे मॉर्निंग वॉक के दौरान चेन स्नेचिंग की वारदात हुई है। बताया जा रहा है कि बाइक सवार बदमाशों ने सोने की चेन खींची और फरार हो गए। हालांकि दिल्ली में यह कोई नई बात नहीं है। दिल्ली में चेन, मोबाइल स्नैचिंग इतना आम हो गया है कि लोग अब पुलिस में एफआईआर भी नहीं दर्ज करवाते। उन्हें पता है कि कुछ नहीं होगा, उल्टा समय व्यर्थ होगा।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसमें पूरा दोष पुलिस का नहीं है। दिल्ली पुलिस में हज़ारों पद खाली पड़े हैं और सरकार भर्तियां नहीं करना चाहती। जो हैं भी वो वीआईपी सिक्युरिटी और आम आदमी पार्टी के लोगों को फसाने में व्यस्त हैं। पुलिस का राजनीतिकरण हो चुका है। उनका आंकलन काम से नहीं, राजनैतिक कार्यों से किया जाता है। उसी आधार पर पोस्टिंग दी जाती हैं। खैर दिल्ली की महिलाएं अब मॉर्निंग वॉक पर चेन पहन कर नहीं निकलतीं, बहुत सावधान रहती हैं, क्योंकि इनका मानना है कि चैन से जीना है तो चेन घर रखिए। ये तमिलनाडु से हैं, इसलिए इनको पुलिस व्यवस्था का अंदाजा नहीं होगा।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के लुटियंस जोन में सारे वीआईपी, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और दूतावास हैं। ऐसे वीआईपी चाणक्यपुरी इलाके में तमिलनाडु की सांसद एम. सुधा की चैन स्नैचिंग हुई। बाइक सवार युवक आए, उनकी चैन झपटी और फरार हो गए। हालांकि, दिल्ली में चैन स्नैचिंग कोई बड़ी वारदात नहीं है। किसी भी कॉलोनी में मोबाइल स्नैचिंग और चैन स्नैचिंग आम बात हो गई है। लोग अब इसके लिए एफआईआर भी दर्ज नहीं कराते, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसका कोई फायदा नहीं है। समय ही खराब होगा।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस घटना के लिए पुलिस को दोष देना भी ठीक नहीं है। सीधे तौर पर केंद्र सरकार जिम्मेदार है। पुलिस में नई पोस्ट बनाने की सख्त जरूरत है, क्योंकि आबादी बहुत बढ़ गई है। पुलिस पर बोझ बढ़ गया है। जितने पद हैं, उनमें भी बड़ा हिस्सा खाली है। किसी भी पुलिस स्टेशन में एसएचओ के कमरे में लिखा रहता है कि कितने हेड कांस्टेबल होने चाहिए, कितने नहीं हैं। कितने कांस्टेबल होने चाहिए, कितने नहीं हैं। खाली पदों की वजह से दिल्ली में बीट कांस्टेबलों की भारी कमी है। कानून व्यवस्था की बड़ी समस्या है। जितनी पुलिस है, उसे भी वीआईपी सिक्युरिटी या राजनीतिक कामों में इस्तेमाल किया जाता है। दिल्ली में लोगों के मन में इतना डर है कि वे पैदल निकलते समय चैन नहीं पहनते। मोबाइल हाथ में नहीं रखते, जेब में रखते हैं। दिल्ली की समग्र कानून एवं व्यवस्था की स्थिति काफी खराब है।