गुजरात के किसानों और पशुपालकों के समर्थन मोडास में आयोजित महापंचायत में ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगंवत मान शामिल हुए। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में भाजपा की सत्ता अहंकार-भ्रष्टाचार चरम पर है। जनता का गुस्सा ही इस अहंकारी सत्ता का अंत करेगा। उन्होंने कहा कि अडानी को ठेका दिलाने पीएम विदेश जाते हैं, लेकिन गुजरात में किसान बोनस मांगता है तो उस पर लाठियां बरसाते हैं। लाठीचार्ज में जान गवांने वाले पशुपालक के परिवार को अभी तक एक रुपए का मुआवजा नहीं मिला। यह सरकार अमीरों की सरकार है। गरीबों और किसानों को तो सिर्फ लाठियों की मार देती है। भाजपा को सत्ता का अहंकार हो गया है। किसान की शहादत से उसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
किसानों को हर साल जून में बोनस मिलता था, लेकिन इस बार अभी तक नहीं मिला- केजरीवाल
मोडासा में किसानों और पशुपालकों के समर्थन में आयोजित महापंचायत को संबअरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले साबर डेयरी में बहुत दर्दनाक और दुखद घटना हुई। जब पशुपालक अपना हक मांगने के लिए सरकार के पास प्रदर्शन करने पहुंचे तो भ्रष्टाचारी, निर्दयी और क्रूर सरकार ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। आंसू गैस के गोले छोड़े और एक गरीब पशुपालक भाई अशोक चौधरी हमें छोड़ कर चले गए। हर साल जून में पशुपालक किसान भाइयों को बोनस दिया जाता है। किसानों की मांग थी कि उनको उनका जायज हक दिया जाए। इस बार गुजरात सरकार ने जून में 9.5 फीसद मुनाफे की घोषणा की, लेकिन अभी तक एक पैसा नहीं दिया है। जबकि हर साल जून के महीने में किसान पशुपालकों के खाते में पूरा पैसा आ जाता है। गरीब किसानों को बीज, खाद खरीदनी है, बच्चों की फीस देनी है, घर का गुजारा करना है।
पिछले पांच साल से किसानों 16-18 फीसद बोनस मिल रहा था, इस बार सिर्फ 9.50 फीसद क्यों- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 2020-21 में किसानों को 16 फीसद, 2021-22 में 17 फीसद, 2022-23 में 16.50 फीसद नफा मिला और 2023-24 में 17 फीसद नफा मिला। लेकिन 2024-24 में किसानों को मात्र 9.50 फीसद मुनाफा मिला। पिछले 5 साल से किसानों को 16-18 फीसद मुनाफा मिल रहा है, इस साल 9.50 फीसद मुनाफा क्यों दिया जा रहा है? सारा पैसा कहां गया? इन पैसों से इनकी चुनाव रैली हो रही है। गरीब किसानों का पैसा लूट कर ये लोग अपने लिए बड़े-बड़े महल बना रहे हैं, गाड़ियां-हेलिकाप्टर खरीद रहे हैं। 14 जुलाई को अशोक चौधरी की मौत हुई, इसके बाद भी गुजरात सरकार ने डेयरी का नफा नहीं बढ़ाया और किसानों को उनका हक नहीं दिया। 18 जुलाई को ‘‘आप’’ गुजरात प्रदेश अध्यक्ष इशुदान गढ़वी ने प्रेसवार्ता कर एलान किया कि 23 जुलाई को अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान गुजरात आएंगे। इसके कुछ देर बाद शाम 3 बजे गुजरात सरकार ने एलान कर दिया कि पशुपालक किसानों को 17.50 फीसद बोनस देंगे। लेकिन अभी तक ये नफा नहीं दिया है। इन्होंने सिर्फ झूठा एलान किया है। इन्होंने पशुपालक किसानों का पैसा चोरी करके अपने लिए बड़े-बड़े महल बना लिए, लेकिन आपके सिर पर छत भी नहीं है। अशोक चौधरी के घर पर छत भी नहीं है। ऐसे गरीब किसानों का पैसा खाकर ये लोग अपनी चुनावी रैलियां कर रहे हैं। इनको पाप लगेगा, ये लोग नर्क में जाएंगे।
किसानों से बात करने की जगह निरंकुश भाजपा सरकार ने उन पर गोली चलवा दी- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोग लोकतंत्र में रह रहे हैं। जनता चुनती है और सरकार बनती है। अगर पशुपालक किसान भाई अपने हक के लिए प्रदर्शन कर रहे थे तो क्या सरकार को बैठ कर बातचीत नहीं करनी चाहिए थी? बिना बात किए इनको लाठीचार्ज, आंसू के गोले और गोली नहीं चलानी चाहिए थी। 30 साल की सरकार का इनको अहंकार हो गया है। इनको लगता है कि गुजरात की जनता कहां जाएगी? ये लोग वोट तो हमें ही देंगे। ज्यादा आश्चर्य तक हुआ, जब अशोक चौधरी पशुपालक किसान भाइयों के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए। लेकिन अभी तक सरकार ने उनके परिवार को मुआवजा नहीं दिया है। मैं डेयरी और गुजरात सरकार की तरफ से अशोक चौधरी के परिवार को एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मांग करता हूं।
भाजपा गुजरात के सहकारी क्षेत्र पर कब्जा करके सिर्फ लूटने का काम कर रही है- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस घटना के बाद से ही सरकार किसान भाइयों को दबाने, डराने और कुचलने की साजिश चल रही है। खासकर उत्तरी गुजरात में हर किसान पशुपालक का भी काम करता है। अगर पशुपालकों को उनका पूरा हक मिल जाए, तो हर किसान की गरीबी दूर हो सकती है। किसानों का सहकारी क्षेत्र का मतलब है कि किसान उसको चलाएंगे। लेकिन इसे किसान नहीं चला रहे हैं, बल्कि भाजपा ने पूरे सहकारी क्षेत्र के उपर कब्जा कर लिया है और अब लूटने का काम कर रहे हैं। पशुपालक को फैट के आधार पर पैसा दिया जाता है। फैट मापने वाली मशीन गड़बड़ है। फैट अगर 7.50 फीसद होता है तो मशीन सिर्फ 7 फीसद दिखाती है। ये लोग अरबों रुपए खा जाते हैं, चुनावी रैलियों में खर्च करते हैं।